
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर देशभर में 7 मई को आयोजित की जाने वाली मॉक ड्रिल को लेकर पंजाब ने भी युद्ध-स्तरीय तैयारी शुरू कर दी है। गृह मंत्रालय के निर्देशों के अनुपालन में राज्य सरकार ने पंजाब के 20 जिलों में सिविल डिफेंस, पुलिस, प्रशासन और आपात सेवाओं के साथ मिलकर अभ्यास करने का निर्णय लिया है। इस अभ्यास का उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों में संभावित युद्ध या आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना है।
पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने सोमवार को कहा कि “हमारी 500 किलोमीटर की अंतरराष्ट्रीय सीमा है, ऐसे में हमें नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है। गृह मंत्रालय के आदेश पर हम 7 मई को राज्य के 20 जिलों में मॉक ड्रिल आयोजित कर रहे हैं।”
भारत-पाकिस्तान तनाव का पृष्ठभूमि
हाल के दिनों में जम्मू-कश्मीर में हुई घटनाओं और पाकिस्तान द्वारा मिसाइल परीक्षण किए जाने से दोनों देशों के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। भारत ने सीमावर्ती क्षेत्रों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है और गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को आपात स्थिति से निपटने की तैयारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
पंजाब जो पाकिस्तान की सीमा से सटा हुआ राज्य है, इस तरह की किसी भी आपदा की स्थिति में संवेदनशील माना जाता है। यही कारण है कि मॉक ड्रिल को लेकर यहां विशेष सतर्कता बरती जा रही है।
फिरोजपुर में बजेगा सायरन: जनता को किया गया सतर्क
फिरोजपुर की डिप्टी कमिश्नर दीपशिखा शर्मा ने बताया कि “आज (6 मई) शाम 7:00 से 7:15 बजे के बीच जिले में सायरन बजाया जाएगा। यह केवल एक मॉक ड्रिल का हिस्सा है, नागरिकों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। इसका उद्देश्य यह देखना है कि जब भी कोई आपात स्थिति उत्पन्न हो, तो सायरन के माध्यम से सूचना कितनी कुशलता से लोगों तक पहुंचती है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि जिले में लगे सभी सायरनों की कार्यक्षमता भी जांची जाएगी और यदि किसी में खराबी पाई गई तो उसे तुरंत सुधारा जाएगा।
क्या है मॉक ड्रिल का उद्देश्य?
मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य नागरिकों, सुरक्षा बलों और प्रशासनिक तंत्र को एक युद्ध जैसी स्थिति में तैयार करना है। इस अभ्यास के दौरान निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा:
- सायरन सिस्टम की कार्यक्षमता: यह देखा जाएगा कि क्या जिले में लगे सभी सायरन कार्य कर रहे हैं।
- लोगों तक सूचना की पहुंच: यह परीक्षण किया जाएगा कि सायरन की आवाज़ कितनी दूर तक प्रभावी है और क्या ग्रामीण तथा शहरी दोनों क्षेत्रों में इसे सुना जा सकता है।
- सिविल डिफेंस की सक्रियता: किसी आपात स्थिति में नागरिकों को सुरक्षित स्थान पर कैसे पहुंचाया जाए, इसका अभ्यास।
- पुलिस और आपातकालीन सेवाएं: उनकी त्वरित प्रतिक्रिया और निर्देशानुसार क्रियान्वयन की जांच की जाएगी।
- सार्वजनिक जागरूकता: लोगों को यह जानकारी देना कि युद्ध जैसे हालात में उन्हें क्या करना है और कहां जाना है।
राज्यभर में प्रशासनिक सक्रियता
पंजाब सरकार ने प्रत्येक जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि वे मॉक ड्रिल से पहले लोगों को जागरूक करें ताकि अफवाहें न फैलें और किसी तरह की घबराहट न हो। इसके लिए विभिन्न माध्यमों जैसे – लोकल रेडियो, सोशल मीडिया, लाउडस्पीकर और अखबारों के जरिए लोगों को सूचित किया जा रहा है।
सीमा पर तैनात बीएसएफ (BSF) को भी मॉक ड्रिल में सहयोग करने को कहा गया है ताकि सीमावर्ती गांवों में रहने वाले नागरिकों को विशेष सुरक्षा प्रशिक्षण दिया जा सके।
मंत्री हरपाल सिंह चीमा का बयान
राज्य के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा, “गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देश बेहद जरूरी हैं, क्योंकि पंजाब की सीमाएं संवेदनशील हैं। हम अपनी सुरक्षा व्यवस्था को अपडेट कर रहे हैं और नागरिकों को युद्ध जैसी किसी भी संभावित स्थिति से पहले प्रशिक्षित करना हमारा दायित्व है।”
उन्होंने कहा कि मॉक ड्रिल के दौरान राज्य सरकार यह मूल्यांकन करेगी कि किन इलाकों में और अधिक सायरन, बंकर, और संचार प्रणाली की आवश्यकता है।