प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दिल्ली के भारत मंडपम में तीन दिवसीय अष्टलक्ष्मी महोत्सव का उद्घाटन किया। इस महोत्सव में पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न उत्पादों, सांस्कृतिक धरोहरों, और व्यापारिक संभावनाओं का वैश्विक मंच पर प्रदर्शन किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर कहा कि यह आयोजन एक ऐतिहासिक कदम है, जो न केवल पूर्वोत्तर के आर्थिक और सांस्कृतिक उत्थान को बढ़ावा देगा, बल्कि यह पूरे देश और दुनिया के निवेशकों के लिए एक शानदार अवसर भी प्रदान करेगा।
पूर्वोत्तर भारत का सामर्थ्य राष्ट्रीय और वैश्विक मंच पर
प्रधानमंत्री मोदी ने महोत्सव के उद्घाटन के दौरान कहा, “दिल्ली आज पूर्वोत्तर मय हो गई है। पूर्वोत्तर के रंगों ने राष्ट्रीय राजधानी में एक सुंदर इंद्रधनुष का निर्माण किया है।” उन्होंने यह भी कहा कि इस पहले अष्टलक्ष्मी महोत्सव के दौरान पूर्वोत्तर भारत का सामर्थ्य पूरे देश और दुनिया के सामने आएगा। तीन दिनों तक होने वाले इस महोत्सव में व्यापार, कारोबार, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के कई समझौते होंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे बताया, “यह पहला और अनोखा आयोजन है, जो पूर्वोत्तर के उत्पादों को वैश्विक मंच पर पेश करेगा और इस क्षेत्र में निवेश के द्वार खोलेगा। यह महोत्सव न केवल पूर्वोत्तर के लिए, बल्कि पूरे भारत और दुनिया भर के निवेशकों के लिए भी बेहतरीन अवसर है।”
21वीं सदी में पूर्वी भारत की भूमिका
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले 100-200 वर्षों में पश्चिमी देशों का प्रभाव दुनिया में अधिक था, लेकिन अब 21वीं सदी की दिशा पूर्व की ओर मुड़ चुकी है। उन्होंने विश्वास जताया कि भविष्य में भारत में पूर्वोत्तर राज्यों का महत्वपूर्ण योगदान होगा। “हमने पिछले दशकों में बंगलूरू, मुंबई, हैदराबाद, अहमदाबाद और चेन्नई जैसे शहरों को उभरते देखा है, लेकिन अब आने वाले दशकों में हम अगरतला, गुवाहाटी, गंगटोक, आइजोल, शिलांग, ईटानगर, और कोहिमा जैसे शहरों को एक नए सामर्थ्य के रूप में देखेंगे,” प्रधानमंत्री मोदी ने कहा।
अष्टलक्ष्मी महोत्सव: पूर्वोत्तर के बेहतर भविष्य का उत्सव
प्रधानमंत्री ने इस महोत्सव को पूर्वोत्तर भारत के बेहतर भविष्य का उत्सव बताया। उन्होंने कहा, “यह महोत्सव विकास के नए सूर्योदय का प्रतीक है, जो भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के मिशन को गति देने वाला है।” प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम जैसे पूर्वोत्तर के आठ राज्यों का उल्लेख किया और कहा कि इन राज्यों में अष्टलक्ष्मी के दर्शन होते हैं, जो समृद्धि और समृद्धि के प्रतीक हैं।
प्राकृतिक संसाधनों से लैस पूर्वोत्तर भारत
प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर भारत के अद्भुत प्राकृतिक संसाधनों की सराहना करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में खनिज, तेल, और जैव विविधता का अद्भुत संगम है। उन्होंने विशेष रूप से अक्षय ऊर्जा की अपार संभावनाओं का उल्लेख किया और कहा कि यह क्षेत्र ऊर्जा उत्पादन के मामले में एक वरदान साबित हो सकता है। “हमारा पूर्वोत्तर प्राकृतिक खेती और बाजरे के लिए प्रसिद्ध है, और हमें गर्व है कि सिक्किम पहला जैविक खेती करने वाला राज्य है,” उन्होंने कहा।
पूर्वोत्तर में समग्र विकास और शांति की दिशा में कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वोत्तर के विकास के लिए अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार द्वारा किए गए प्रयासों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “पहले की सरकारों ने वोटों की संख्या के आधार पर ही विकास की दिशा तय की, और क्योंकि पूर्वोत्तर में वोट कम थे, इसलिए वहां के विकास को नजरअंदाज किया गया।” लेकिन अटल जी की सरकार ने इस क्षेत्र के विकास के लिए अलग मंत्रालय का गठन किया था, और इस दिशा में काफी प्रयास किए गए थे।
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि पिछले एक दशक में पूर्वोत्तर में अनेक ऐतिहासिक शांति समझौते हुए हैं और राज्यों के बीच सीमा विवादों में भी सौहार्दपूर्ण समाधान निकाला गया है। उन्होंने यह कहा कि पूर्वोत्तर में हिंसा के मामले में कमी आई है और कई जिलों से अफ्स्पा (असम राज्य विशेष सुरक्षा अधिनियम) को हटा लिया गया है।
अष्टलक्ष्मी महोत्सव का उद्देश्य: इंफ्रास्ट्रक्चर से आगे की सोच
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकार पूर्वोत्तर को “इमोशन, इकोनॉमी और इकोलॉजी” की त्रिवेणी से जोड़ने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा, “हम यहां सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बना रहे, बल्कि भविष्य की एक सशक्त नींव तैयार कर रहे हैं।” इसके साथ ही उन्होंने पूर्वोत्तर भारत में शैक्षणिक केंद्रों की भी सराहना की, जिनमें IIT गुवाहाटी, NIT सिलचर और NIT मेघालय प्रमुख हैं। इन शैक्षणिक संस्थानों ने आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने यह भी बताया कि पूर्वोत्तर को अब अपना पहला AIIMS मिला है, और मणिपुर में देश का पहला राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय (National Sports University) भी बन रहा है।
सरकार द्वारा पूर्वोत्तर के लिए उठाए गए कदम
प्रधानमंत्री ने यह बताया कि पिछले एक दशक में केवल एक योजना के तहत पूर्वोत्तर के विकास में 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं, जो इस क्षेत्र के प्रति सरकार की प्राथमिकता को दर्शाता है। इसके अलावा, पूर्वोत्तर के लिए विशेष योजनाएं भी शुरू की गई हैं।
उन्होंने यह विश्वास व्यक्त किया कि सरकार की इन योजनाओं और प्रयासों के तहत पूर्वोत्तर भारत जल्द ही एक नई ऊंचाई पर पहुंचेगा, और इस महोत्सव की भूमिका इस दिशा में महत्वपूर्ण होगी।
समापन में बधाई और आभार
प्रधानमंत्री मोदी ने अंत में अष्टलक्ष्मी महोत्सव के आयोजकों, पूर्वोत्तर के सभी निवासियों, और महोत्सव में आए सभी निवेशकों और अतिथियों को बधाई दी। उन्होंने कहा, “यह महोत्सव पूर्वोत्तर की समृद्धि और विकास की दिशा में एक नई शुरुआत है, और मैं इस क्षेत्र के उज्जवल भविष्य के लिए पूरी तरह आश्वस्त हूं।”