प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 नवंबर को गुयाना की संसद के विशेष सत्र को संबोधित किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने भारत और गुयाना के बीच 180 साल पुरानी मित्रता की सराहना की और दोनों देशों के बीच साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने इस ऐतिहासिक अवसर पर भारत और गुयाना के बीच के संबंधों को “मिट्टी, पसीने और परिश्रम” का रिश्ता बताया, जो समय के साथ और भी मजबूत हुआ है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में गुयाना और भारत के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को याद करते हुए कहा कि भारतीयों ने करीब 180 साल पहले गुयाना की धरती पर कदम रखा था और तब से अब तक, दोनों देशों के बीच यह रिश्ते एक दूसरे के सुख-दुख में शामिल रहे हैं। उन्होंने इस दौरान महात्मा गांधी के करीबियों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने एक साथ मिलकर स्वतंत्रता संग्राम लड़ा और अंततः स्वतंत्रता प्राप्त की। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज हम दोनों देश लोकतंत्र को मजबूत कर रहे हैं, और यह हमारी साझी विरासत है।”
लोकतंत्र को मजबूत करने का वैश्विक संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में लोकतंत्र की शक्ति और उसकी अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि गुयाना में लोकतंत्र को मजबूत करने का हर प्रयास केवल इस देश के लिए नहीं, बल्कि समग्र विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। “जब हम आजाद हुए थे, तो चुनौतियां अलग थीं, लेकिन 21वीं सदी में इन चुनौतियों का स्वरूप बदल चुका है। आज हमें वैश्विक परिस्थितियों पर निरंतर नजर रखनी चाहिए और अपनी नीति को इसी आधार पर तैयार करना चाहिए,” प्रधानमंत्री ने कहा।
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि स्वतंत्रता प्राप्ति के समय से अब तक दुनिया की व्यवस्था में कई बदलाव आए हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं अब खत्म हो रही हैं और कोरोना महामारी के बाद एक नया वैश्विक आदेश बनना चाहिए था। हालांकि, प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आज दुनिया कुछ अन्य मुद्दों में उलझ गई है और इसे हल करने के लिए सभी देशों को मिलकर प्रयास करना होगा।
“ह्यूमेनिटी फर्स्ट” का आह्वान
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में “ह्यूमेनिटी फर्स्ट” यानी मानवता पहले की भावना पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत का दृष्टिकोण हमेशा मानवता के पक्ष में रहा है और भारत दुनिया में ‘विश्व बंधु’ के रूप में अपनी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने इस भावना को उजागर करते हुए कहा, “जब तक हम मानवता को सर्वोपरि रखेंगे, तब तक हम किसी भी चुनौती का मुकाबला कर सकते हैं।”
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि दुनिया में बढ़ते हुए आतंकवाद, साइबर क्राइम और नशे के कारोबार जैसी समस्याओं से निपटने के लिए सभी देशों को एकजुट होकर काम करना होगा। “यह समय कन्फ्लिक्ट (संघर्ष) का नहीं है, बल्कि यह समय उन संघर्षों की स्थितियों को पहचानने और उन्हें दूर करने का है,” उन्होंने कहा। प्रधानमंत्री ने यह भी चेतावनी दी कि अगर इन समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाली पीढ़ियों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।
भारत-गुयाना संबंधों को नई दिशा देने की उम्मीद
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि भारत और गुयाना के बीच मित्रता का रिश्ता अब एक नए मुकाम पर पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि इस विशेष सत्र के दौरान गुयाना और भारत के रिश्तों को और मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे। “भारत और गुयाना के बीच यह रिश्ता केवल व्यापार और कूटनीतिक संबंधों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक गहरी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक साझेदारी का प्रतीक है,” प्रधानमंत्री ने कहा।
उन्होंने गुयाना के लोगों की मेहनत और परिश्रम की सराहना की और कहा कि भारत और गुयाना ने हमेशा एक दूसरे के साथ मिलकर विकास के लिए काम किया है। “हम दोनों देशों ने एक साथ मिलकर कठिन परिस्थितियों का सामना किया है, और आज हम दोनों देश मिलकर लोकतंत्र और विकास के रास्ते पर चल रहे हैं,” उन्होंने कहा।
एकजुटता का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में वैश्विक एकजुटता का संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि हम सभी को मानवता के लिए काम करते हुए अपने प्रयासों को एकजुट करना होगा। उन्होंने आगे कहा कि केवल लोकतंत्र के जरिए ही हम एक बेहतर भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। “लोकतंत्र केवल राजनीतिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह प्रत्येक नागरिक को उसके अधिकारों की सुरक्षा प्रदान करता है और उसे एक उज्जवल भविष्य की ओर मार्गदर्शन करता है,” प्रधानमंत्री ने कहा।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर यह भी बताया कि गुयाना जैसे देशों की सफलता भारत के लिए प्रेरणा का स्रोत है, क्योंकि गुयाना ने बहुत कम समय में लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत किया और आर्थिक विकास की दिशा में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की। उन्होंने यह भी कहा कि भारत गुयाना के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और दोनों देशों के बीच सहयोग में निरंतर वृद्धि होगी।