
पश्चिम बंगाल बीते कुछ दिनों से लगातार हिंसा की चपेट में है। वक्फ (संशोधन) कानून के विरोध में शुरू हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन अचानक उग्र रूप लेते जा रहे हैं। अब तक तीन लोगों की जान जा चुकी है, जबकि कई अन्य घायल हुए हैं। पुलिस ने अब तक 110 लोगों को गिरफ्तार किया है और राज्यभर में छापेमारी जारी है। जिला प्रशासन को स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए BSF की मदद तक लेनी पड़ी है।
क्या है वक्फ (संशोधन) कानून और क्यों मचा बवाल?
वक्फ (संशोधन) विधेयक हाल ही में संसद के दोनों सदनों से पारित हुआ और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद अब यह कानून बन चुका है। केंद्र सरकार ने इसे लागू करने की अधिसूचना भी जारी कर दी है।
इस कानून का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, सुन्नी वक्फ काउंसिल सहित कई मुस्लिम संगठनों ने विरोध किया है। उनका कहना है कि इससे वक्फ संपत्तियों पर सरकार का नियंत्रण बढ़ जाएगा और यह धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों में हस्तक्षेप है।
देश के विभिन्न हिस्सों में इस कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल में यह मामला हिंसक हो उठा है।
पहला चरण: 8 अप्रैल को मुर्शिदाबाद में हिंसा की शुरुआत
8 अप्रैल को मुर्शिदाबाद जिले के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-12 पर प्रदर्शनकारियों ने सड़क जाम करने की कोशिश की। यह जुलूस जंगीपुर से उमरपुर की ओर बढ़ रहा था। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की, लेकिन स्थिति हाथ से निकल गई।
कुछ उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। पुलिस की गाड़ियों को तोड़ा गया और कुछ वाहनों को आग लगा दी गई। जवाब में पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। देखते ही देखते यह हिंसा बनियापुर और उमरपुर तक फैल गई, जहां कई आम लोगों के घरों में भी तोड़फोड़ की गई।
दूसरा चरण: 11 अप्रैल को फिर भड़की आग
11 अप्रैल को जुमे की नमाज के बाद बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी फिर इकट्ठा हुए और वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया। एक बार फिर NH-12 को जाम करने की कोशिश हुई। पुलिस ने जैसे ही हस्तक्षेप किया, हालात बिगड़ गए।
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर न केवल पत्थरबाजी की, बल्कि इस बार देसी बमों का भी इस्तेमाल किया गया। पुलिस की कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया। सार्वजनिक बसों को नुकसान पहुंचाया गया।
स्थिति इतनी बिगड़ गई कि कुछ पुलिसकर्मियों को पास की मस्जिदों में शरण लेनी पड़ी। जिला प्रशासन ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) को बुलाकर स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की।
हिंसा का विस्तार: मालदा तक असर
हिंसा मुर्शिदाबाद तक सीमित नहीं रही। पड़ोसी जिला मालदा भी इसकी चपेट में आ गया। यहां प्रदर्शनकारियों ने रेलवे ट्रैक पर कब्जा कर लिया और ट्रेन सेवा को बाधित कर दिया। न्यू फरक्का से अजीमगंज के बीच ट्रेनों की आवाजाही पूरी तरह रुक गई।
इस घटनाक्रम के चलते दो ट्रेनों को रद्द करना पड़ा और पांच ट्रेनों का मार्ग बदल दिया गया। रेलवे स्टेशन में भी तोड़फोड़ की खबरें आईं। ट्रेन पर हमले की भी सूचना है, हालांकि इन घटनाओं में किसी यात्री के घायल होने की पुष्टि नहीं हुई है।
कौन शामिल और कौन प्रभावित?
इस हिंसा में सबसे पहला चेहरा उपद्रवियों का रहा, जिन्होंने दोनों ही दिन योजनाबद्ध ढंग से हमला किया। उनके निशाने पर पुलिस, सरकारी संपत्ति और आम नागरिक आए।
8 अप्रैल को कुछ पुलिसकर्मी घायल हुए, जबकि 11 अप्रैल को दस पुलिसकर्मियों को गंभीर चोटें आईं।
बनियापुर और उमरपुर जैसे इलाकों में आम लोगों के घरों में घुसकर तोड़फोड़ की गई। कई परिवारों को जान बचाकर भागना पड़ा। मालदा जिले में रेलवे सेवाएं प्रभावित हुईं और यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कानून व्यवस्था से खिलवाड़ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब तक 110 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। शेष उपद्रवियों की तलाश में राज्यभर में छापेमारी की जा रही है।
CCTV फुटेज, सोशल मीडिया पोस्ट और स्थानीय मुखबिरों के जरिये पुलिस उपद्रवियों की पहचान कर रही है। इस बीच कई थाना क्षेत्रों में धारा 144 लागू की गई है और इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद की गई हैं।