
पंजाब पुलिस को मोगा जिले में बड़ी सफलता हाथ लगी है। जिले की CIA स्टाफ टीम ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए कुख्यात बंबीहा गैंग से जुड़े एक सक्रिय सदस्य को गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान आकाशदीप सिंह उर्फ आकाशा, निवासी गांव अजीतवाल, जिला मोगा के रूप में हुई है।
आकाशदीप की गिरफ्तारी उस वक्त हुई जब वह अवैध हथियारों के साथ कस्बा अजीतवाल के पास कोकरी फूला सिंह वाला रोड पर किसी व्यक्ति का इंतजार कर रहा था। पुलिस को मुखबिर के जरिए मिली सटीक सूचना के आधार पर यह कार्रवाई की गई।
हथियारों का जखीरा बरामद
पुलिस ने मौके से 32 बोर की 4 देसी पिस्तौल, एक मैगजीन और 8 जिंदा कारतूस बरामद किए हैं। इतनी भारी मात्रा में अवैध हथियारों का एक स्थान पर मिलना, और वह भी एक युवा के पास, सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गया है।
एसएसपी अजय गांधी ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया,
“गुरुवार को पुलिस टीम जब नियमित गश्त पर थी, उसी दौरान मुखबिर से सूचना मिली कि एक संदिग्ध युवक हथियारों के साथ सड़क किनारे खड़ा है। टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए रेड डाली और आरोपी को मौके से दबोच लिया। प्राथमिक जांच में यह मामला बंबीहा गैंग से जुड़ा सामने आया है।”
अमृतसर जेल से हथियारों की सप्लाई
पूछताछ के दौरान आरोपी आकाशदीप ने खुलासा किया कि ये हथियार उसे अमृतसर जेल में बंद कुख्यात गैंगस्टर धर्मिंदर सिंह उर्फ बाजी ने उपलब्ध करवाए थे। धर्मिंदर सिंह, मोगा जिले के दोसांझ गांव का निवासी है और उस पर पहले से ही 20 आपराधिक मामले दर्ज हैं।
अब पुलिस ने धर्मिंदर सिंह को भी इस केस में नामजद आरोपी बनाया है और जेल प्रशासन से पूछताछ की अनुमति मांगी गई है। इससे साफ है कि पंजाब की जेलों में बैठे गैंगस्टर अभी भी अपने नेटवर्क को ऑपरेट कर रहे हैं और बाहर अपने गुर्गों के जरिए अपराधों को अंजाम दिलवा रहे हैं।
सोशल मीडिया से हुई पहचान
जांच में यह बात सामने आई है कि आकाशदीप सिंह की उम्र करीब 20–25 वर्ष है और उसके खिलाफ पहले कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था। वह बंबीहा गैंग के गुर्गों के संपर्क में सोशल मीडिया के माध्यम से आया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, “आकाशदीप की एक अज्ञात व्यक्ति से पहचान हुई जिसने उसे हथियार सप्लाई किए। ये व्यक्ति कौन है, और क्या वह जेल में बंद गैंगस्टरों से सीधा जुड़ा है, इसकी जांच की जा रही है।” आकाशदीप के मोबाइल फोन को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है, ताकि उसके कॉल रिकॉर्ड्स, मैसेजिंग ऐप्स, लोकेशन हिस्ट्री और सोशल मीडिया चैट्स के जरिए अन्य संदिग्धों की पहचान की जा सके।