
भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) ने बुधवार से तीनों साझीदार राज्यों — पंजाब, हरियाणा और राजस्थान — को जल वितरण की प्रक्रिया नए सर्कल के तहत शुरू कर दी है। यह निर्णय 15 मई को हुई अहम बैठक में तय मानकों के आधार पर लागू किया गया है। इसके अनुसार, पंजाब को 17,000 क्यूसेक, हरियाणा को 10,300 क्यूसेक और राजस्थान को 12,400 क्यूसेक पानी रोजाना मिलेगा।
इस अवसर पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान खुद नंगल डैम पहुंचे, जहां उन्होंने जल आपूर्ति की निगरानी की और पंजाब के जल हितों की रक्षा को लेकर जारी प्रयासों का समर्थन किया। मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों के अनुसार, यह दौरा जल संरक्षण और वितरण की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया है।
BBMB के अधिकारी सुबह 9 बजे डैम पर पहुंचे और तय कार्यक्रम के अनुसार जल वितरण की प्रक्रिया शुरू की। डैम के गेट खोलकर तीनों राज्यों को निर्धारित मात्रा में पानी छोड़ा गया। अधिकारियों ने बताया कि वितरण प्रणाली को डिजिटल निगरानी से भी जोड़ा गया है ताकि पारदर्शिता बनी रहे और किसी भी अनियमितता की तुरंत जानकारी मिल सके।
जल संकट और नए सर्कल की पृष्ठभूमि
पिछले कुछ वर्षों से उत्तर भारत में जल संकट लगातार गहराता जा रहा है। कृषि, पेयजल और औद्योगिक उपयोग के लिए पानी की मांग में तेजी आई है, लेकिन जल स्रोतों की उपलब्धता स्थिर या घटती जा रही है। ऐसे में भाखड़ा ब्यास परियोजना जैसे बड़े जल स्रोतों का कुशल और न्यायसंगत प्रबंधन बेहद जरूरी हो गया है।
BBMB ने इसी जरूरत को ध्यान में रखते हुए “नया सर्कल” (New Water Allocation Cycle) लागू किया है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि पानी का वितरण पूर्व निर्धारित कोटे के अनुसार हो, और कोई भी राज्य अपनी सीमा से बाहर जाकर पानी की मांग न करे।
BBMB के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने इस संबंध में स्पष्ट कहा है कि नए सर्कल के अंतर्गत किसी भी राज्य को उसके निर्धारित कोटे से अतिरिक्त पानी नहीं मिलेगा, चाहे अन्य राज्यों की सहमति भी क्यों न हो। केवल विपरीत या आपात स्थितियों में ही अतिरिक्त जल आपूर्ति की जा सकेगी, वह भी एक विशेष प्रक्रिया और केंद्रीय मंजूरी के बाद।
जल वितरण में पारदर्शिता और जवाबदेही
BBMB द्वारा लागू किया गया यह नया सिस्टम डेटा-ड्रिवन और निगरानी आधारित है। यानी अब जल वितरण के हर चरण की निगरानी GPS आधारित तकनीक और डिजिटल सेंसर्स से की जाएगी। इससे न सिर्फ पानी की चोरी और अनियमित आपूर्ति पर लगाम लगेगी, बल्कि जल उपयोग की सही तस्वीर भी सामने आएगी।
डैम पर स्थापित किए गए नए स्वचालित गेटिंग सिस्टम के माध्यम से पानी को नियंत्रित किया जा रहा है। पानी के प्रवाह और मात्रा की सटीक गणना की जा रही है। यह कदम पारदर्शिता के लिहाज से अहम है क्योंकि इससे सभी राज्य अपने हिस्से का पानी समय पर और नियमानुसार प्राप्त कर सकेंगे।