
पंजाब सरकार ने राज्य की आर्थिक स्थिति को गति देने, व्यापार को प्रोत्साहन देने और लंबित टैक्स मामलों को सुलझाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में ‘पंजाब वन टाइम सेटलमेंट स्कीम 2025 (OTS)’ को मंजूरी दी गई है। यह योजना आगामी 1 अक्टूबर 2025 से लागू होकर 31 दिसंबर 2025 तक प्रभावी रहेगी। योजना का उद्देश्य पुराने टैक्स मामलों का बोझ कम करना, व्यापारिक माहौल को सरल बनाना और सरकारी राजस्व में वृद्धि करना है।
ट्रेड विंग के जिला प्रधान और पंजाब व्यापारी कमीशन के सदस्य इंदरवंश सिंह चड्डा ने योजना के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि यह स्कीम राज्य के उन टैक्सदाताओं के लिए लाई गई है जिनके असेसमेंट 30 सितंबर 2025 तक हो चुके हैं और जिन पर बकाया राशि लंबित है। चड्डा ने बताया कि इस स्कीम के तहत टैक्स के पुराने मामलों में भारी छूट दी जा रही है जिससे उद्योगों और व्यापारियों को बड़ी राहत मिलेगी।
ओटीएस 2025 के तहत टैक्स छूट की संरचना
सरकार ने विभिन्न बकाया राशि की श्रेणियों के अनुसार टैक्स छूट और माफी के प्रावधान किए हैं, 1 करोड़ रुपये तक के बकाया मामलों में, टैक्स पर 50% की छूट, ब्याज पर 100% की छूट, जुर्माने पर 100% माफी, 1 करोड़ से 25 करोड़ रुपये तक के मामलों में टैक्स पर 25% की छूट, ब्याज और जुर्माने पर 100% माफी, 25 करोड़ रुपये से अधिक के मामलों में टैक्स पर 10% की छूट, ब्याज और जुर्माना पूरी तरह माफ
इंदरवंश चड्डा ने स्पष्ट किया कि यह स्कीम केवल निजी करदाताओं और उद्योगों पर लागू होगी, जबकि सरकारी खाद्य एजेंसियों को इस स्कीम से बाहर रखा गया है।
12,000 करोड़ रुपये की वसूली का लक्ष्य
सरकार का अनुमान है कि इस ओटीएस स्कीम के माध्यम से 12,000 करोड़ रुपये की बकाया राशि की वसूली की जाएगी। चड्डा ने बताया कि राज्य में ऐसे 10,040 लंबित टैक्स मामले हैं जो वर्षों से अदालतों या कानूनी फोरमों में अटके हुए हैं। इस स्कीम के जरिए इनमें से बड़ी संख्या में मामलों का निपटारा किया जाएगा।
ओटीएस 2025, पंजाब सरकार की तीसरी वन टाइम सेटलमेंट स्कीम है। इससे पहले दो अन्य योजनाओं के ज़रिए भी सरकार ने लंबित कर मामलों को निपटाने का प्रयास किया था। इस बार सरकार ने 1 जनवरी 2026 से रिकवरी की प्रक्रिया शुरू करने की योजना बनाई है।
राज्य को आर्थिक संजीवनी की उम्मीद
चड्डा ने बताया कि लंबे समय से कई मिल मालिकों ने अपना टैक्स बकाया जमा नहीं किया था, जिसके चलते उन्हें डिफॉल्टर घोषित किया गया था और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई थी। यह मामले सालों से कानूनी प्रक्रियाओं में उलझे हुए थे, जिससे सरकार को राजस्व हानि हो रही थी।
अब सरकार की इस नई नीति से न केवल पुराने मामलों का बोझ घटेगा, बल्कि बीमार पड़ी राइस मिलों को भी दोबारा कार्यशील बनाने में मदद मिलेगी। इसका सीधा असर राज्य की रोजगार दर पर भी पड़ेगा। चड्डा ने कहा कि यह योजना राज्य में रोजगार के नए अवसर पैदा करेगी और कृषि आधारित उद्योगों को भी बल देगी।
धान खरीद प्रक्रिया को मिलेगा बल
चड्डा ने कहा कि यह योजना खरीफ की खरीद सीजन के दौरान मंडियों में से धान की खरीद को समय पर और सुचारू रूप से करने में मददगार साबित होगी। बकाया टैक्स से मुक्त होकर मिल मालिकों की वित्तीय स्थिति सुधरेगी, जिससे वे किसानों से धान की खरीद बेहतर तरीके से कर पाएंगे। इसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा, क्योंकि उन्हें समय पर भुगतान और स्थायी खरीदार मिल सकेंगे। सरकार का मानना है कि इस स्कीम से कृषि से संबंधित आपूर्ति शृंखला भी मज़बूत होगी।
जीएसटी एक्ट में संशोधन के साथ तालमेल
वित्त अधिनियम 2025 के तहत केंद्र सरकार ने “गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स एक्ट, 2017” में संशोधन किया है। उसी तर्ज पर अब पंजाब जीएसटी एक्ट 2017 में भी संशोधन किया जाएगा, जिससे राज्य की टैक्स प्रणाली अधिक प्रभावी और व्यापार-अनुकूल हो सकेगी।