
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ की गई कार्रवाई को कानून सम्मत और पूरी तैयारी के साथ किया गया कदम करार दिया है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह कोई तात्कालिक या जल्दबाज़ी में लिया गया निर्णय नहीं है, बल्कि तमाम दस्तावेज़ी प्रमाणों, एनडीपीएस एक्ट के तहत तैयार पर्चों, पैसों के लेन-देन के सबूतों और डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई की गई है।
मान ने कहा कि लंबे समय से विपक्षी पार्टियां सरकार पर यह आरोप लगाती रही हैं कि सरकार केवल छोटे अपराधियों के खिलाफ ही कार्रवाई कर रही है और “बड़ी मछलियों” को बख्श दिया जाता है। लेकिन जैसे ही उनकी सरकार ने इन “बड़ी मछलियों” के खिलाफ शिकंजा कसना शुरू किया, पूरा विपक्ष एक साथ खड़ा हो गया और सरकार की आलोचना करने लगा।
“डरने वाला नहीं हूं”: भगवंत मान
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि वे किसी भी दबाव या राजनीतिक डर से पीछे हटने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा, “अब जब हम भ्रष्ट और आपराधिक प्रवृत्ति के नेताओं पर कार्रवाई कर रहे हैं, तो पूरा विपक्ष एकजुट हो गया है। यह वही विपक्ष है जो पहले कहता था कि हम कोई एक्शन नहीं लेते। अब जब कार्रवाई हो रही है तो वही लोग बौखलाए हुए हैं।”
भगवंत मान ने यह भी कहा कि यह कार्रवाई उनके लिए राजनीतिक नुकसान का कारण बन सकती है, लेकिन उन्होंने इससे डरने से इनकार किया। उन्होंने कहा, “मुझे मालूम है कि इससे राजनीतिक तौर पर मुझे भी चोट लग सकती है, लेकिन मैं पीछे हटने वालों में से नहीं हूं। आज भी मेरे कई कार्यक्रम हैं और मैं उनमें पहले की तरह ही हिस्सा लूंगा।”
अभी और गिरफ्तारियां होंगी: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने बड़ा संकेत देते हुए कहा कि बिक्रम मजीठिया की गिरफ्तारी कोई आखिरी कदम नहीं है। आने वाले दिनों में और भी “बड़े नाम” सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में कई और नेता शामिल हैं और जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, और भी गिरफ्तारियां होंगी। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि इस कार्रवाई के जरिए कई महत्वपूर्ण बरामदगियां होनी बाकी हैं। “जो भी नेता कानून तोड़ेगा, चाहे वो कितना भी राजनीतिक रूप से ताकतवर क्यों न हो, कानून उसे नहीं छोड़ेगा,” मान ने दोहराया।
डिजिटल सबूतों से बनी कार्रवाई की नींव
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बताया कि इस पूरे मामले में डिजिटल फॉरेंसिक सबूतों की बड़ी भूमिका रही है। कार्रवाई के दौरान कुल 29 मोबाइल फोन और 4 लैपटॉप बरामद किए गए हैं, जिनमें से कई में संदिग्ध लेनदेन, व्हाट्सएप चैट्स, कॉल रिकॉर्डिंग्स और अन्य डिजिटल दस्तावेज़ मिले हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर किसी के पास इतने मोबाइल फोन क्यों होंगे? “इतने सारे फोन रखने का क्या मतलब हो सकता है? ये लोग सोचते थे कि सरकार इन तक पहुंचेगी ही नहीं,” मान ने कहा। मुख्यमंत्री के अनुसार, यह सोच ही उनके अहंकार को दिखाती है और यही वजह है कि अब जब कार्रवाई हो रही है तो ये लोग विरोध कर रहे हैं।
ईडी की भी हो सकती है एंट्री
एक और महत्वपूर्ण संकेत देते हुए भगवंत मान ने कहा कि इस मामले में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की भी एंट्री संभव है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से पैसों के लेन-देन के सबूत सामने आए हैं, उससे यह मामला केवल एनडीपीएस तक सीमित नहीं रह सकता।
मान ने कहा कि पहले भी ईडी ने ऐसे मामलों में कार्रवाई की है और यदि आवश्यक हुआ तो यह एजेंसी फिर से एक्टिव हो सकती है। उन्होंने कहा कि बड़े “मगरमच्छों” की गिरफ्तारी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता और जाँच की दिशा उसी ओर इशारा कर रही है।
विपक्ष की बौखलाहट क्या संकेत देती है?
भगवंत मान ने विपक्ष के संयुक्त विरोध पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह विरोध इस बात का संकेत है कि डर की लहर फैल चुकी है। उनका कहना है कि जो नेता आज इस कार्रवाई का सबसे अधिक विरोध कर रहे हैं, वे या तो खुद इस गोरखधंधे में शामिल हैं या फिर उनके करीबी सहयोगी जांच के दायरे में हैं। “विपक्ष के रुख से साफ है कि और भी नाम सामने आएंगे। कार्रवाई जब निष्पक्ष और सख्ती से की जाती है, तो चोरों को सबसे पहले डर लगता है,” उन्होंने तंज कसते हुए कहा।
जनता को जवाबदेह सरकार देने का वादा
मुख्यमंत्री मान ने इस पूरे घटनाक्रम को अपनी सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि वह पंजाब की जनता को एक ईमानदार और जवाबदेह शासन देना चाहते हैं और उसके लिए यदि किसी भी बड़े नेता को जेल भेजना पड़े, तो वह पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अफवाहों और विपक्षी दुष्प्रचार पर ध्यान न दें और कानून पर भरोसा रखें। “हम कोई भी कार्रवाई बिना सबूत और जांच के नहीं कर रहे। हर कागज़, हर सूचना का सत्यापन हो चुका है,” उन्होंने कहा।