
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक बार फिर सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर को लेकर अपना सख्त रुख जाहिर करते हुए स्पष्ट किया है कि पंजाब के पास अब दूसरे राज्यों को देने के लिए पानी की एक बूंद भी नहीं बची है। उन्होंने केंद्र सरकार और संबंधित राज्यों को दो टूक कह दिया है कि राज्य की जल स्थिति “अत्यंत गंभीर” है, जिसे लेकर अब अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप दोबारा मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
यह बयान उन्होंने बुधवार को नई दिल्ली स्थित श्रम शक्ति भवन में आयोजित उच्चस्तरीय बैठक के दौरान दिया, जिसमें पंजाब और हरियाणा समेत संबंधित राज्यों के प्रतिनिधि SYL विवाद को सुलझाने के प्रयास में जुटे थे।
जल संकट की गंभीरता: “नदियां सूख चुकी हैं, भूजल स्तर नीचे जा चुका है”
मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया है कि पंजाब की अधिकांश नदियां अब लगभग सूख चुकी हैं और राज्य के भूजल स्तर में खतरनाक गिरावट देखी जा रही है। स्थिति यह है कि कई जिलों में पीने का पानी तक मुहैया कराना मुश्किल हो रहा है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा: “हमारे पास खुद के लिए पानी नहीं बचा है। पंजाब का सीमित जल संसाधन केवल कृषि और पेयजल जरूरतों के लिए पर्याप्त है। हम अब किसी भी सूरत में दूसरों को पानी देने की स्थिति में नहीं हैं।” उन्होंने कहा कि यदि मौजूदा स्थिति को गंभीरता से नहीं लिया गया तो आने वाले समय में पंजाब को ‘जल अकाल’ जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
SYL के बदले YSL की संभावनाओं पर चर्चा
बैठक में मुख्यमंत्री मान ने केंद्र सरकार के समक्ष यह प्रस्ताव भी रखा कि SYL (सतलुज-यमुना लिंक) की जगह YSL (यमुना-सतलुज लिंक) नहर की संभावनाओं पर विचार किया जाए। उन्होंने तर्क दिया कि चूंकि हरियाणा और अन्य राज्यों को पानी की ज़रूरत है, तो क्यों न यमुना से पानी को पंजाब लाकर सतलुज में छोड़ा जाए? यह प्रस्ताव तकनीकी दृष्टिकोण से भले ही चुनौतीपूर्ण हो, लेकिन यह मुख्यमंत्री की ओर से SYL के मौजूदा ढांचे के प्रतिपक्ष में एक ठोस वैकल्पिक सोच के रूप में सामने आया है।
सिंधु जल संधि पर भी उठाया सवाल
बैठक में मुख्यमंत्री ने सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि यदि भारत सरकार पाकिस्तान के साथ इस संधि को रद्द करने या निलंबित करने पर विचार कर रही है, तो इससे जो जल संसाधन भारत को उपलब्ध हो सकते हैं, उनका प्राथमिक लाभ पंजाब को मिलना चाहिए। “सिंधु, झेलम और चिनाब जैसी नदियों से मिलने वाले पानी का उपयोग पंजाब की जरूरतों के लिए किया जाना चाहिए। यह राज्य की जल संकट की स्थिति को काफी हद तक सुधार सकता है।”
केंद्र से अंतरराष्ट्रीय मानकों पर मूल्यांकन की मांग
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार से अपील की कि पंजाब के जल संसाधनों का मूल्यांकन अब अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप किया जाए। उन्होंने कहा कि 70 साल पहले की परिस्थितियों में तय हुए जल बंटवारे के फॉर्मूले अब पूरी तरह अप्रासंगिक हो चुके हैं।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा: “आज के समय में जल बंटवारा पुराने आंकड़ों के आधार पर नहीं किया जा सकता। जलवायु परिवर्तन, गिरता भूजल, सूखती नदियां और बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखकर नए सिरे से जल मूल्यांकन की जरूरत है।”
केंद्र पर सीधा दबाव
भगवंत मान ने इस बैठक में केंद्र सरकार को सीधे शब्दों में चेताया कि अगर पंजाब के जल अधिकारों को नजरअंदाज किया गया, तो यह राज्य के लिए आर्थिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर विनाशकारी साबित होगा। वह बोले: “अगर पंजाब के जल संसाधनों पर और दबाव डाला गया, तो हमारी कृषि अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी, और हम किसानों के हितों की अनदेखी नहीं कर सकते।”
हरियाणा और अन्य राज्यों को संदेश
हालांकि बैठक का मूल उद्देश्य पंजाब और हरियाणा के बीच SYL नहर विवाद को सुलझाना था, लेकिन भगवंत मान ने अपने शब्दों में स्पष्ट कर दिया कि भाईचारे और सहयोग की भावना के बावजूद जल संसाधनों को लेकर कोई भी समझौता पंजाब के हितों के खिलाफ नहीं होगा। उन्होंने कहा: “हम हरियाणा के दुश्मन नहीं, लेकिन पहले हमें अपने लोगों के लिए पानी चाहिए। अगर हम खुद प्यासे हैं, तो दूसरों को पानी देना व्यावहारिक नहीं है।”