
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा की एक महत्वपूर्ण बैठक शनिवार को चंडीगढ़ में आयोजित की गई, जिसमें पंजाब सरकार और केंद्र के साथ बातचीत की आगामी रणनीति पर मंथन किया गया। बैठक में किसान संगठनों ने स्पष्ट रूप से ऐलान किया कि यदि केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई किसी भी बैठक में पंजाब सरकार शामिल होगी, तो वे उस वार्ता का हिस्सा नहीं बनेंगे। किसान संगठनों ने केंद्र से औपचारिक तौर पर यह मांग करने का निर्णय लिया है कि भविष्य में होने वाली किसी भी बैठक में पंजाब सरकार के प्रतिनिधि शामिल न हों।
बैठक के बाद किसान नेता सरवण सिंह पंधेर ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार के रवैये की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार यह कहकर बचाव कर रही है कि यदि पंजाब सरकार को बैठक से बाहर रखा गया तो यह संघीय ढांचे का उल्लंघन होगा। लेकिन हम पूछते हैं कि जब तीन कृषि कानून बिना राज्यों से चर्चा किए सीधे लागू किए गए थे, तब क्या संघीय ढांचे की कोई चिंता थी?”
संघीय ढांचे पर दोहरी नीति का आरोप
पंधेर ने कहा कि केंद्र का तर्क ‘संघीय ढांचे’ का सम्मान करने का सिर्फ एक बहाना है। उनका कहना था कि जब 2020 में तीन विवादास्पद कृषि कानून लाए गए थे, तब केंद्र ने किसी राज्य सरकार से कोई परामर्श नहीं लिया था। “तब केंद्र ने एकतरफा निर्णय लिया, और आज जब हम बातचीत से पहले पंजाब सरकार को बाहर करने की मांग कर रहे हैं तो केंद्र संघीय ढांचे की दुहाई दे रहा है,” पंधेर ने कहा।
किसान संगठनों ने यह भी आरोप लगाया कि पंजाब सरकार ने केंद्र के साथ मिलकर किसानों की आवाज को दबाने का काम किया है, खासकर उस समय जब पिछले आंदोलनों में किसानों के साथ पुलिस ने बल प्रयोग किया था। इसी कारण किसानों में राज्य सरकार के प्रति गहरा अविश्वास है।
6 मई को शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि आगामी 6 मई को शंभू बॉर्डर पर एक दिन का सांकेतिक प्रदर्शन किया जाएगा। यह प्रदर्शन पंजाब सरकार के उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर होगा, जिन्होंने शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे किसानों पर बल प्रयोग किया था।
पंधेर ने कहा, “शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन एक चेतावनी है। यह सरकार को यह बताने का माध्यम है कि हम न तो अन्याय सहेंगे और न ही चुप बैठेंगे। हमारे शांतिपूर्ण प्रदर्शन को दबाने के लिए जिन अधिकारियों ने जुल्म किए हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।”
इस प्रदर्शन में राज्यभर के हजारों किसान शामिल होने की उम्मीद है। मोर्चा इसे ‘किसान सम्मान दिवस’ के रूप में मनाने की योजना बना रहा है, जहां शांतिपूर्वक अपनी मांगों को दोहराया जाएगा और राज्य सरकार से जवाबदेही तय करने की मांग की जाएगी।
केंद्र को भेजा जाएगा औपचारिक पत्र
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि केंद्र सरकार को एक औपचारिक पत्र लिखा जाएगा, जिसमें किसानों की यह मांग रखी जाएगी कि आगामी किसी भी बैठक में पंजाब सरकार के प्रतिनिधि शामिल न हों। यह पत्र अगले कुछ दिनों में भेजा जाएगा और किसानों का कहना है कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन की राह पर लौट सकते हैं।