पंजाब सरकार ने 2015 में हुई बेअदबी की घटनाओं में जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। यह महत्वपूर्ण निर्णय उस समय आया है जब सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा इन मामलों में सुनवाई पर लगाई गई रोक को हटा दिया है। यह मामला न केवल धार्मिक भावनाओं के प्रति संवेदनशीलता का विषय है, बल्कि इससे राजनीतिक स्थिति भी प्रभावित हो सकती है।
2015 में फरीदकोट में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले सामने आए थे। इनमें से एक घटना में गुरु ग्रंथ साहिब की प्रतियां चोरी की गई थीं, जबकि अन्य में अपवित्र पोस्टर लगाने और पवित्र ग्रंथ के फटे पन्ने मिलना शामिल हैं। इन घटनाओं ने सिख समुदाय में गहरा आक्रोश पैदा किया और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए।
पुलिस गोलीबारी का काला अध्याय
2015 की घटनाओं के दौरान, विरोध कर रहे लोगों पर पुलिस की गोलीबारी हुई, जिसमें बहिबल कलां में दो लोग मारे गए। यह घटना पंजाब में एक काले अध्याय के रूप में जानी जाती है, जिसने सामाजिक तनाव को और बढ़ा दिया। पुलिस द्वारा की गई इस कार्रवाई ने न केवल स्थानीय समुदाय को प्रभावित किया, बल्कि पूरे पंजाब में सुरक्षा बलों के प्रति अविश्वास का माहौल बना दिया।
उच्च न्यायालय की रोक और सर्वोच्च न्यायालय का आदेश
18 अक्टूबर को, सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज कर दिया, जिसने इन तीन बेअदबी मामलों में मुकदमे पर रोक लगा दी थी। इस फैसले ने सरकार को अनुमति दी कि वह आगे बढ़कर इन मामलों में कार्रवाई कर सके।
गृह विभाग के प्रभार में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोमवार को इस मंजूरी पर हस्ताक्षर किए। यह निर्णय विभिन्न सरकारी स्रोतों द्वारा पुष्टि की गई है, जो न्यायिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का संकेत देता है।