
पंजाब सरकार ने राज्य में औद्योगिक विकास को नई गति देने के लिए एक बड़ा और अहम कदम उठाया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में राज्य सरकार ने नई औद्योगिक नीति के निर्माण की दिशा में काम शुरू कर दिया है, जिसकी पहली पहल टेक्सटाइल सेक्टर से की गई है। इस दिशा में राज्य के उद्योग मंत्री संजीव अरोड़ा की अगुवाई में तीन विशेष कमेटियों का गठन किया गया है, जो टेक्सटाइल इंडस्ट्री की तीन प्रमुख शाखाओं—स्पिनिंग, बुनाई, डाइंग, फिनिशिंग और एप्पैरल—के लिए नीति प्रस्ताव तैयार करेंगी।
यह कदम राज्य सरकार के उस व्यापक विजन का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत उद्योगों के लिए सुगम वातावरण तैयार करना, रोजगार सृजन को बढ़ावा देना और पंजाब को निवेश के लिहाज से एक प्रतिस्पर्धी राज्य बनाना प्रमुख लक्ष्य हैं।
तीन कमेटियों की संरचना और उद्देश्य
उद्योग मंत्री संजीव अरोड़ा ने बुधवार को जानकारी देते हुए बताया कि टेक्सटाइल सेक्टर के विकास को बूस्ट देने के लिए गठित तीनों कमेटियां अपने-अपने क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले औद्योगिक प्रतिनिधियों के नेतृत्व में बनाई गई हैं। इन कमेटियों का मुख्य उद्देश्य है – पंजाब के औद्योगिक ढांचे की समीक्षा कर एक उन्नत, व्यावहारिक और समावेशी नीति सुझाव तैयार करना।
1. स्पिनिंग और बुनाई सेक्टर कमेटी
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चेयरपर्सन: एस. पी. ओसवाल, वर्धमान टेक्सटाइल्स
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यह कमेटी पंजाब के पारंपरिक और मजबूत स्पिनिंग सेक्टर को आधुनिक बनाने, टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन, उत्पादन लागत कम करने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भागीदारी जैसे पहलुओं पर ध्यान देगी।
2. ऐपैरल सेक्टर कमेटी
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चेयरपर्सन: संदीप जैन, मोंटे कार्लो फैशनर्स लिमिटेड, लुधियाना
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यह कमेटी रेडीमेड गारमेंट्स, फैशन टेक्सटाइल्स और एग्ज़पोर्ट सेक्टर से जुड़ी रणनीतियों पर सुझाव देगी।
3. डाइंग और फिनिशिंग यूनिट्स कमेटी
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चेयरपर्सन: रजनीश गुप्ता, बाला जी डाइंग
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इस कमेटी का फोकस टेक्सटाइल प्रोसेसिंग, पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों, जल प्रबंधन और ईटीपी (Effluent Treatment Plants) के बेहतर समाधान तैयार करने पर होगा।
कमेटियों का कार्यक्षेत्र और रिपोर्ट की समयसीमा
कमेटियों को निर्देश दिया गया है कि वे देश के अन्य राज्यों की टेक्सटाइल नीतियों और ढांचों का तुलनात्मक अध्ययन करें और पंजाब के भौगोलिक, औद्योगिक एवं आर्थिक माहौल को ध्यान में रखते हुए एक विशेष औद्योगिक फ्रेमवर्क तैयार करें। इसमें मौजूदा औद्योगिक इकाइयों की जरूरतों, संभावित निवेशकों की अपेक्षाओं और भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखा जाएगा। सभी तीनों कमेटियों को 1 अक्टूबर 2025 तक लिखित सिफारिशें राज्य सरकार को सौंपनी होंगी। सिफारिशों में नीति, अधोसंरचना, वित्तीय सहायता, कर राहत, स्किल डेवलपमेंट और निर्यात संवर्धन से जुड़े बिंदु शामिल होंगे।
समावेशी कमेटी संरचना: विविध विचारों को मिलेगा स्थान
मंत्री संजीव अरोड़ा ने कहा कि प्रत्येक कमेटी में एक चेयरपर्सन होगा और अन्य सदस्य औद्योगिक जगत से चयनित किए जाएंगे। इन सदस्यों का चयन इस तरह किया गया है कि वे भिन्न-भिन्न पैमानों और भौगोलिक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करें, जिससे नीति निर्माण की प्रक्रिया समावेशी और व्यापक हो। सदस्य उद्योग के विभिन्न उप-क्षेत्रों की नुमाइंदगी करेंगे जैसे लघु, मध्यम और बड़े उद्योग। कमेटी की सहायता के लिए एक मेंबर-सचिव नामित किया गया है, जो कमेटियों की बैठकें आयोजित करने, दस्तावेज तैयार करने और रिपोर्ट को अंतिम रूप देने की जिम्मेदारी संभालेगा।
टेक्सटाइल सेक्टर का पंजाब में महत्त्व
पंजाब लंबे समय से भारत के टेक्सटाइल हब के रूप में जाना जाता है, विशेषकर लुधियाना, अमृतसर और जालंधर जैसे शहरों में यह उद्योग व्यापक रूप से फैला हुआ है। यहां से रेडीमेड गारमेंट्स, यार्न, होजरी और डाइंग-प्रोसेसिंग उत्पाद देश और विदेशों में निर्यात किए जाते हैं।
राज्य में लगभग 15,000 से अधिक टेक्सटाइल यूनिट्स हैं, जो लाखों लोगों को रोजगार देती हैं। इसके अलावा पंजाब की टेक्सटाइल इंडस्ट्री का देश की कुल टेक्सटाइल निर्यात में भी बड़ा योगदान है। लेकिन हाल के वर्षों में ग्लोबल प्रतिस्पर्धा, कच्चे माल की लागत में वृद्धि, पर्यावरणीय प्रतिबंध और आधुनिक तकनीकों की कमी के चलते यह सेक्टर कुछ चुनौतियों से जूझ रहा है।
सरकार की रणनीति: टेक्सटाइल से आगे भी योजना
उद्योग मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि टेक्सटाइल सेक्टर की इन तीन कमेटियों के गठन के साथ ही राज्य सरकार ने कुल 22 सेक्टोरल कमेटियों के गठन की प्रक्रिया शुरू की है। ये सभी कमेटियां आने वाले दिनों में विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों जैसे—फूड प्रोसेसिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, ऑटोमोबाइल, स्टार्टअप्स आदि पर केंद्रित होंगी।