
पंजाब सरकार ने राज्य में युवाओं के स्वास्थ्य को लेकर एक कड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है। स्कूल और कॉलेजों की कैंटीनों तथा 500 मीटर के दायरे में एनर्जी ड्रिंक्स की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है। यह निर्णय एनर्जी ड्रिंक्स के बच्चों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को देखते हुए लिया गया है और जल्द ही इसे लेकर आधिकारिक आदेश जारी किए जाएंगे।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, इस दिशा में ग्राउंडवर्क लगभग पूरा हो चुका है और आने वाले सप्ताह में मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार इसे लागू करने की घोषणा कर सकती है। अगर यह प्रतिबंध अधिसूचित होता है, तो पंजाब भारत का पहला राज्य बन जाएगा, जहां एनर्जी ड्रिंक्स पर इस प्रकार की कानूनी रोक लगेगी।
क्यों उठाया गया यह कदम?
एनर्जी ड्रिंक्स को लेकर हाल के वर्षों में कई चिकित्सकीय अध्ययन और रिपोर्टें सामने आई हैं, जिनमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इन पेय पदार्थों में कैफीन, टॉरिन, गाराना और अन्य उत्तेजक तत्वों की अधिकता होती है। ये सभी तत्व विशेषकर किशोर और बच्चों के मस्तिष्क, हृदय और नींद चक्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह के अनुसार, “एनर्जी ड्रिंक्स बच्चों और किशोरों के लिए बिल्कुल सुरक्षित नहीं हैं। इनका अत्यधिक सेवन न केवल शारीरिक समस्याएं पैदा करता है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है। इसलिए हमने इनकी बिक्री पर रोक लगाने का निर्णय लिया है।”
क्या होगा प्रतिबंध का दायरा?
पंजाब सरकार के प्रस्ताव के अनुसार:
- राज्य के सभी स्कूल और कॉलेजों की कैंटीनों में एनर्जी ड्रिंक्स की बिक्री पूर्णतः प्रतिबंधित की जाएगी।
- इन शिक्षण संस्थानों के 500 मीटर के दायरे में स्थित दुकानों पर भी इन उत्पादों की बिक्री नहीं हो सकेगी।
- प्रस्ताव में कहा गया है कि इस नियम को तोड़ने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें जुर्माना और लाइसेंस रद्द करने तक की सजा हो सकती है।
सर्वे और वैज्ञानिक अध्ययन से ली जा रही मदद
इस निर्णय को लागू करने से पहले पंजाब सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के अधीन एक विशेष सर्वे की शुरुआत की है। इस सर्वे का उद्देश्य बाजार में बिक रहे एनर्जी ड्रिंक्स में मौजूद कैफीन की मात्रा, अन्य रसायनों, और इनके 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों पर पड़ने वाले असर का अध्ययन करना है।
इस योजना को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए डॉ. संदीप भोला को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। उनके नेतृत्व में सर्वे रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसकी सिफारिशों के आधार पर अंतिम अधिसूचना जारी होगी।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों और डॉक्टरों का मानना है कि एनर्जी ड्रिंक्स में कैफीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, जो बच्चों के लिए नुकसानदायक है।
- ये पेय बच्चों की नींद की गुणवत्ता को खराब करते हैं।
- इनके कारण बच्चों में चिड़चिड़ापन, एकाग्रता में कमी और घबराहट जैसी मानसिक समस्याएं देखी जा रही हैं।
- कुछ मामलों में यह हृदयगति को असामान्य करने का कारण भी बनता है।
एक बाल रोग विशेषज्ञ कहती हैं, “एनर्जी ड्रिंक्स बच्चों में धीरे-धीरे एक नशे की लत जैसी स्थिति पैदा कर देते हैं। वे इनका बार-बार सेवन करने लगते हैं, जिससे शारीरिक विकास और मानसिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यह फैसला समय की मांग है।”
वैश्विक उदाहरण और FSSAI की भूमिका
दुनिया के कई देशों—जैसे फ्रांस, नॉर्वे, लिथुआनिया और डेनमार्क—में एनर्जी ड्रिंक्स की बच्चों को बिक्री पर पहले से ही प्रतिबंध है। अब भारत में भी FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) इस दिशा में कदम उठाने की तैयारी कर रहा है।
FSSAI ने भी स्कूल कैंटीनों और 500 मीटर के आसपास की दुकानों में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को एनर्जी ड्रिंक्स की बिक्री पर रोक लगाने की सिफारिश की है। पंजाब सरकार का प्रस्ताव इसी दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।