
पंजाब सरकार ने राज्य की जेलों में फैले भ्रष्टाचार और नशे के नेटवर्क पर कड़ा प्रहार करते हुए सख्त कार्रवाई शुरू की है। जेल सुधारों की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए सरकार ने राज्य की विभिन्न जेलों में तैनात 25 अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। सस्पेंड किए गए अधिकारियों में तीन डिप्टी सुपरिंटेंडेंट और दो असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट भी शामिल हैं। यह कार्रवाई सीधे तौर पर जेलों में व्याप्त भ्रष्टाचार, अनुशासनहीनता और नशे के कारोबार से जुड़े मामलों पर आधारित है।
सरकार की इस कार्रवाई को पंजाब की जेल प्रणाली में लंबे समय से चल रहे गैरकानूनी गतिविधियों पर ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के रूप में देखा जा रहा है। एक तरफ राज्य सरकार जेलों को सुधार गृह बनाने के प्रयास में लगी है, वहीं दूसरी तरफ जेलों के भीतर से ही चल रहे नशे के नेटवर्क को तोड़ने की यह कार्रवाई महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
फिरोजपुर जेल में बड़ा खुलासा
इस कड़ी में सबसे बड़ा मामला फिरोजपुर सेंट्रल जेल से सामने आया है, जहां ड्यूटी पर तैनात एक कमांडो कर्मचारी को हेरोइन के साथ गिरफ्तार किया गया है। पकड़े गए कमांडो मुलाजिम का नाम सुक्खा सिंह है, जो कि तरनतारण जिले का निवासी है और बेल्ट नंबर 2सी/552 के तहत कार्यरत था।
जानकारी के अनुसार, जब सुक्खा सिंह ड्यूटी के लिए जेल में प्रवेश कर रहा था, उस समय मुख्य गेट पर सुरक्षा जांच के दौरान उसके जूते की तलाशी ली गई। तलाशी में जब उसके बाएं पैर के बूट को चेक किया गया, तो बूट के पतावे में छुपाकर रखी गई 20 ग्राम हेरोइन बरामद हुई। मौके पर उपस्थित असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट तरसेम सिंह भी इस जांच के दौरान मौजूद थे।
पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है। आशंका जताई जा रही है कि सुक्खा सिंह जेल के अंदर बंद कैदियों और विचाराधीन बंदियों को नशा सप्लाई करता था। यह मामला जेलों के भीतर नशा कारोबार की सच्चाई को उजागर करता है।
जेलों में भ्रष्टाचार का मजबूत नेटवर्क
पंजाब में जेलों के भीतर नशा और मोबाइल फोन जैसी प्रतिबंधित वस्तुओं की तस्करी के मामलों की संख्या बढ़ती जा रही थी। इसके पीछे जेल स्टाफ की मिलीभगत की आशंका कई बार जाहिर की जा चुकी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, “नशे की सप्लाई और मोबाइल नेटवर्क को जेल के भीतर संचालित करने के लिए कुछ कर्मचारी खुद ही सूत्रधार बन चुके थे। यही वजह है कि सख्त कदम जरूरी हो गया था।”
सरकार को लगातार इस बात की शिकायतें मिल रही थीं कि जेलों में कैदियों को नशा पहुंचाया जा रहा है, और यहां तक कि जेल स्टाफ इसमें लिप्त है। कई बार कैदियों के पास से मोबाइल फोन, सिम कार्ड, हेरोइन, और अन्य नशीली सामग्री बरामद की जा चुकी है।
मुख्यमंत्री और गृह विभाग का कड़ा रुख
मुख्यमंत्री भगवंत मान पहले ही जेलों को सुधार गृह बनाने की बात कह चुके हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था कि, “पंजाब की जेलों में अपराधियों को संरक्षण नहीं, सुधार मिलेगा। सरकार नशे के नेटवर्क को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
गृह विभाग ने इस दिशा में अधिकारियों को साफ निर्देश दिए थे कि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार या गैरकानूनी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसी नीति के तहत यह कार्रवाई की गई है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि आने वाले दिनों में और भी जांचें की जाएंगी, और दोषियों के खिलाफ कठोरतम कदम उठाए जाएंगे।
25 अधिकारियों का निलंबन: जेल सुधार की ओर बड़ा कदम
जिन 25 अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है, उनमें से अधिकांश पर गंभीर लापरवाही, संदिग्ध गतिविधियों में संलिप्तता और भ्रष्टाचार के आरोप हैं। इनमें 3 डिप्टी सुपरिंटेंडेंट, 2 असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट, 8 हेड वार्डर और बाकी जेल प्रहरी हैं।
इन अधिकारियों की गतिविधियों की जांच पिछले कुछ समय से चल रही थी, और सरकार के पास पर्याप्त साक्ष्य आने के बाद यह निर्णय लिया गया। यह पहली बार नहीं है जब जेल विभाग में इतने बड़े स्तर पर कार्रवाई की गई हो, लेकिन इस बार की कार्रवाई का दायरा और गंभीरता इसे एक मिसाल बनाती है।
आगे की रणनीति
पंजाब सरकार अब जेलों में सीसीटीवी कवरेज बढ़ाने, बॉडी स्कैनर, ड्रग डिटेक्शन डिवाइस और जैमर लगाने की योजना पर तेजी से काम कर रही है। साथ ही, जेल स्टाफ की बैकग्राउंड जांच, मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन और नियमित प्रशिक्षण का खाका भी तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा सरकार जेलों के भीतर चल रही गतिविधियों पर निगरानी के लिए एक स्वतंत्र निगरानी समिति गठित करने पर विचार कर रही है, जिसमें समाजसेवी, पूर्व न्यायाधीश और पुलिस अधिकारी शामिल होंगे।