
पंजाब में नशे के खिलाफ जारी ‘युद्ध नशे के विरुद्ध’ अभियान ने एक और महत्वपूर्ण पड़ाव पार कर लिया है। 31 मई को पंजाब पुलिस के डीजीपी गौरव यादव ने एक पत्रकार वार्ता में नशे के विरुद्ध की गई अब तक की कार्रवाई का लेखा-जोखा पेश करते हुए बताया कि नशे के नेटवर्क पर प्रभावी अंकुश लगाया गया है, लेकिन इसे पूरी तरह खत्म करने के लिए जमीनी स्तर पर लंबी लड़ाई अभी जारी है।
28 अप्रैल को डीजीपी ने पुलिस मुख्यालय में एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान राज्य के सभी पुलिस कमिश्नरों और एसएसपी को निर्देश दिया था कि 31 मई तक अपने-अपने क्षेत्रों में नशे का समूल नाश करें। अब जब यह डेडलाइन पूरी हो चुकी है, तो डीजीपी यादव ने राज्य के अगले 60 दिनों के लिए व्यापक एक्शन प्लान जारी कर दिया है।
60 दिनों का विशेष एक्शन प्लान: नई सूचियां, AI सिस्टम और सीमा पर एंटी-ड्रोन तकनीक
डीजीपी गौरव यादव ने स्पष्ट किया कि अगले दो महीनों के भीतर नशा तस्करों और सप्लायर्स के खिलाफ अभियान और तेज़ किया जाएगा। इसके लिए जिला पुलिस इकाइयों, खुफिया एजेंसियों और एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) की ओर से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर नशा तस्करों की नई सूचियां तैयार की जा रही हैं।
उन्होंने बताया कि NDPS एक्ट के तहत गिरफ्तार लोगों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक AI-संचालित डाटाबेस विकसित किया जा रहा है। यह सिस्टम पुलिस को संदिग्धों की गतिविधियों को मॉनिटर करने, उनका नेटवर्क ट्रैक करने और त्वरित कार्रवाई की योजना बनाने में मदद करेगा।
इसके अलावा, पाकिस्तान से ड्रोन के माध्यम से आने वाले मादक पदार्थों की चुनौती से निपटने के लिए पंजाब पुलिस ने 9 एंटी-ड्रोन सिस्टम खरीदने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। डीजीपी ने कहा, “सीमा सुरक्षा के मामले में यह एक महत्वपूर्ण तकनीकी उन्नति होगी।”
जेलों में नशा मुक्ति केंद्र और 500 करोड़ का नवीनीकरण पैकेज
पंजाब सरकार ने जेलों में बढ़ती नशाखोरी की समस्या से निपटने के लिए 500 करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी है। इस पैकेज के तहत राज्य की सभी जेलों में नशा मुक्ति केंद्रों की स्थापना की जाएगी, ताकि कैदी पुनर्वास और इलाज के माध्यम से मुख्यधारा में लौट सकें।
डीजीपी ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य नशा पीड़ित कैदियों को सुधार के रास्ते पर लाना है। “जेल केवल सजा का स्थान नहीं, सुधार का माध्यम भी होनी चाहिए,” उन्होंने कहा।
तीन महीने में भारी कार्रवाई: गिरफ्तारियां, जब्ती और हवाला नेटवर्क पर प्रहार
1 मार्च से 31 मई 2025 तक के आंकड़े नशे के खिलाफ लड़ाई में पंजाब पुलिस की गंभीरता को दर्शाते हैं। डीजीपी गौरव यादव के मुताबिक:
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8,344 FIRs दर्ज की गईं।
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14,734 नशा तस्कर गिरफ्तार किए गए, जिनमें 13,038 सामान्य तस्कर और 1,696 सूचीबद्ध सप्लायर शामिल हैं।
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586 किलोग्राम हेरोइन, 247 किलोग्राम अफीम, 14 टन भुक्की, 9 किलोग्राम चरस, 253 किलोग्राम गांजा, 2.5 किलोग्राम आईस, 1.6 किलोग्राम कोकीन, 25.70 लाख नशीली गोलियां/कैप्सूल, और ₹10.76 करोड़ की ड्रग मनी जब्त की गई।
नशा तस्करों की संपत्ति पर भी कार्रवाई: 74.27 करोड़ की अवैध संपत्ति जब्त
इस दौरान नशा कारोबार से अर्जित ₹74.27 करोड़ की अवैध संपत्तियों को जब्त किया गया और 104 संपत्तियों को ध्वस्त किया गया। यह कार्रवाई NDPS एक्ट की प्रावधानों के तहत की गई है।
डीजीपी ने बताया कि हवाला के जरिए होने वाली नशे की फंडिंग को रोकने के लिए 48 बड़े हवाला संचालकों को गिरफ्तार किया गया है। “हवाला नेटवर्क के ध्वस्त होने से नशे के कारोबार को आर्थिक रूप से गहरा झटका लगा है,” उन्होंने जोड़ा।
मानवता और पुनर्वास पर फोकस: 11,000 से अधिक पीड़ितों को इलाज के लिए प्रेरित किया
नशे की चपेट में आए युवाओं के पुनर्वास के लिए भी सरकार ने गंभीर प्रयास किए हैं:
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1,121 व्यक्तियों को, जो कम मात्रा में नशीले पदार्थों के साथ पकड़े गए, नशा मुक्ति और पुनर्वास केंद्रों में भेजा गया।
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5,786 नशा पीड़ितों को विभिन्न इलाज केंद्रों में ले जाया गया।
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6,483 व्यक्तियों को ओओएटी (Opioid Substitution Therapy) केंद्रों से इलाज के लिए प्रेरित किया गया।
यह आंकड़े बताते हैं कि पंजाब पुलिस की रणनीति केवल पकड़ने और दंडित करने तक सीमित नहीं है, बल्कि पुनर्वास और सामाजिक पुनरुत्थान की दिशा में भी गंभीर है।
ADGP और IGP ने की कार्रवाई की समीक्षा
पत्रकार वार्ता में एडीजीपी (एंटी-नारकोटिक्स फोर्स) नीलाभ किशोर और आईजीपी (हेडक्वार्टर) डॉ. सुखचैन सिंह गिल भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि पुलिस की टीमों ने जिला स्तर पर लगातार अभियान चलाकर नशे के जाल को तोड़ने का प्रयास किया है। आने वाले समय में और भी तकनीकी संसाधनों को जोड़ा जाएगा।