पंजाब राज्य चुनाव आयोग ने राज्य के पांच प्रमुख नगर निगमों के लिए 86 नामांकन रद्द कर दिए हैं। इस फैसले ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, खासकर विपक्षी दलों द्वारा इस कदम को राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित बताया जा रहा है। चुनाव आयोग ने जालंधर, लुधियाना, फगवाड़ा, अमृतसर और पटियाला नगर निगमों के लिए कुल 86 नामांकन रद्द किए हैं। इन रद्द किए गए नामांकनों में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रत्याशी शामिल हैं, जिनमें कांग्रेस, भाजपा और शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार भी शामिल हैं।
पंजाब राज्य चुनाव आयोग द्वारा रद्द किए गए नामांकन विभिन्न कारणों से हुए हैं। चुनाव आयोग ने इन नामांकनों की जांच के बाद यह फैसला लिया है कि इन प्रत्याशियों के नामांकन प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ियां थीं या वे वैध दस्तावेज़ प्रस्तुत करने में विफल रहे थे।
- नगर निगम जालंधर – यहां कुल 5 नामांकन रद्द किए गए हैं।
- नगर निगम लुधियाना – 19 नामांकन रद्द किए गए हैं।
- नगर निगम फगवाड़ा – 1 नामांकन रद्द किया गया है।
- नगर निगम अमृतसर – सबसे ज्यादा 53 नामांकन रद्द किए गए हैं।
- नगर निगम पटियाला – 8 नामांकन रद्द किए गए हैं।
विपक्ष का आरोप
पंजाब राज्य चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद विपक्षी दलों ने विरोध जताया है। कांग्रेस, भाजपा और शिरोमणि अकाली दल ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग के इस कदम का उद्देश्य उनके उम्मीदवारों को निशाना बनाना है। इन दलों ने इस कार्रवाई को राजनीतिक साजिश करार दिया है और कहा है कि यह कदम सत्ता पक्ष द्वारा विपक्ष को कमजोर करने के लिए उठाया गया है।
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग के फैसले को अनुचित और पक्षपाती बताते हुए विरोध जताया। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि आयोग ने अपने फैसले में पूर्ण पारदर्शिता का पालन नहीं किया है और विपक्ष के उम्मीदवारों को निशाना बनाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता में बैठे दल के उम्मीदवारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, जबकि विपक्षी उम्मीदवारों को अकारण परेशान किया गया है।
भा.ज.पा. का बयान
भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने भी चुनाव आयोग के इस फैसले की आलोचना की है। पार्टी के नेताओं ने कहा कि यह राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित निर्णय है। भा.ज.पा. के राज्य प्रवक्ता ने कहा, “यह एक स्पष्ट रूप से दिखाने की कोशिश की जा रही है कि कैसे चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित किया जा सकता है।” पार्टी ने इस मामले में राज्य चुनाव आयोग से पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग की है।
शिरोमणि अकाली दल की प्रतिक्रिया
शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने भी चुनाव आयोग के इस कदम का विरोध किया है। पार्टी ने आरोप लगाया कि सरकार की ओर से यह एक कूटनीतिक चाल है, जिसके तहत विपक्षी दलों को चुनाव से बाहर करने की कोशिश की जा रही है। अकाली दल के नेता ने कहा कि उनके प्रत्याशियों के नामांकन रद्द होने के पीछे एक स्पष्ट साजिश है, ताकि उनके दल को चुनावी मैदान से बाहर किया जा सके।
चुनाव आयोग का बचाव
चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों के आरोपों का खंडन किया है और अपनी कार्रवाई को सही ठहराया है। चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि यह कदम पूरी तरह से चुनावी नियमों के तहत उठाया गया है। आयोग ने बताया कि नामांकन रद्द करने का कारण सभी राजनीतिक दलों को पहले ही स्पष्ट कर दिया गया था और सभी संबंधित दस्तावेजों की जांच की गई थी।
चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “हमने सभी नामांकनों की विस्तृत जांच की और केवल उन उम्मीदवारों के नामांकन रद्द किए गए, जिनके दस्तावेज़ सही नहीं थे या वे प्रक्रिया के तहत नहीं आए थे।” उन्होंने कहा कि इस कदम का उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाना है, न कि किसी एक राजनीतिक दल को लाभ पहुँचाना।