पंजाब-हरियाणा सीमा पर शंभू-खनौरी बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों के समर्थन में 18 दिसंबर को पंजाब भर में रेल रोको आंदोलन किया जाएगा। किसानों का यह आंदोलन बुधवार को पूरे पंजाब में एक बड़े पैमाने पर आयोजित किया जाएगा। किसानों के इस आंदोलन के चलते राज्य के नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में इस आंदोलन के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
आंदोलन का उद्देश्य और किसान नेताओं के बयान
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन को अब 22 दिन हो चुके हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक किसानों से बात नहीं की है। उनका आरोप है कि केंद्र सरकार किसानों के मुद्दों को डीरेल करना चाहती है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की नीतियों के कारण किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है और उनकी आवाज को अनसुना किया जा रहा है। पंधेर ने कहा, “हमारे आंदोलन का उद्देश्य केंद्र सरकार को यह अहसास दिलाना है कि किसानों के मुद्दे बेहद गंभीर हैं और उनका समाधान अवश्य होना चाहिए।”
पंधेर ने यह भी बताया कि 17 दिसंबर को हरियाणा और अन्य राज्यों में किसानों ने ट्रैक्टर मार्च निकाला था, जिसके लिए उन्होंने किसानों का धन्यवाद किया। अब 18 दिसंबर को पूरे पंजाब में रेल रोको आंदोलन किया जाएगा। यह आंदोलन दोपहर 12 से 3 बजे तक चलेगा, जिसमें किसान विभिन्न रेलवे ट्रैक और स्टेशन पर धरना देंगे। इस दौरान किसानों का उद्देश्य रेल पटरियों को अवरुद्ध करना है ताकि केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाई जा सके। पंधेर ने कहा कि इस आंदोलन में पंजाब के लाखों लोग शामिल होंगे, और किसानों का समर्थन करने के लिए वे रेल ट्रैक और स्टेशनों पर पहुंचेगें।
किसानों के संघर्ष को एकजुटता के साथ समर्थन
किसान नेता ने कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दिखाया जा रहा है कि किसानों की दो यूनियनों के बीच मतभेद हैं, लेकिन यह पूरी तरह से गलत है। पंधेर ने स्पष्ट किया कि किसान एकजुट हैं और वे मिलकर अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी पार्टियां किसानों की आवाज को संसद में नहीं उठा रही हैं, जिसके कारण किसानों की समस्याएं अनसुनी हो रही हैं। पंधेर ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी सवाल उठाए और पूछा, “वे किसानों के लिए क्या कर रहे हैं?”
ज्ञानी हरप्रीत सिंह का समर्थन
इस बीच, मंगलवार को किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से मिलने के लिए जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह भी पहुंचे। उन्होंने डल्लेवाल का हालचाल लिया और उनके समर्थन में कहा कि यदि खेतीबाड़ी क्षेत्र जीवित रहेगा, तो देश भी जीवित रहेगा। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि 22 दिनों से डल्लेवाल आमरण अनशन पर हैं, और उनकी सेहत लगातार बिगड़ रही है, लेकिन केंद्र सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है।
इसके अलावा, पूर्व कैबिनेट मंत्री चेतन सिंह जौड़ामाजरा और पंजाबी गायक रेशम अनमोल भी डल्लेवाल से मिलने पहुंचे और उनके आंदोलन को अपना समर्थन दिया।
रेल रोको आंदोलन में शामिल होने की अपील
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने पंजाब के लोगों से 18 दिसंबर को होने वाले रेल रोको आंदोलन में भाग लेने की अपील की है। उन्होंने कहा, “हम पंजाब के 13,000 गांवों के लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे रेलवे ट्रैक, नजदीकी रेलवे क्रॉसिंग और रेलवे स्टेशनों को 12 बजे से 3 बजे तक बंद कर दें।” उन्होंने यह भी कहा कि यह आंदोलन किसानों के हक की लड़ाई है और हर पंजाबी को इस आंदोलन का हिस्सा बनना चाहिए।
आंदोलन के दौरान रोकी जाने वाली ट्रेनें
18 दिसंबर के रेल रोको आंदोलन के दौरान पंजाब में विभिन्न स्थानों पर ट्रेनें रोकने का कार्यक्रम तय किया गया है। किसानों ने 200 से ज्यादा स्थानों पर ट्रेनें रोकने का प्लान तैयार किया है। प्रमुख स्थानों पर ट्रेनें रोकी जाएंगी, जिनमें मोगा, फरीदकोट, जालंधर, पटियाला, अमृतसर, लुधियाना, कपूरथला, फिरोजपुर और अन्य जिले शामिल हैं।
जिला मोगा में जितवाल, डगरू, और मोगा स्टेशन पर ट्रेनें रोकी जाएंगी। जिला फरीदकोट में फरीदकोट स्टेशन, जिला गुरदासपुर में कादियां, फतेहगढ़ चूड़ियां, बटाला प्लेटफॉर्म जैसे प्रमुख स्थानों पर ट्रेनें रुकेंगी। इसके अलावा, जालंधर में लोईआं खास, फिल्लौर, जालंधर कैंट और ढिल्लवां जैसे स्थानों पर भी ट्रेनें रोकी जाएंगी।
जिला अमृतसर में देवीदासपुरा, ब्यास, पंधेर कलां, काठू नंगल और रमदास जैसे प्रमुख स्थानों पर ट्रेनें रोकने का निर्णय लिया गया है। इसी तरह से, जिला लुधियाना, पटियाला, पठानकोट, फिरोजपुर, मुक्तसर और तरनतारन जैसे जिलों में भी किसानों के समर्थन में ट्रेनें रोकी जाएंगी।
आम जनता को होने वाली परेशानी
किसान नेताओं ने यह स्पष्ट किया कि उनका आंदोलन शांति पूर्ण रहेगा, लेकिन इसके बावजूद इस आंदोलन के कारण आम जन को खासी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। ट्रेनों के रुकने के कारण यात्रियों को भारी असुविधा हो सकती है और अन्य यातायात साधनों पर भी दबाव बढ़ सकता है। हालांकि किसान नेताओं ने इस आंदोलन को किसानों के अधिकारों की लड़ाई बताया है और जनता से सहयोग की अपील की है।