
पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने आज अपने मंत्रिमंडल में एक अहम फेरबदल करते हुए लुधियाना पश्चिम से नव-निर्वाचित विधायक संजीव अरोड़ा को मंत्री पद की शपथ दिलाई है। राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने राजभवन में आयोजित एक समारोह में अरोड़ा को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथग्रहण के साथ ही अरोड़ा को इंडस्ट्री (उद्योग) और एनआरआई अफेयर्स विभाग की जिम्मेदारी दी गई है, जो पहले मंत्री कुलदीप धालीवाल के पास थे।
इस बदलाव के साथ ही पंजाब कैबिनेट में पिछले कुछ समय से चल रहे अंतर्विरोध और प्रशासनिक पुनर्गठन की अटकलों को विराम मिल गया है। वहीं, कुलदीप धालीवाल ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक भावुक पोस्ट लिखकर अपने फैसले का ऐलान किया है।
संजीव अरोड़ा को मिला महत्वपूर्ण मंत्रालय
लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट से हाल ही में उपचुनाव जीतने वाले संजीव अरोड़ा को मंत्री बनाए जाने की संभावना पहले से ही जताई जा रही थी। मुख्यमंत्री भगवंत मान और AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने चुनाव प्रचार के दौरान यह वादा किया था कि यदि अरोड़ा जीतते हैं, तो उन्हें कैबिनेट में जगह दी जाएगी।
अरोड़ा को जिन दो विभागों की जिम्मेदारी दी गई है – उद्योग (Industry) और गैर-आवासीय भारतीय मामलों का विभाग (NRI Affairs) – वे पंजाब की अर्थव्यवस्था और वैश्विक जुड़ाव के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
उनकी व्यावसायिक पृष्ठभूमि और अंतरराष्ट्रीय अनुभव को देखते हुए यह नियुक्ति रणनीतिक दृष्टिकोण से की गई है।
कुलदीप धालीवाल ने दिया इस्तीफा, जताई नाराजगी
इस फेरबदल के तहत उद्योग और एनआरआई विभाग संभाल रहे मंत्री कुलदीप धालीवाल को उनके पद से हटा दिया गया है। इसके बाद धालीवाल ने स्वेच्छा से इस्तीफा दे दिया और सोशल मीडिया पर अपने इस्तीफे को लेकर भावनात्मक प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने एक्स पर लिखा, “अपने पंजाब के लोगों के भले के लिए मेरी मेहनत जारी है। मैंने 2013 में अमेरिका की सिटिजनशिप छोड़कर भारत लौटने का फैसला किया था। तब से एक दिन भी छुट्टी नहीं ली है। मुझे पद और विभागों की चिंता नहीं है। मैं पहले की तरह पंजाब के लिए काम करता रहूंगा।”
धालीवाल के इस बयान से स्पष्ट संकेत मिलता है कि वह अपने विभाग छीने जाने से आहत हैं, हालांकि उन्होंने पार्टी या मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष बयान नहीं दिया।
फेरबदल में राजनीति और समीकरण
संजीव अरोड़ा की नियुक्ति के पीछे राजनीतिक वादों को निभाना और क्षेत्रीय संतुलन कायम रखना दो मुख्य कारण माने जा रहे हैं। पंजाब मंत्रिमंडल में अभी दो पद खाली थे और अरोड़ा को जोड़ने के साथ अब एक ही स्थान बचा है।
यह पार्टी हाईकमान के भरोसे को दिखाता है, जो चुनाव जीतने और जनता के बीच काम करने वाले चेहरों को तुरंत अहम जिम्मेदारियां सौंपने में संकोच नहीं करता।
AAP सरकार के तीन साल के कार्यकाल में यह सातवां कैबिनेट फेरबदल है। इससे पहले भी पिछले साल सितंबर 2024 में चार मंत्रियों को हटाकर पांच नए चेहरों को शामिल किया गया था। तब भी पार्टी ने प्रदर्शन और जनविश्वास के आधार पर फैसले लिए थे।
क्यों खास है इंडस्ट्री और एनआरआई मंत्रालय
पंजाब में उद्योग जगत लंबे समय से ब्यूरोक्रेटिक बाधाओं, निवेश में गिरावट और औद्योगिक पलायन जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है। संजीव अरोड़ा को उद्योग मंत्रालय सौंपना एक संकेत है कि सरकार अब निवेश और रोजगार के नए अवसरों पर जोर देना चाहती है।
NRI विभाग भी पंजाब में खास महत्व रखता है क्योंकि यहां से लाखों लोग विदेशों में बस चुके हैं और पंजाब की सामाजिक-आर्थिक संरचना पर उनका बड़ा असर है। अरोड़ा को इस विभाग की जिम्मेदारी देना उनके अंतरराष्ट्रीय संपर्कों और प्रवासी मुद्दों की समझ को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
राज्यपाल की व्यस्तता के चलते टला था कार्यक्रम
इस कैबिनेट विस्तार को पहले पिछले सप्ताह आयोजित किया जाना था, लेकिन राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया की व्यस्तताओं के चलते इसे टालना पड़ा। मुख्यमंत्री भगवंत मान और राज्यपाल के बीच दो दिन पहले ही एक मुलाकात हुई थी, जिसमें इस विषय के साथ-साथ चंडीगढ़ में पार्टी को स्थायी कार्यालय आवंटन पर भी चर्चा हुई थी।
पार्टी के लिए नैतिकता और वादे निभाना महत्वपूर्ण: मान
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “हमने चुनाव प्रचार के दौरान जो वादा किया था, उसे आज पूरा किया। हमारी पार्टी राजनीति में वादों को निभाने और पारदर्शिता लाने के लिए जानी जाती है। संजीव अरोड़ा मेहनती और दूरदर्शी नेता हैं, जो पंजाब के लिए बेहतर काम करेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार आने वाले समय में औद्योगिक नीति को और मजबूत बनाने के लिए नए कदम उठाएगी।
संजीव अरोड़ा की पृष्ठभूमि
संजीव अरोड़ा का जन्म लुधियाना में हुआ और वह एक प्रख्यात उद्योगपति और समाजसेवी हैं। उन्होंने पहले राज्यसभा सांसद के रूप में सेवा दी थी, लेकिन विधायक चुने जाने के बाद उन्होंने संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
उनका राजनीतिक सफर अपेक्षाकृत नया है, लेकिन वह व्यवसाय, सामाजिक कार्य और नीति निर्माण में गहरी समझ रखते हैं। उनके कैबिनेट में शामिल होने से यह उम्मीद की जा रही है कि पंजाब सरकार के कामकाज में नई ऊर्जा और परिणाम केंद्रित दृष्टिकोण आएगा।