
पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ने एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक फेरबदल करते हुए राज्य के बिजली विभाग (पावर डिपार्टमेंट) की जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्री हरभजन सिंह ईटीओ से वापस ले ली है। अब यह अहम विभाग हाल ही में मंत्री बने संजीव अरोड़ा को सौंपा गया है, जो पहले ही उद्योग, निवेश प्रोत्साहन (इन्वेस्टमेंट प्रमोशन) और NRI मामलों के मंत्री हैं। इस बदलाव से स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि पंजाब कैबिनेट में अरोड़ा का कद तेजी से बढ़ रहा है, जबकि हरभजन सिंह ईटीओ की भूमिका में अपेक्षाकृत कटौती हुई है।
अरोड़ा को मिला बड़ा दायित्व, कद में भारी इज़ाफा
बिजली विभाग पंजाब सरकार के सबसे अहम और संवेदनशील विभागों में से एक है। राज्य में बिजली संकट, वितरण और सब्सिडी को लेकर लगातार विपक्षी हमलों और जन आकांक्षाओं के बीच इस विभाग की ज़िम्मेदारी देना संजीव अरोड़ा को सत्ता के केंद्र में ला खड़ा करता है।
अब अरोड़ा के पास उद्योग, इन्वेस्टमेंट प्रमोशन, NRI अफेयर्स और बिजली विभाग हैं — ये चारों विभाग सीधे तौर पर राज्य की अर्थव्यवस्था, निवेश आकर्षण और नागरिक सेवाओं से जुड़े हैं। इससे यह भी संकेत मिलता है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान और पार्टी नेतृत्व अरोड़ा पर जबरदस्त भरोसा जता रहे हैं।
हरभजन सिंह ईटीओ को झटका, अब सिर्फ PWD विभाग
हरभजन सिंह ईटीओ, जो अब तक बिजली विभाग संभाल रहे थे, उनसे यह जिम्मेदारी हटाकर केवल लोक निर्माण विभाग (PWD) तक सीमित कर दिया गया है। राजनीतिक गलियारों में इस कदम को उनके कद में कटौती के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि PWD भी एक अहम विभाग है, लेकिन बिजली विभाग की तुलना में इसका राजनीतिक और प्रशासनिक प्रभाव अपेक्षाकृत कम माना जाता है।
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि हाल के महीनों में बिजली विभाग के कामकाज को लेकर सरकार के अंदर असंतोष रहा है। प्रदेश में बिजली आपूर्ति और बिलिंग प्रणाली को लेकर जनता की नाराजगी और विपक्ष के आरोपों ने विभाग के प्रदर्शन पर सवाल खड़े किए थे।
संजीव अरोड़ा: तेजी से उभरता नाम
संजीव अरोड़ा का राजनीतिक उदय आम आदमी पार्टी की रणनीतिक सोच को दर्शाता है। जुलाई 2025 में उन्होंने लुधियाना वेस्ट उपचुनाव में जीत हासिल की थी, जिसके बाद उन्हें कैबिनेट में शामिल किया गया। इस चुनाव से पहले वे राज्यसभा सदस्य थे, और चुनाव जीतने के बाद उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था — यह कदम दर्शाता है कि वे पूर्णकालिक राज्य की राजनीति में उतरने को तैयार थे।
अरोड़ा को आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और मुख्यमंत्री भगवंत मान का करीबी माना जाता है। उपचुनाव के दौरान खुद केजरीवाल ने मंच से कहा था कि यदि अरोड़ा जीतते हैं, तो उन्हें मंत्री बनाया जाएगा — और पार्टी ने अपना वादा निभाया।