मोगा, पंजाब: पंजाब के मोगा जिले में आज एक विशाल महापंचायत आयोजित की जा रही है, जो शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन के समर्थन में है। इस महापंचायत में किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर रणनीति तैयार की जा रही है, विशेष रूप से केंद्र सरकार की तरफ से उनकी मांगों की अनदेखी और डल्लेवाल की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति पर भी गंभीर चर्चा हो रही है।
किसान नेताओं का कहना है कि यह महापंचायत किसानों के संघर्ष को और मजबूती प्रदान करेगी और सरकार पर दबाव बनाएगी ताकि उनकी मांगों को गंभीरता से लिया जाए। महापंचायत में करीब 30 से 40 हजार किसान पहुंचने की उम्मीद है। इस मौके पर हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसान नेता भी शामिल हो रहे हैं। इसके अलावा पंजाब के प्रमुख किसान जत्थेबंदियों के नेता भी मंच पर मौजूद हैं और उन्होंने किसानों को संबोधित किया।
मोगा की दाना मंडी में महापंचायत
मोगा की दाना मंडी में आयोजित इस महापंचायत में किसानों की बड़ी संख्या में भागीदारी हो रही है। महापंचायत का मुख्य उद्देश्य शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को समर्थन देना है। किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से आयोजित इस महापंचायत में केंद्र सरकार के खिलाफ भी आवाज उठाई जा रही है, खासकर उन नीतियों का विरोध किया जा रहा है जिनसे किसानों की समस्याएं बढ़ी हैं।
इस महापंचायत के माध्यम से किसानों का कहना है कि वे अपनी लंबित मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं और जब तक सरकार उनकी मांगों पर ठोस कदम नहीं उठाती, उनका आंदोलन जारी रहेगा। इसमें विशेष रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) गारंटी कानून की मांग, नई कृषि नीति के खिलाफ असहमति और किसानों के लिए सुरक्षित और लाभकारी कृषि नीति की मांग की जा रही है।
महापंचायत में राकेश टिकैत सहित कई प्रमुख किसान नेता उपस्थित हैं। उन्होंने अपने भाषण में सरकार से किसानों की समस्याओं का समाधान शीघ्र करने की अपील की और आंदोलन को और तेज करने का संकल्प लिया। राकेश टिकैत ने किसानों से अपील की कि वे एकजुट रहें और सरकार पर दबाव बनाने के लिए संघर्ष जारी रखें। उन्होंने कहा कि यह महापंचायत सरकार के खिलाफ एक मजबूत संदेश भेजेगी कि किसान अपनी मांगों को लेकर कभी भी समझौता नहीं करेंगे।
मोगा पुलिस की तैयारियां
किसान महापंचायत के कारण मोगा शहर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। जिला पुलिस पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है और शहर में किसी भी प्रकार की अशांति को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। महापंचायत में भारी संख्या में किसानों के आने की उम्मीद है, और इसलिए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए 300 पुलिस कर्मियों की तैनाती की है।
एसएसपी मोगा, अजय गांधी ने विभाग द्वारा किए गए सुरक्षा प्रबंधों का जायजा लिया और सभी आवश्यक इंतजाम सुनिश्चित किए। पुलिस ने किसान नेताओं से भी बैठक की और सुरक्षा उपायों को लेकर चर्चा की, ताकि महापंचायत के दौरान कोई भी अप्रिय घटना न घटे। पुलिस का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि महापंचायत शांतिपूर्वक और व्यवस्थित तरीके से संपन्न हो, और आम जनता को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहा आंदोलन
शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन पिछले कुछ महीनों से जारी है। किसान यहां केंद्र सरकार की नीतियों और कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि वे जब तक अपनी मांगों को पूरा नहीं करवा लेते, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। इस दौरान शंभू और खनौरी बॉर्डर पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है और हजारों किसानों ने अपनी आवाज बुलंद की है।
किसान नेताओं ने कहा कि यह महापंचायत शंभू और खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों को एकजुट करने और उनके संघर्ष को तेज करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। किसान संगठनों का कहना है कि वे सरकार से अपनी मांगों पर ठोस कार्यवाही की उम्मीद कर रहे हैं, और यदि उनकी आवाज को नजरअंदाज किया गया तो उनका संघर्ष और भी तेज होगा।
डल्लेवाल की बिगड़ती स्थिति
महापंचायत में डल्लेवाल की बिगड़ती स्थिति को लेकर भी चर्चा हो रही है। डल्लेवाल पिछले कई दिनों से अनशन पर हैं, और उनकी हालत अब गंभीर हो गई है। उनकी स्वास्थ्य स्थिति में लगातार गिरावट आ रही है, और उनकी तबीयत को लेकर किसान नेता बेहद चिंतित हैं। किसान नेताओं ने कहा है कि अगर डल्लेवाल की स्थिति में जल्द सुधार नहीं होता है तो वे इस मामले को और गंभीरता से उठाएंगे।
किसान नेताओं ने कहा कि डल्लेवाल का अनशन केवल उनकी व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है, बल्कि यह पूरे किसान आंदोलन की लड़ाई का प्रतीक है। उनकी हालत के बावजूद किसान संगठनों ने यह संकल्प लिया है कि उनका संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार उनकी मांगों को पूरी नहीं करती।
महापंचायत के बाद की रणनीति
महापंचायत के बाद किसान नेताओं ने आगामी रणनीति की घोषणा भी की है। उन्होंने कहा कि किसानों का संघर्ष अब एक नई दिशा में बढ़ेगा। इसके तहत किसान संगठन जल्द ही केंद्र सरकार के खिलाफ नई कार्रवाइयां करेंगे, जिसमें आगामी दिनों में पुतला दहन, कृषि नीति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और ट्रैक्टर मार्च जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।
किसान नेताओं ने यह भी बताया कि 10 जनवरी को पूरे देश में मोदी सरकार के पुतले जलाए जाएंगे और 13 जनवरी को नई कृषि नीति की ड्राफ्ट कॉपियां जलाने का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसके बाद 26 जनवरी को किसानों का विशाल ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा, जो पूरे देश में एक संदेश भेजेगा कि किसान अपनी मांगों के लिए हर संभव संघर्ष करने के लिए तैयार हैं।
निष्कर्ष
मोगा में आयोजित महापंचायत ने किसानों के आंदोलन को एक नई ताकत दी है। इस महापंचायत ने यह साफ कर दिया है कि किसान अपनी मांगों के लिए किसी भी स्थिति में संघर्ष करने के लिए तैयार हैं। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन को लेकर उनकी आवाज बुलंद हो चुकी है और आगामी दिनों में केंद्र सरकार के खिलाफ कई प्रकार के विरोध प्रदर्शन देखने को मिल सकते हैं। इस महापंचायत के माध्यम से किसानों ने सरकार को स्पष्ट संदेश दिया है कि वे अपनी जायज मांगों से पीछे नहीं हटेंगे।