पंजाब की चार विधानसभा सीटों के लिए बुधवार को हुए उपचुनाव में कुल 63.91 प्रतिशत मतदान हुआ, जिसमें गिद्दरबाहा सीट पर सबसे अधिक 81.90 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। इन उपचुनावों में पंजाब के विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच कड़ा मुकाबला देखा गया, जिनमें आम आदमी पार्टी (AAP), कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (BJP) प्रमुख रूप से शामिल थे। यह उपचुनाव राज्य की गिद्दरबाहा, डेरा बाबा नानक, चब्बेवाल (आरक्षित) और बरनाला विधानसभा क्षेत्रों में हुए थे, जिनमें चुनावी प्रक्रिया को लेकर मतदाताओं का उत्साह देखा गया। अधिकारियों ने गुरुवार को मतदान के आंकड़े जारी किए, जिसमें इन चार सीटों पर कुल 6.96 लाख मतदाता थे, जिनमें 2.15 लाख महिलाएं भी शामिल थीं।
81.90 प्रतिशत मतदान से गिद्दरबाहा सीट पर दिखा उत्साह
गिद्दरबाहा सीट पर सर्वाधिक मतदान देखा गया जहां 81.90 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। यह आंकड़ा 2022 के विधानसभा चुनाव में गिद्दरबाहा में हुई मतदान प्रतिशत से कम था जो कि 84.93 प्रतिशत था। हालांकि गिद्दरबाहा क्षेत्र में इस बार भी वोटिंग की दर अपेक्षाकृत ज्यादा रही, जो यह दर्शाता है कि यहां के लोग चुनाव में अपनी भागीदारी को लेकर गंभीर हैं।
अधिकारियों के मुताबिक गिद्दरबाहा क्षेत्र में कुल 1.65 लाख मतदाता हैं जिनमें 50 प्रतिशत से अधिक महिला मतदाता शामिल थे। यह क्षेत्र पंजाब के प्रमुख राजनीतिक नेताओं के लिए महत्वपूर्ण रहा है, और इस बार भी विभिन्न पार्टियों ने यहां अपनी पूरी ताकत झोंकी है।
डेरा बाबा नानक, चब्बेवाल और बरनाला में औसत मतदान
दूसरी ओर, डेरा बाबा नानक विधानसभा क्षेत्र में 64.01 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव में यहां 73.70 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस क्षेत्र में भी एक मजबूत मुकाबला देखने को मिला है, जहां आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों ने अपनी पूरी ताकत झोंकी।
चब्बेवाल (आरक्षित) क्षेत्र में 53.43 प्रतिशत और बरनाला में 56.34 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। बरनाला क्षेत्र में पिछले विधानसभा चुनाव में मतदान की दर 71.45 प्रतिशत थी, जबकि चब्बेवाल में यह 71.19 प्रतिशत थी। इस बार इन दोनों सीटों पर मतदान में गिरावट देखी गई, हालांकि यह उम्मीद की जा रही है कि परिणाम के बाद मतदाताओं के रुझान पर और अधिक विश्लेषण किया जाएगा।
दिग्गज नेताओं के बीच मुकाबला
इन उपचुनावों में विभिन्न प्रमुख उम्मीदवारों के बीच मुकाबला हुआ है, जिसमें आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और भाजपा के नेताओं ने अपनी चुनावी किस्मत आजमाई है। गिद्दरबाहा, डेरा बाबा नानक, चब्बेवाल और बरनाला में प्रमुख उम्मीदवारों में पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल, केवल सिंह ढिल्लों, सोहन सिंह ठंडल और रविकरण सिंह कहलों (भा.ज.पा.), अमृता वडिंग और जतिंदर कौर (कांग्रेस), और हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों और इशांक कुमार (आप) शामिल हैं।
मनप्रीत सिंह बादल, जो पहले भी पंजाब के वित्त मंत्री रह चुके हैं, गिद्दरबाहा सीट से चुनावी मैदान में हैं। वहीं, कांग्रेस पार्टी से अमृता वडिंग और जतिंदर कौर उम्मीदवार हैं, जिनके नाम राज्य की प्रमुख राजनीतिक हस्तियों के रूप में माने जाते हैं। अमृता वडिंग कांग्रेस के पंजाब प्रमुख एवं लुधियाना के सांसद अमरिंदर सिंह राजा वडिंग की पत्नी हैं, जबकि जतिंदर कौर गुरदासपुर के सांसद और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा की पत्नी हैं।
आम आदमी पार्टी ने गिद्दरबाहा, डेरा बाबा नानक और चब्बेवाल सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जिनमें हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों और इशांक कुमार प्रमुख हैं।
2022 के विधानसभा चुनावों से तुलना
इन उपचुनावों को 2022 के विधानसभा चुनावों के साथ तुलना करते हुए देखा जा रहा है। 2022 में इन क्षेत्रों में कुल मतदान प्रतिशत अधिक था, खासकर गिद्दरबाहा में। हालांकि, अब यह देखना होगा कि मतदान प्रतिशत में मामूली गिरावट के बावजूद, चुनाव परिणाम किस दिशा में जाते हैं।
पंजाब में विधानसभा की कुल 117 सीटें हैं, जिनमें से वर्तमान में आम आदमी पार्टी के पास 91 सीटें हैं। कांग्रेस के पास 15, शिरोमणि अकाली दल के पास 3, भाजपा के पास 2, और बहुजन समाज पार्टी का एक विधायक है। एक निर्दलीय विधायक भी हैं। इन उपचुनावों के परिणाम पार्टी के भीतर शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं, और साथ ही आगामी लोकसभा चुनावों के लिए राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकते हैं।
पंजाब में राजनीतिक दलों की रणनीति
पंजाब में विधानसभा उपचुनावों को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीतियां बनाई थीं। आम आदमी पार्टी, जो पंजाब में राज्य सरकार चला रही है, ने इन चुनावों में अपनी पकड़ को मजबूत करने का लक्ष्य रखा। वहीं कांग्रेस और भाजपा ने इन सीटों पर वापसी के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकी है।
गिद्दरबाहा और डेरा बाबा नानक जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में इन तीन प्रमुख दलों ने अपनी पूरी चुनावी मशीनरी को सक्रिय किया, जिससे चुनावी प्रचार में भी काफी जोश देखा गया। भाजपा हालांकि राज्य में सत्ता में नहीं है, फिर भी इन उपचुनावों को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कर रही है।