हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के नजदीक आते ही गुरमीत राम रहीम एक बार फिर चर्चा का केंद्र बना हुआ है। हाल ही में उसे 20 दिनों के लिए सशर्त पैरोल दी गई है, जिससे उसकी राजनीतिक स्थिति पर सवाल उठने लगे हैं। राम रहीम ने हरियाणा चुनाव आयोग को इमरजेंसी पैरोल के लिए आवेदन दिया था, जिसे मंजूरी मिल गई है। उसकी इस पैरोल के पीछे क्या कारण हैं, और यह चुनावी राजनीति में क्या बदलाव ला सकती है, आइए जानते हैं।
गुरमीत राम रहीम की पैरोल का इतिहास
- 24 अक्टूबर 2020: एक दिन की पैरोल मिली।
- 21 मई 2021: एक दिन की पैरोल पर जेल से बाहर आया।
- 7 फरवरी 2021: पहली बार 21 दिन की फरलो मंजूर हुई।
- 17 जून 2022: 30 दिन की पैरोल मिली।
- 15 अक्टूबर 2022: 88 दिन बाद फिर पैरोल मिली।
- 21 जनवरी 2023: 40 दिन की पैरोल मिली।
- 20 जुलाई 2023: 30 दिन की पैरोल मिली, जहां वह बरनावा आश्रम में रहे।
- 21 नवंबर 2023: 21 दिन की फरलो पर फिर से बरनावा आए।
- 19 जनवरी 2024: 50 दिन की पैरोल पर बाहर आए।
- 14 अगस्त 2024: 10वीं बार पैरोल पर बाहर आए।
- 1 अक्टूबर 2024: एक बार फिर 20 दिन की पैरोल मिली।
पैरोल की प्रक्रिया
पैरोल एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत कैदी को कुछ शर्तों के साथ जेल से अस्थायी रूप से रिहा किया जाता है। यह प्रक्रिया इस मान्यता पर आधारित होती है कि कैदी ने सुधार किया है और समाज में वापस आने के लिए तैयार है।
भारत में पैरोल के नियम
भारत में पैरोल देने के नियम हर राज्य के लिए अलग होते हैं। यहाँ कुछ सामान्य मानदंड दिए गए हैं, जो ज्यादातर राज्यों में लागू होते हैं
- व्यवहार का आकलन: पैरोल देने से पहले, कैदी के जेल में व्यवहार की जांच की जाती है। अच्छा आचरण आवश्यक होता है।
- सजा का समय: कैदी को अपनी सजा का एक वर्ष पूरा करना होता है।
- पुनर्वास कार्यक्रम: कैदी को जेल में पुनर्वास कार्यक्रमों में भाग लेना चाहिए।
- समाज में वापसी का कारण: कैदी को यह सिद्ध करना होगा कि वह समाज में वापस आने के लिए तैयार है।