
पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा को पंजाब सरकार ने बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान सरकार ने अदालत को आश्वस्त किया कि 7 मई 2025 तक बाजवा को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। यह आश्वासन उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान दिया गया।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के इस आश्वासन को रिकॉर्ड पर लेते हुए अगली सुनवाई तक गिरफ्तारी पर रोक बनाए रखी और सरकार को याचिका पर विस्तृत जवाब दाखिल करने का समय प्रदान किया। इसके साथ ही अदालत ने सुनवाई को स्थगित कर दिया है।
विवाद की जड़: “50 बम पंजाब पहुंच चुके हैं” बयान से उपजा राजनीतिक तूफान
प्रताप सिंह बाजवा एक विवादास्पद बयान को लेकर चर्चा में आए, जिसमें उन्होंने कहा था कि “50 बम पंजाब पहुंच चुके हैं“। उनके इस बयान को विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म्स और सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी द्वारा राष्ट्रविरोधी या भय फैलाने वाला बताया गया। इस बयान के बाद एफआईआर दर्ज की गई, जिसे लेकर बाजवा ने हाईकोर्ट का रुख किया।
बाजवा ने स्पष्ट किया कि उनका बयान राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था और सुरक्षा हालात को लेकर था, और इसमें कोई आपराधिक या भड़काऊ मंशा नहीं थी। उनका कहना था कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया, जिससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा और उन्हें राजनीतिक रूप से निशाना बनाया गया।
हाईकोर्ट की टिप्पणी और अंतरिम राहत
हाईकोर्ट ने इस मामले में पहले ही पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर विस्तृत जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए थे। साथ ही अदालत ने स्पष्ट किया कि बाजवा को अगली सुनवाई तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। आज की सुनवाई में राज्य सरकार ने उसी आश्वासन को दोहराया और अदालत से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा, जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने सुनवाई को 7 मई तक स्थगित कर दिया।
इसके अलावा, अदालत ने बाजवा को निर्देश दिया है कि वे इस मामले से संबंधित कोई भी सार्वजनिक प्रेस स्टेटमेंट या टिप्पणी न करें, जिससे न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित हो।
बाजवा का आरोप: “राजनीतिक बदले की भावना से एफआईआर”
बाजवा की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि यह एफआईआर राजनीतिक प्रतिशोध के तहत दर्ज की गई है। उनका कहना है कि उन्होंने हाल ही में राज्य की खुफिया पुलिस की कार्यशैली और मुख्यमंत्री भगवंत मान की भूमिका पर सार्वजनिक रूप से सवाल उठाए थे, जिसके जवाब में यह कार्रवाई की गई।
बाजवा ने आरोप लगाया, “मैंने राज्य की खुफिया एजेंसी को निकम्मा कहा था और मुख्यमंत्री भगवंत मान, जो गृह मंत्रालय भी संभालते हैं, ने इस आलोचना को व्यक्तिगत हमला मानते हुए मुझे निशाना बनाया।”
खुफिया तंत्र के दुरुपयोग का आरोप
बाजवा ने अपनी याचिका में यह भी दावा किया कि राज्य की खुफिया पुलिस का इस मामले में गलत इस्तेमाल किया गया। उनका कहना है कि राजनीतिक विरोध को दबाने के लिए सुरक्षा एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
बाजवा ने लिखा है, “विपक्ष के नेता के रूप में मेरा दायित्व है कि मैं सरकार की नीतियों की समीक्षा करूं और यदि आवश्यक हो तो आलोचना भी करूं। लेकिन इसके बदले मुझे कानूनी हथियारों से डराने की कोशिश की जा रही है।”
नेता प्रतिपक्ष के अधिकार और विशेषाधिकार
प्रताप सिंह बाजवा ने कोर्ट को यह भी याद दिलाया कि वह नेता प्रतिपक्ष हैं और उन्हें कैबिनेट मंत्री के बराबर दर्जा प्राप्त है। ऐसे में उनके अधिकारों का हनन राज्य सरकार की राजनीतिक असहिष्णुता को दर्शाता है। याचिका में कहा गया कि बाजवा लगातार आम आदमी पार्टी सरकार की नीतियों और कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठाते रहे हैं, और यह एफआईआर उसी क्रम में की गई प्रतिशोधात्मक कार्रवाई है।
कांग्रेस का समर्थन और विपक्ष का आरोप
इस पूरे घटनाक्रम में पंजाब कांग्रेस ने बाजवा के साथ खड़े होते हुए इसे राजनीतिक द्वेष की कार्रवाई करार दिया है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि विपक्ष को दबाने के लिए एफआईआर और पुलिस कार्रवाई का सहारा लिया जा रहा है, जो लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है।
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर राजा वड़िंग ने कहा, “यह स्पष्ट रूप से बोलने की आजादी पर हमला है। विपक्ष को चुप कराने के लिए पुलिस का इस्तेमाल किया जा रहा है। हम इस तानाशाही प्रवृत्ति का विरोध करते हैं।”
सरकार की सफाई: “कानून के तहत की गई कार्रवाई”
वहीं, पंजाब सरकार ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि बाजवा का बयान जनता में भय और भ्रम फैलाने वाला था, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सरकार का कहना है कि यह बयान ऐसे समय में दिया गया जब राज्य सुरक्षा चुनौतियों से जूझ रहा है, और नेता प्रतिपक्ष से जिम्मेदार बयान की अपेक्षा की जाती है।
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “किसी का राजनीतिक दर्जा उसे कानून से ऊपर नहीं बनाता। यदि कोई बयान कानून व्यवस्था को प्रभावित करता है, तो कानून अपना काम करेगा।”