
अश्विन माह हिंदू पंचांग का एक महत्वपूर्ण महीना है, जिसमें विशेष धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व की घटनाएं होती हैं। यह माह पितरों की पूजा के लिए विशेष रूप से जाना जाता है और इसे पितृ पक्ष के रूप में मनाया जाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि अश्विन माह में कौन-कौन से प्रमुख व्रत और त्योहार आते हैं और उनका धार्मिक महत्व क्या ह?
पितृ पक्ष: पितरों की पूजा का विशेष समय
अश्विन माह का पितृ पक्ष हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह एक पंद्रह दिनों की अवधि होती है जिसमें पितरों की आत्मा की शांति और उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। इस दौरान परिवार के लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और अन्य धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
पितृ पक्ष की शुरुआत अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है और इसका समापन अश्विन शुक्ल पूर्णिमा को होता है। इस अवधि के दौरान विशेष पूजा-पाठ और तर्पण किए जाते हैं, जो पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए किया जाता है।
अश्विन माह के प्रमुख व्रत और त्योहार
अश्विन माह के दौरान कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार आते हैं, जो धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़े होते हैं। इनमें से प्रमुख व्रत और त्योहार निम्नलिखित हैं:
इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi)
इंदिरा एकादशी पितृ पक्ष के दौरान आती है और इसे विशेष महत्व दिया जाता है। यह व्रत अश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से व्रति उपवासी रहते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। इंदिरा एकादशी का उद्देश्य पितरों की आत्मा की शांति और उनके पुण्य को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
जीतिया व्रत (Jitiya Vrat)
जीतिया व्रत अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत मुख्यतः उत्तर भारत में विशेष महत्व रखता है और खासकर माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए किया जाता है। इस दिन माताएँ व्रत करती हैं और उपवास करके अपने संतान की भलाई की कामना करती हैं।
नवरात्रि (Navratri)
अश्विन माह के दौरान नवरात्रि का पर्व भी आता है, जो देवी दुर्गा की पूजा का विशेष समय होता है। नवरात्रि का पर्व अश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है और दशमी तक चलता है। इस दौरान देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, और भक्त नौ दिनों तक उपवासी रहते हैं। यह पर्व समर्पण, शक्ति और साधना का प्रतीक है और इसे बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
दशहरा (Dussehra)
अश्विन माह के अंत में दशहरा या विजयदशमी का पर्व मनाया जाता है, जो रावण वध और श्रीराम की विजय का प्रतीक है। यह पर्व अश्विन शुक्ल दशमी को मनाया जाता है और इसे भारतीय पौराणिक कथाओं में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। दशहरा के दिन रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन को लेकर विभिन्न जगहों पर भव्य रैलियाँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
अश्विन माह की धार्मिक गतिविधियाँ
अश्विन माह के दौरान धार्मिक गतिविधियाँ बहुतायत में होती हैं। पितृ पक्ष के दिनों में घर-घर में पितरों के लिए श्राद्ध कर्म और तर्पण किया जाता है। इसके अलावा, नवरात्रि के दौरान देवी माँ की पूजा और उपवास किए जाते हैं। दशहरा के दिन रावण दहन के साथ विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं, जिनमें लोग एकत्र होकर अपने धार्मिक और सांस्कृतिक उत्साह को साझा करते हैं।