
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 18वें सीजन के लिए मेगा प्लेयर ऑक्शन की तैयारी जोरों पर है। आईपीएल गवर्निंग काउंसिल ने 28 सितंबर को रिटेंशन पॉलिसी का ऐलान किया, जिसमें महत्वपूर्ण बदलाव और नियम शामिल किए गए हैं। इस बार राइट टू मैच (आरटीएम) नियम की वापसी ने चर्चा का विषय बना दिया है। आइए जानते हैं इस नियम के पीछे की कहानी और यह कैसे फ्रेंचाइजियों को लाभ पहुंचा सकता है।
राइट टू मैच (आरटीएम) नियम क्या है?
आरटीएम नियम को पहली बार 2018 में लागू किया गया था। यह नियम तब उपयोगी होता है जब कोई टीम अपने खिलाड़ी को ऑक्शन से पहले रिटेन नहीं कर पाती। ऐसे में, ऑक्शन के दौरान उस खिलाड़ी पर बोली लगाने वाली दूसरी फ्रेंचाइजी को उस खिलाड़ी को वापस पाने का मौका मिलता है। लेकिन यह तब संभव है जब पहले से निर्धारित बोली की कीमत के बराबर या उससे अधिक की बोली लगानी पड़ेगी।
उदाहरण के लिए, यदि मुंबई इंडियंस ईशान किशन को रिटेन नहीं करती हैं और पंजाब किंग्स उन्हें खरीद लेती हैं, तो मुंबई के पास आरटीएम कार्ड का उपयोग कर ईशान को वापस लेने का विकल्प होगा। हालाँकि, इसके लिए उन्हें पंजाब की लगाई गई बोली के बराबर राशि अपने पर्स से खर्च करनी होगी।
नए रिटेंशन नियम
आईपीएल गवर्निंग काउंसिल ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई फ्रेंचाइजी 6 खिलाड़ियों को रिटेन करती है, जिसमें 5 कैप्ड और 1 अनकैप्ड खिलाड़ी शामिल हैं, तो उन्हें मेगा ऑक्शन में आरटीएम का विकल्प नहीं मिलेगा। इस बार अधिकतम 6 खिलाड़ियों को रिटेन करने की अनुमति है, जिसमें भारतीय और विदेशी खिलाड़ियों की संख्या तय करनी होगी।
रिटेंशन प्रक्रिया की नई दिशा
गवर्निंग काउंसिल ने नियमों में बदलाव करते हुए यह भी बताया है कि प्रत्येक फ्रेंचाइजी को अपनी रिटेंशन सूची तैयार करते समय ध्यान रखना होगा कि वे अधिकतम कितने खिलाड़ियों को रिटेन कर सकती हैं। इस प्रक्रिया के दौरान खिलाड़ियों की कीमतें भी तय की जाएंगी, जिससे सभी टीमों के लिए अपनी रणनीतियों का निर्माण करना आसान हो जाएगा।
अन्य महत्वपूर्ण नियम
गवर्निंग काउंसिल ने रिटेंशन पॉलिसी के अंतर्गत कुल 8 नियमों का ऐलान किया है, जो फ्रेंचाइजियों को मेगा ऑक्शन में अपने खिलाड़ियों की स्थिति को बेहतर समझने में मदद करेंगे। इनमें शामिल हैं:
- रिटेंशन की अधिकतम संख्या: प्रत्येक फ्रेंचाइजी अधिकतम 6 खिलाड़ियों को रिटेन कर सकती है।
- आरटीएम का उपयोग: 6 खिलाड़ियों के रिटेंशन पर आरटीएम का विकल्प नहीं मिलेगा।
- बोली प्रक्रिया: खिलाड़ियों की बोली प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी।
- पर्स में बढ़ोतरी: प्रत्येक फ्रेंचाइजी के पर्स में वृद्धि की गई है, जिससे वे अधिक खिलाड़ियों को खरीद सकें।
- खिलाड़ियों की कैटेगोराइजेशन: भारतीय और विदेशी खिलाड़ियों की संख्या का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
- अनकैप्ड खिलाड़ियों की रिटेंशन: फ्रेंचाइजियों को अनकैप्ड खिलाड़ियों को रिटेन करने का विशेष मौका मिलेगा।
- पिछली कीमत के आधार पर बोली: खिलाड़ी की पिछली कीमत के आधार पर नई बोली तय की जाएगी।
- फ्रेंचाइजी की जवाबदेही: सभी फ्रेंचाइजियों को अपनी रिटेंशन सूची और खिलाड़ी चयन के निर्णय के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।