
संसद का मानसून सत्र एक बार फिर विपक्ष और सत्तारूढ़ दल के बीच तीखी टकराव और जोरदार राजनीतिक हंगामे की भेंट चढ़ता नजर आया। लोकसभा और राज्यसभा, दोनों ही सदनों में विपक्षी दलों ने जोरदार हंगामा किया, जिससे प्रश्नकाल बार-बार बाधित हुआ। मुख्य मुद्दा चुनाव आयोग द्वारा बिहार में मतदाता सूची संशोधन और कथित “SIR” परियोजना से जुड़ा रहा, जिसे लेकर विपक्षी सांसदों ने संसद के अंदर और बाहर जमकर विरोध प्रदर्शन किया।
लोकसभा में हंगामा, अध्यक्ष ओम बिरला की कड़ी चेतावनी
लोकसभा की कार्यवाही के दौरान विपक्षी सांसदों ने नारेबाजी करते हुए सदन के वेल तक पहुँचकर विरोध जताया। इसका कारण था बिहार में चुनाव आयोग की प्रक्रिया और “SIR” के नाम से चर्चा में आई किसी योजना या रिपोर्ट के खिलाफ उनकी नाराज़गी। हंगामा इतना बढ़ गया कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सख्त रुख अपनाना पड़ा।
अध्यक्ष बिरला ने नाराज़गी जताते हुए कहा, “यदि आप उसी ताकत से सवाल पूछते हैं, जिसके साथ आप नारे लगा रहे हैं, तो यह देश के लोगों के लिए फायदेमंद होगा।” उन्होंने विपक्षी सांसदों को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की किसी को इजाज़त नहीं है, और यदि ऐसा हुआ तो उन्हें निर्णायक कार्रवाई करनी होगी। “लोगों ने आपको सरकारी संपत्ति को तोड़ने के लिए नहीं भेजा है। मैं आपसे अनुरोध करता हूं और चेतावनी देता हूं कि सरकारी संपत्ति को तोड़ने की कोशिश न करें। यदि ऐसा हुआ तो मैं कठोर कदम उठाने के लिए बाध्य हो जाऊंगा।”
यह चेतावनी उस वक्त आई जब कुछ विपक्षी सांसदों ने कथित तौर पर टेबल थपथपाने और कुर्सियां खिसकाने जैसे आक्रामक कदम उठाए। अध्यक्ष ने साफ कर दिया कि लोकतंत्र में असहमति का अधिकार है, लेकिन संसद की गरिमा और नियमों का पालन करना सभी सांसदों की जिम्मेदारी है।
संसद परिसर में विपक्ष का प्रदर्शन
लोकसभा और राज्यसभा के अंदर विरोध जताने के साथ-साथ विपक्षी दलों ने संसद भवन परिसर में भी जोरदार प्रदर्शन किया। खासतौर पर कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), और अन्य सहयोगी दलों के सांसदों ने “SIR” और बिहार में मतदाता सूची के खिलाफ विरोध किया।
विपक्ष का आरोप है कि चुनाव आयोग की तरफ से बिहार में मतदाता सूची में बदलाव करके बड़े पैमाने पर वोटरों को हटाया जा रहा है, जिससे जनादेश को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में सांसदों ने “वोट चोर, गद्दी छोड़” और “वोट चोरी बंद करो” जैसे नारों के साथ प्रदर्शन किया। उन्होंने “SIR को रोको” जैसे संदेश वाले पोस्टर और बैनर भी लिए हुए थे।
क्या है SIR विवाद?
हालांकि संसद में SIR को लेकर आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया, लेकिन सूत्रों के अनुसार यह किसी विशेष रिपोर्ट, योजना या जनसंख्या से संबंधित पहल को लेकर है, जिसे लेकर विपक्ष को आशंका है कि इससे जनसंख्या आधारित संसाधनों के वितरण या राजनीतिक प्रतिनिधित्व में असंतुलन आ सकता है।
विपक्ष का मानना है कि यह रिपोर्ट या नीति किसी एक वर्ग या क्षेत्र को लाभ पहुंचाने के इरादे से लाई जा रही है, और इससे चुनावी निष्पक्षता पर असर पड़ेगा। विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजने की मांग की है।
सत्ता पक्ष की प्रतिक्रिया
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि मतदाता सूची का संशोधन एक नियमित प्रक्रिया है जो चुनाव आयोग स्वतंत्र रूप से करता है, और इसमें कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होता।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा, “विपक्ष केवल सस्ती लोकप्रियता के लिए संसद को बाधित कर रहा है। SIR जैसे किसी मुद्दे का वास्तविक कोई आधार नहीं है, यह केवल एक भ्रम फैलाने की कोशिश है।”