
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर देशभर में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। केंद्र सरकार इसे जल्द ही संसद में पेश कर सकती है, लेकिन विपक्षी दल इस विधेयक को लेकर गंभीर आपत्ति जताते हुए इसे एक बड़ी साजिश बता रहे हैं। इस विवाद के बीच, आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने इस विधेयक का विरोध करने का ऐलान किया है और संसद में इसके खिलाफ अपनी पार्टी के समर्थन को मजबूत करने का दावा किया है।
आम आदमी पार्टी का विरोध, संजय सिंह ने आरोप लगाए
संजय सिंह ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत करते हुए कहा, “हम संसद में वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करेंगे। यह बिल असंवैधानिक है और बीजेपी इसे अपनी पुरानी नीति से उलट पेश कर रही है।” उनका कहना था कि बीजेपी ने 2009 में रहमान कमेटी और 2013 के वक्फ संशोधन बिल का समर्थन किया था, लेकिन अब सरकार वही पार्टी इस विधेयक पर यू-टर्न ले रही है।
संजय सिंह का आरोप है कि 2009 में बीजेपी ने वक्फ बोर्ड की अचल संपत्तियों के डिजिटलाइजेशन और मैपिंग के पक्ष में बयान दिए थे, और 2020 में सुप्रीम कोर्ट में भी केंद्र सरकार ने यह दावा किया था कि देश भर की वक्फ संपत्तियों का 98.99% डिजिटलाइजेशन हो चुका था। ऐसे में, सिंह सवाल उठाते हैं कि अब क्यों वक्फ संपत्तियों के कागजों की मांग की जा रही है।
संजय सिंह ने कहा, “केंद्र सरकार ने पहले कहा था कि वक्फ की 100% संपत्तियों का डिजिटाइजेशन हो चुका है, और अब वे 6 महीने के भीतर रिकॉर्ड की मांग कर रहे हैं। इसके बाद, सरकार ने चेतावनी दी है कि यदि रिकॉर्ड नहीं दिया गया तो दंगे कराए जाएंगे।”
नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू से अपील
संजय सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से अपील की है कि वे इस बिल के खिलाफ विपक्ष का समर्थन करें। उनका कहना है, “हम चाहते हैं कि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू इस बिल को समझें और बीजेपी के समर्थन से दूर रहें। यह बिल पूरी तरह से फर्जीवाड़ा है और किसी भी धर्म और समुदाय के खिलाफ काम करने की कोशिश है।”
संजय सिंह ने कहा कि अगर विपक्षी दल इस विधेयक के खिलाफ एकजुट हो जाएं, तो यह सरकार को घेरने में मददगार साबित हो सकता है। उनकी पार्टी ने कई बार वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ अपनी आपत्ति जताई है, और अब वे संसद में इसका विरोध करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
केंद्रीय मंत्री किरेन रीजिजू का जवाब
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर विपक्ष के आरोपों पर केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रीजिजू ने जवाब दिया है। रीजिजू ने कहा कि वक्फ विधेयक में कोई असंवैधानिक प्रावधान नहीं है और विपक्ष सिर्फ अफवाह फैला रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक में किए गए बदलाव वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने के लिए हैं और इसका उद्देश्य किसी विशेष समुदाय को निशाना बनाना नहीं है।
रीजिजू ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा, “वक्फ संशोधन विधेयक में कोई भी असंवैधानिक प्रावधान नहीं है। विपक्षी दल बिना समझे इस बिल के खिलाफ माहौल बना रहे हैं।” उन्होंने कहा कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए लाया जा रहा है और इसमें किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया गया है।
विधेयक की मंजूरी और आगे की प्रक्रिया
वक्फ संशोधन विधेयक को अगस्त 2024 में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था, और अब केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में इस विधेयक को मंजूरी दी है। इस मंजूरी के बाद, विधेयक में जेपीसी द्वारा सुझाए गए बदलावों को शामिल किया गया है और इसे संसद में चर्चा के लिए पेश किया जाएगा।
केंद्रीय सरकार ने इसे संसद में जल्द ही पेश करने की तैयारी शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, वक्फ विधेयक 2 अप्रैल को लोकसभा में पेश किया जा सकता है, जहां विपक्षी दलों के हंगामे और विरोध का सामना करना पड़ सकता है। इसे लेकर विपक्ष ने पहले ही चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने इसे जल्दबाजी में पारित करने की कोशिश की, तो यह एक बड़ा विवाद खड़ा कर सकता है।