
दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने रविवार को प्रेस कांफ्रेंस में भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि दिल्ली में भाजपा सरकार के सत्ता में आते ही ‘फरिश्ते योजना’ को बंद कर दिया गया है, जो 2017 में दिल्ली सरकार द्वारा शुरू की गई थी। सौरभ ने इस निर्णय को “घटिया और क्रूर” करार देते हुए कहा कि यह दिल्लीवासियों के साथ अन्याय है। उनकी यह टिप्पणी दिल्ली सरकार के बजट में इस योजना के लिए धन आवंटन न किए जाने के बाद आई है, जो आम लोगों की जीवन रक्षा के लिए महत्वपूर्ण थी।
फरिश्ते योजना का उद्देश्य और महत्व
‘फरिश्ते योजना’ की शुरुआत 2017 में दिल्ली सरकार द्वारा की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों को तत्काल इलाज उपलब्ध कराना था। योजना के तहत, अगर दिल्ली की सड़कों पर किसी को दुर्घटना का शिकार हो जाता, तो उसे बिना किसी शुल्क के निजी अस्पतालों में इलाज की सुविधा मिलती थी। दिल्ली सरकार इस योजना के तहत दुर्घटनाग्रस्त व्यक्तियों के इलाज का सारा खर्च उठाती थी। यह योजना खासतौर पर उन लोगों के लिए बनाई गई थी, जो दुर्घटना के बाद समय पर इलाज न मिलने के कारण अपनी जान गंवा देते थे।
सौरभ भारद्वाज ने इस योजना की शुरुआत के समय की एक गंभीर घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि एक दुर्घटना के बाद, घायल व्यक्ति को कई अस्पतालों में ले जाया गया, लेकिन किसी ने भी उसका इलाज नहीं किया और अंततः उसकी मौत हो गई। इस घटना ने उन्हें और उनकी सरकार को ‘फरिश्ते योजना’ शुरू करने के लिए प्रेरित किया था, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके और दुर्घटनाग्रस्त लोगों को तुरंत इलाज मिल सके।
बीजेपी के सत्ता में आने के बाद फरिश्ते योजना का बंद होना
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अब दिल्ली के बजट में फरिश्ते योजना के लिए कोई धन आवंटित नहीं किया गया है, जो यह साबित करता है कि भाजपा सरकार ने जानबूझकर इस महत्वपूर्ण योजना को बंद कर दिया है। उन्होंने कहा, “यह एक बहुत ही घटिया और क्रूर कदम है, क्योंकि यह योजना दिल्लीवासियों के जीवन की सुरक्षा से जुड़ी थी।”
सौरभ ने यह भी कहा कि यदि आज दिल्ली की सड़कों पर कोई दुर्घटना होती है, तो उसे अब निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज नहीं मिलेगा। इस योजना के बंद होने से दुर्घटनाग्रस्त व्यक्तियों को तत्काल इलाज की सुविधा से वंचित कर दिया गया है, जिससे उनकी जान को खतरा हो सकता है।
एलजी के माध्यम से फरिश्ते योजना को बंद करने की कोशिश
सौरभ ने यह आरोप भी लगाया कि दिल्ली सरकार में मंत्री रहते हुए, उन्होंने 2023 में यह बताया था कि एलजी (लेफ्टिनेंट गवर्नर) के अधिकारी इस योजना को बंद करने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने कहा कि “हमने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, और कोर्ट ने एलजी को नोटिस भेजा था। दबाव में आकर, एलजी ने योजना के लिए फंड जारी किया था।”
उन्होंने यह भी कहा कि उस समय एलजी तिलमिलाए हुए थे और उन्होंने पूछा था कि बीजेपी क्यों इस योजना को बंद करना चाहती है। अब, जब भाजपा सरकार दिल्ली में सत्ता में आ गई है, तो इस योजना को बंद कर दिया गया है, जो उनके आरोपों को और मजबूत करता है कि बीजेपी हमेशा से इस योजना को बंद करना चाहती थी।
बीजेपी और एलजी के साथ सौरभ का संघर्ष
सौरभ ने अपने संघर्ष के बारे में बताते हुए कहा कि जब उन्होंने एलजी के अधिकारीयों द्वारा ‘फरिश्ते योजना’ को ठप करने की कोशिशों को देखा, तो वह इस मामले में सक्रिय हो गए थे। उन्होंने कहा, “जब योजना को बंद करने की कोशिश की गई, तो हमलोग सुप्रीम कोर्ट गए थे, और कोर्ट ने इस मामले पर तुरंत ध्यान दिया था। कोर्ट ने एलजी को नोटिस जारी किया, और इसके बाद फंड जारी किए गए।”
सौरभ भारद्वाज ने यह आरोप लगाया कि बीजेपी ने कभी भी इस योजना को लागू होते हुए स्वीकार नहीं किया और हमेशा इसे समाप्त करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा, “यह योजना दिल्ली के लोगों के लिए एक जीवन रक्षक योजना थी, और बीजेपी ने इसे जानबूझकर खत्म किया।”