
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात दौरे का आज दूसरा दिन था, जो विकास और सुरक्षा के दो अहम विषयों पर केंद्रित रहा। गांधीनगर के महात्मा मंदिर में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने 5,536 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इस अवसर पर उन्होंने एक भावनात्मक और दृढ़ भाषण में पाकिस्तान, आतंकवाद और देश की सुरक्षा नीति पर खुलकर चर्चा की।
विकास के पथ पर गुजरात
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत विकास योजनाओं के उल्लेख से की। उन्होंने बताया कि वे पिछले दो दिनों से गुजरात के विभिन्न हिस्सों का दौरा कर रहे हैं—वडोदरा, दाहोद, भुज, अहमदाबाद और अब गांधीनगर। उन्होंने कहा, “मैं जहां-जहां गया वहां गर्जना करता सिंदूरिया सागर और लहराता तिरंगा जन-जन के हृदय में मातृभूमि के प्रति अपार प्रेम और देशभक्ति का ज्वार देखने को मिल रहा है।”
उन्होंने गुजरात में चल रही विकास परियोजनाओं को न केवल राज्य बल्कि पूरे देश की प्रगति के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया। परियोजनाओं में आधारभूत ढांचे से लेकर स्मार्ट सिटी और औद्योगिक विकास तक कई क्षेत्र शामिल हैं। उन्होंने इसे ‘नए भारत के निर्माण की नींव’ बताया।
आतंकवाद और पाकिस्तान पर सीधा वार
विकास की बात करते हुए पीएम मोदी ने सुरक्षा और राष्ट्रभक्ति का मुद्दा भी मजबूती से उठाया। उन्होंने 1947 के विभाजन की चर्चा करते हुए कहा, “मां भारती के टुकड़े हुए। कटनी चाहिए थीं जंजीरें, लेकिन काट दी गईं भुजाएं। देश के तीन टुकड़े कर दिए गए और उसी रात पहला आतंकी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ।”
मोदी ने स्पष्ट शब्दों में पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल उठाए और कहा कि यदि 1947 में ही ‘मुजाहिदीनों’ को समाप्त कर दिया गया होता और सरदार पटेल की बात मानी गई होती, तो आज 75 सालों से आतंकवाद का जो सिलसिला जारी है, वह नहीं होता।
उन्होंने आगे कहा, “सरदार पटेल चाहते थे कि जब तक पीओके हमें वापस न मिल जाए, सेना वापस नहीं आनी चाहिए। लेकिन उनकी बात नहीं मानी गई।”
प्रॉक्सी वॉर नहीं, रणनीतिक युद्ध है आतंकवाद
पीएम मोदी ने पाकिस्तान की रणनीति को ‘प्रॉक्सी वॉर’ कहे जाने पर भी सवाल उठाया और कहा कि यह सिर्फ छद्म युद्ध नहीं, बल्कि एक सुनियोजित युद्ध रणनीति है। उन्होंने उल्लेख किया कि जब भारत ने आतंकवाद के 9 ठिकानों को मात्र 22 मिनट में ध्वस्त किया, तो यह कार्रवाई कैमरे के सामने की गई ताकि किसी को सबूत की आवश्यकता न पड़े।
“अब हमें सबूत नहीं देना पड़ता, सामने वाला खुद ही सबूत दे रहा है,” मोदी ने कहा। उन्होंने 6 मई की रात की घटना का जिक्र करते हुए बताया कि जिन आतंकवादियों को भारत ने मारा, उन्हें पाकिस्तान में स्टेट ऑनर दिया गया, उनके ताबूतों पर पाकिस्तान के झंडे थे और उन्हें सलामी दी गई। उन्होंने इसे पाकिस्तान की स्वीकारोक्ति करार दिया कि आतंकवाद उसके युद्ध नीति का हिस्सा है।
भारत की शक्ति और आत्मविश्वास
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अब आतंकवाद का जवाब उन्हीं की भाषा में देता है। “जब हमारे सामर्थ्य को बार-बार ललकारा जाता है, तो यह देश वीरों की भी भूमि है। हम किसी को छेड़ते नहीं, लेकिन अगर कोई छेड़े तो छोड़ते भी नहीं,” उन्होंने दृढ़ता से कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत की संस्कृति ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की रही है और देश ने हमेशा शांति की राह अपनाई है। “हमने यह जीवन जिया है, हम चाहते हैं कि हर कोई सुख-शांति से जिए। लेकिन अगर हमारी सहनशीलता को कमजोरी समझा गया, तो फिर भारत भी चुप नहीं बैठेगा।”
आर्थिक शक्ति में अभूतपूर्व प्रगति
अपने भाषण के अंतिम हिस्से में प्रधानमंत्री ने देश की आर्थिक उपलब्धियों को गिनाया। उन्होंने कहा कि कल, यानी 26 मई को उन्हें प्रधानमंत्री बने 11 वर्ष पूरे हुए। “2014 में जब मैंने शपथ ली थी, तब भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में 11वें स्थान पर थी। आज हम चौथे स्थान पर हैं।”
उन्होंने इस उपलब्धि का श्रेय देशवासियों को देते हुए कहा कि यह देश की सामूहिक मेहनत, संकल्प और नीतिगत स्थिरता का परिणाम है। उन्होंने कहा कि देश ने कोरोना महामारी, प्राकृतिक आपदाओं और पड़ोसी देशों की चुनौतियों का सामना किया, फिर भी विकास की गति नहीं रुकी।