
शारदीय नवरात्र का पर्व भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। यह पर्व देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है और भक्तों के लिए यह समय अत्यंत शुभ माना जाता है। नवरात्रि का यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह नारी शक्ति की महत्ता को भी दर्शाता है। नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, और इस पर्व की विशेषता है माता स्कंदमाता की पूजा, जो कि नवरात्र के पांचवें दिन होती है।
माता स्कंदमाता की पूजा का विधान
7 अक्टूबर, 2024 को नवरात्र का पांचवां दिन है, जब भक्त माता स्कंदमाता की पूजा विधिपूर्वक करते हैं। मान्यता है कि इस दिन माता की विशेष पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कहा जाता है कि इस दिन की पूजा से माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है।
शक्ति और करुणा का प्रतीक
माता स्कंदमाता देवी दुर्गा के पांचवें स्वरूप के रूप में पूजा जाती हैं। इन्हें ‘स्कंद’ का अर्थ भगवान कार्तिकेय के माता के रूप में भी जाना जाता है। माता स्कंदमाता को शक्ति और करुणा का प्रतीक माना जाता है। भक्तों का विश्वास है कि यदि वे सच्चे मन से माता की आराधना करते हैं, तो वे अपनी सभी कठिनाइयों से मुक्त हो सकते हैं।
संतान सुख की प्राप्ति
माता स्कंदमाता की पूजा विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति के लिए की जाती है। जो भक्त संतान सुख की कामना करते हैं, वे इस दिन विशेष रूप से माता की आराधना करते हैं। पूजा के बाद माता का आशीर्वाद प्राप्त करने से सभी विघ्न दूर होते हैं और सुख-संपत्ति का संचार होता है।
पूजन मंत्र
1. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
2. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।