
पंजाब के दिवंगत गायक और मशहूर रैपर सिद्धू मूसेवाला का जन्मदिन इस बार भी उनकी यादों और उनकी आवाज़ के नाम रहा। बुधवार को उनके 31वें जन्मदिन पर उनके परिवार की ओर से तीन नए गानों को यूट्यूब पर रिलीज़ किया गया, जो चंद घंटों में ही मिलियन व्यूज की सूची में शामिल हो गए। ये गाने सिद्धू के जीवन, विचारों और उनके दोस्तों से जुड़े हैं, जो आज भी उनके चाहने वालों के लिए बेहद खास हैं।
मूसेवाला के माता-पिता, बलकौर सिंह और चरण कौर ने अपने गांव मानसा में एक सादे लेकिन भावुक समारोह के जरिए बेटे का जन्मदिन मनाया। केक काटा गया, मोमबत्तियां जलाई गईं और सिद्धू की रचनाओं को श्रद्धांजलि स्वरूप प्रस्तुत किया गया।
“आवाज कभी दफन नहीं होती” – माता-पिता का भावुक संदेश
गाने रिलीज़ करने के बाद मीडिया से बात करते हुए सिद्धू मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह ने कहा, “हमारा बेटा आज भले ही हमारे बीच नहीं है, लेकिन उसकी आवाज़, उसकी सोच और उसका संघर्ष आज भी जिंदा है। आवाज को कोई मार नहीं सकता, वह हमेशा गूंजती है।”
वहीं, सिद्धू की मां चरण कौर ने कहा कि बेटे के जन्मदिन को वे हर साल मनाते रहेंगे। “जिस बेटे ने पूरी दुनिया में नाम कमाया, उसे हम कैसे भूल सकते हैं? उसकी रचनाएं, उसकी कविता और उसका जुनून आज भी हमारे दिलों में है।”
तीन नए गाने: ‘झूठ’, ‘टेक नोटिस’ और ‘नील’
मूसेवाला के तीन नए गाने, जो उनके असामयिक निधन से पहले रिकॉर्ड किए गए थे, अब पोस्टह्यूमस रूप में रिलीज़ किए गए हैं। ये गाने हैं:
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‘झूठ’ (Jhooth) – एक भावनात्मक गीत, जिसमें धोखे, साजिश और भरोसे के टूटने की बात की गई है।
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‘टेक नोटिस’ (Take Notice) – यह गाना मूसेवाला के विरोधियों और उनके संघर्षों को लेकर है, जिसमें उनका रैप स्टाइल और तीखा अंदाज़ फिर से सुनाई देता है।
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‘नील’ (Neel) – यह एक व्यक्तिगत और आत्मविश्लेषण से भरा गीत है, जिसमें उन्होंने खुद के जीवन और परिवेश की झलक दी है।
यूट्यूब पर तीनों गानों को रिलीज के चंद घंटों में ही दो-दो मिलियन से ज्यादा बार देखा और सुना जा चुका है, जो सिद्धू मूसेवाला की लोकप्रियता और फैन बेस को एक बार फिर साबित करता है।
“सरकार हमारे साथ भी वही कर रही है, जो सिद्धू के साथ किया”
मूसेवाला के माता-पिता ने इस मौके पर सरकार और जांच एजेंसियों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि सरकार इस केस को दबाना चाहती है। “हमने कई बार सबूत पेश किए हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। हमें लगता है कि जिस तरह से सिद्धू के साथ नाइंसाफी हुई, उसी तरह आज हमें भी परेशान किया जा रहा है,” बलकौर सिंह ने कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें राजनीति में रुचि नहीं है, लेकिन अगर उनकी आवाज़ को सुनने के लिए राजनीति में आना ज़रूरी है, तो वे पीछे नहीं हटेंगे। “हम नहीं चाहते थे कि हम राजनीति में आएं, लेकिन अब लगता है कि अगर हमें इंसाफ पाना है, तो हमें वही रास्ता अपनाना होगा, जो सिद्धू को भी अपनाना पड़ा।”