
प्रदेश में गैर पंजीकृत और नियामक मानकों के खिलाफ चल रहे नशा मुक्ति केंद्रों पर अब शिकंजा कसेगा। राज्य सरकार ने ऐसे अवैध और उपेक्षित केंद्रों पर सख्त कार्रवाई की तैयारी कर ली है। सोमवार को आयोजित राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण और स्टेट टास्क फोर्स (एसटीएफ) की संयुक्त बैठक में निर्णय लिया गया कि स्वास्थ्य विभाग और पुलिस मिलकर राज्यभर में जांच अभियान चलाएंगे।
बैठक में स्पष्ट किया गया कि सरकार नशा मुक्ति केंद्रों की कार्यप्रणाली और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगी। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने इस दिशा में व्यापक निरीक्षण और अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
क्यों बनी कार्रवाई की जरूरत?
पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश में नशा मुक्ति केंद्रों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, लेकिन इनमें से कई केंद्र बिना वैध पंजीकरण या निर्धारित मानकों का पालन किए ही संचालित हो रहे हैं। इन केंद्रों में इलाजरत मरीजों की देखभाल, मानसिक स्वास्थ्य उपचार, सुरक्षा और पुनर्वास की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठे हैं। कुछ मामलों में मरीजों के साथ अमानवीय व्यवहार, अवैज्ञानिक उपचार पद्धतियों और अनियमित दवाइयों के उपयोग की शिकायतें भी सामने आई हैं।
यह स्थिति न केवल मरीजों की जान के लिए खतरा बन चुकी है, बल्कि राज्य के मानसिक स्वास्थ्य ढांचे पर भी प्रश्नचिन्ह लगा रही है। ऐसे में सरकार अब इन केंद्रों पर लगाम कसने के मूड में है।
बैठक में क्या हुआ?
देहरादून स्थित सचिवालय में हुई इस उच्चस्तरीय बैठक में स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार के साथ-साथ स्टेट टास्क फोर्स के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह, राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण के संयुक्त निदेशक डॉ. एसडी बर्मन और सहायक निदेशक डॉ. पंकज सिंह मौजूद थे।
बैठक में महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सहमति बनी, राज्यभर में सभी नशा मुक्ति केंद्रों की पहचान और सूची तैयार की जाए। गैर पंजीकृत और मानकों से विपरीत संचालन वाले केंद्रों की जांच की जाए। आवश्यकतानुसार केंद्रों को सील किया जाए और संचालकों पर कानूनी कार्रवाई हो। पंजीकृत केंद्रों की भी समय-समय पर ऑडिट और निगरानी हो ताकि गुणवत्ता बनी रहे। मरीजों और उनके परिजनों की शिकायतों की जांच के लिए हेल्पलाइन नंबर और ऑनलाइन शिकायत पोर्टल सक्रिय किया जाए।
स्वास्थ्य सचिव के निर्देश
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने स्पष्ट कहा, “नशा मुक्ति एक संवेदनशील और जटिल प्रक्रिया है। यह सिर्फ शारीरिक उपचार नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक पुनर्वास की आवश्यकता भी रखती है। जो भी केंद्र राज्य या केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मानकों को पूरा नहीं करते, उन पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी।”
उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में संचालित सभी केंद्रों की निरंतर निगरानी की जानी चाहिए, ताकि मरीजों को सुरक्षित और वैज्ञानिक उपचार मिल सके।
न्यूनतम मानक क्या हैं?
भारत सरकार और राज्य सरकार की ओर से नशा मुक्ति केंद्रों के लिए कई मानक निर्धारित किए गए हैं। इनमें प्रमुख हैं, प्रशिक्षित मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और काउंसलरों की मौजूदगी, मरीजों की अलग-अलग जरूरतों के अनुसार चिकित्सा और पुनर्वास योजना, दवाओं के सुरक्षित उपयोग और रख-रखाव, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता मानकों का पालन, केंद्र का विधिवत पंजीकरण और समय-समय पर नवीनीकरण
गैर पंजीकृत केंद्र न केवल इन मानकों की अनदेखी करते हैं, बल्कि मरीजों के साथ अमानवीय व्यवहार और गैर वैज्ञानिक पद्धतियों का प्रयोग कर रहे हैं।
पुलिस और स्वास्थ्य विभाग का समन्वय
एसटीएफ प्रमुख नवनीत सिंह ने बैठक में कहा, “हम पुलिस विभाग के माध्यम से उन सभी क्षेत्रों में अभियान चलाएंगे जहां से अवैध केंद्रों की सूचना मिल रही है। आवश्यकता पड़ी तो छापेमारी और गिरफ्तारी तक की कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर नियमित संयुक्त निरीक्षण किए जाएंगे।