
पंजाब सरकार ने पराली जलाने की समस्या पर अंकुश लगाने और पर्यावरण को स्वच्छ बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार ने “पराली-आधारित बॉयलर सब्सिडी योजना” लागू की है, जिसके तहत राज्य के उद्योगों को पराली को ईंधन के रूप में अपनाने पर 5 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी। इस योजना का उद्देश्य दोहरा है—एक ओर जहां इससे वायु प्रदूषण पर नियंत्रण लगेगा, वहीं दूसरी ओर किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत मिलेगा।
पराली अब समस्या नहीं, संसाधन बनेगी
पंजाब के कृषि मंत्री तरणप्रीत सोंद ने इस योजना की घोषणा करते हुए कहा कि अब पराली को जलाने की जरूरत नहीं है। राज्य सरकार ने इसे एक उपयोगी संसाधन में बदलने का रास्ता खोल दिया है। उन्होंने कहा, “पराली अब उद्योगों के लिए ईंधन बनेगी। इससे जहां पर्यावरण की रक्षा होगी, वहीं किसानों को पराली बेचकर आमदनी होगी।” यह निर्णय खासतौर पर ऐसे समय में लिया गया है जब अक्टूबर-नवंबर में पराली जलाने की घटनाएं दिल्ली-एनसीआर सहित पूरे उत्तर भारत में प्रदूषण का बड़ा कारण बनती रही हैं।
योजना का स्वरूप: क्या है नई कैपिटल सब्सिडी स्कीम
इस योजना के तहत, पंजाब सरकार ने स्पष्ट किया है कि:
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जो उद्योग पराली-आधारित बॉयलर लगाएंगे, उन्हें प्रति 8 टीपीएच बॉयलर पर 1 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी।
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एक उद्योग को अधिकतम 5 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी दी जा सकती है।
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यह सब्सिडी सीधे उन उद्योगों को मिलेगी जो पराली को मुख्य ईंधन के रूप में इस्तेमाल करेंगे।
टीपीएच का मतलब “टन पर घंटा” होता है, यानी बॉयलर की क्षमता का माप। इससे यह तय होगा कि उद्योग पराली को किस मात्रा में ईंधन के रूप में उपयोग करता है।
पराली प्रबंधन की दिशा में क्रांतिकारी पहल
पंजाब लंबे समय से पराली जलाने की समस्या से जूझ रहा है। हर साल लगभग 2 करोड़ टन पराली राज्य में पैदा होती है, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा जला दिया जाता है। इससे न केवल वातावरण में कार्बन मोनोऑक्साइड, मीथेन, और पार्टिकुलेट मैटर (PM 2.5) की मात्रा बढ़ जाती है, बल्कि इससे किसानों पर वायु गुणवत्ता को खराब करने का भी ठीकरा फोड़ा जाता है।
नई योजना से यह उम्मीद जताई जा रही है कि अब किसान पराली जलाने के बजाय इसे उद्योगों को बेचेंगे, जिससे उन्हें प्रति टन 500 से 800 रुपये तक की आमदनी हो सकती है।
कैसे होगा फायदा: उद्योग और किसान दोनों होंगे लाभान्वित
इस योजना के माध्यम से:
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उद्योगों को फायदा:
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ईंधन की लागत में कमी आएगी।
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तेल, कोयला या अन्य जीवाश्म ईंधनों की निर्भरता घटेगी।
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सरकार से सब्सिडी मिलने से पूंजी निवेश में सहूलियत होगी।
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किसानों को फायदा:
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पराली जलाने की बजाय इसे बेचकर आमदनी होगी।
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एनजीटी और सरकार की ओर से लगाए गए जुर्माने से राहत मिलेगी।
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पराली प्रबंधन की चिंता खत्म होगी।
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सरकार की अपील: योजना का तुरंत लाभ उठाएं
सरकार ने स्पष्ट अपील की है कि राज्य में तेल, कोयला या अन्य बायोमास पर आधारित उद्योग तुरंत इस योजना का लाभ उठाएं और अपने पुराने बॉयलर को पराली-आधारित बॉयलर में बदलें। इस योजना का लक्ष्य 2025 के अंत तक कम से कम 500 उद्योगों को जोड़ना है।
पर्यावरण मंत्री गुरमीत मेहता ने कहा, “यदि हर उद्योग पराली को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करे, तो पंजाब को पराली जलाने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी। यह निर्णय न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा देगा।”