
शिरोमणि अकाली दल (बादल) के प्रधान सुखबीर सिंह बादल की धार्मिक और सियासी मुश्किलें एक बार फिर गहरा गई हैं। तख्त श्री पटना साहिब ने उन्हें ‘तनखइया’ (धार्मिक दोषी) घोषित कर दिया है। यह फैसला उनके द्वारा तख्त के समक्ष पेश न होने और बार-बार तलब किए जाने के बावजूद स्पष्टीकरण न देने के चलते लिया गया है। इससे पहले भी श्री अकाल तख्त साहिब, जो सिख धर्म की सर्वोच्च धार्मिक संस्था है, अगस्त 2024 में सुखबीर को ‘तनखइया’ करार दे चुका है। अब पटना साहिब से दोबारा ऐसा तमगा मिलने के बाद अकाली दल की साख और नेतृत्व की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
तख्त श्री पटना साहिब का निर्णय: आदेश की अवहेलना बनी बड़ी वजह
प्राप्त जानकारी के अनुसार, तख्त श्री पटना साहिब ने सुखबीर सिंह बादल को एक महत्वपूर्ण धार्मिक मुद्दे पर दो बार पेश होकर स्पष्टीकरण देने के लिए बुलाया था, परंतु वह किसी भी बार पेश नहीं हुए। इसके बाद, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के प्रधान हरजिंदर सिंह धामी के आग्रह पर सुखबीर को 20 दिन की और मोहलत दी गई।
लेकिन यह अतिरिक्त समय भी काम न आया। सुखबीर बादल तख्त पटना साहिब के समक्ष उपस्थित नहीं हुए, और न ही उन्होंने कोई जवाबी दस्तावेज या स्पष्टीकरण भेजा। इस पर तख्त ने उन्हें ‘तनखइया’ घोषित कर दिया, जोकि सिख धर्म में एक धार्मिक सजा की स्थिति होती है, जब कोई व्यक्ति पंथक मर्यादाओं का उल्लंघन करता है और आदेशों की अवहेलना करता है।
‘तनखइया’ का अर्थ और प्रभाव
सिख धर्म में ‘तनखइया’ वह व्यक्ति होता है, जिसने पंथक सिद्धांतों या मर्यादाओं का उल्लंघन किया हो और जिसे धार्मिक तख्तों द्वारा दोषी ठहराया गया हो। ऐसे व्यक्ति को तख्तों के समक्ष पेश होकर पश्चाताप करना होता है और तख्त द्वारा दी गई धार्मिक सेवा (प्रायश्चित) करनी पड़ती है। सुखबीर बादल के लिए यह स्थिति दूसरी बार आई है। इससे न केवल उनकी धार्मिक छवि पर आंच आई है, बल्कि अकाली दल के नेतृत्व की साख और वैचारिक प्रतिबद्धता पर भी सवाल उठे हैं। खासकर ऐसे समय में जब पंजाब में आगामी विधानसभा उपचुनाव और नगर निगम चुनावों की चर्चा है।
श्री अकाल तख्त साहिब पहले ही कर चुका है तनखइया घोषित
यह पहली बार नहीं है जब सुखबीर सिंह बादल को तख्त द्वारा ‘तनखइया’ करार दिया गया है। अगस्त 2024 में श्री अकाल तख्त साहिब ने भी उन्हें पंथक गलतियों के लिए दोषी माना था। यह निर्णय अकाली-भाजपा सरकार (2007-2017) के दौरान हुईं कई घटनाओं और धार्मिक मामलों की कथित अनदेखी को लेकर लिया गया था। इन घटनाओं में गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी, दोषियों पर कार्रवाई में ढिलाई और धार्मिक सिख मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप जैसे गंभीर आरोप शामिल थे। धार्मिक सजा के तौर पर सुखबीर बादल को श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) में सेवा, जूते-बर्तन धोने और श्रद्धालुओं की सेवा करने का आदेश दिया गया था।
सेवा के दौरान जानलेवा हमला, बाल-बाल बचे थे बादल
धार्मिक सजा भुगतने के लिए जब दिसंबर 2024 में सुखबीर सिंह बादल श्री हरमंदिर साहिब पहुंचे थे, तब वहां एक व्यक्ति ने उन पर गोली चला दी थी। यह हमला उस समय हुआ जब वह सेवा कर रहे थे। हालांकि, वह इस जानलेवा हमले में बाल-बाल बच गए। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी नारायण सिंह चौड़ा को गिरफ्तार कर लिया था। बाद में आरोपी ने अपने बयान में कहा कि यह हमला पंथक भावनाओं के आहत होने के कारण किया गया था। इस घटना ने पंजाब की सियासत को हिला दिया था और यह साफ तौर पर दिखा कि पंथक साख को लेकर लोगों की भावनाएं कितनी तीव्र हैं।