
बिहार की राजनीति में उस समय हलचल मच गई जब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। तेजस्वी यादव ने दावा किया है कि राज्य में मतदाता सूची के संशोधन के नाम पर बड़े पैमाने पर वोटरों के नाम जानबूझकर काटे जा रहे हैं, और यह प्रक्रिया लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ है।
तेजस्वी यादव ने गुरुवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह मुद्दा उठाया और इसे “सुनियोजित मतदाता बहिष्कार की साजिश” करार दिया। उन्होंने कहा कि इस विषय को वह 30 जुलाई को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर होने वाली INDIA गठबंधन की बैठक में प्रमुखता से उठाएंगे।
तेजस्वी का आरोप: मतदाता सूची में हो रही है ‘जातीय साजिश’
तेजस्वी यादव ने प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि उन्हें सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि बिहार में 35 लाख से अधिक वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं। उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि तीन दिन पहले जो आंकड़े दिए गए थे, वही हूबहू अब भी दिए जा रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह आंकड़ा कहीं पहले से तय कर लिया गया था। “जब संशोधन की प्रक्रिया चल रही हो तो आंकड़ों में हर दिन कुछ न कुछ बदलाव होते हैं। लेकिन यहां तीन दिन से न एक नाम घटा, न एक नाम बढ़ा – इसका मतलब यह है कि या तो आंकड़े फिक्स हैं, या फिर प्रक्रिया केवल दिखावे की है,” उन्होंने सवाल उठाया कि जब अभी संशोधन की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई, तो यह 35 लाख नाम हटाने की जानकारी आख़िर कहां से और कैसे आई?
BLO को लेकर भी उठाए सवाल, ‘खुद साइन करो, खुद अपलोड करो’
तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग की जमीनी कार्यप्रणाली पर भी निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि कई जगहों पर बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) अब तक मतदाताओं के घरों तक नहीं पहुंचे हैं। “एक मौखिक आदेश दिया गया है कि BLO खुद ही साइन करे, खुद ही ठप्पा लगाए और खुद ही फॉर्म अपलोड कर दे। ये कैसी पारदर्शिता है?” उन्होंने कहा कि खासकर ग्रामीण क्षेत्रों और यादव बहुल इलाकों में BLOs की उपस्थिति न के बराबर है, और लोगों की शिकायतें अनसुनी की जा रही हैं।
‘जातिगत आधार पर हो रहा है नामों का बहिष्कार’
तेजस्वी यादव ने एक प्रिंटेड न्यूज़ पेपर का पेज दिखाते हुए दावा किया कि “यादव बहुल इलाकों” में खास तौर पर मतदाताओं के नाम काटे जा रहे हैं। उन्होंने इसे भाजपा और जेडीयू द्वारा जानबूझकर की गई ‘राजनीतिक साजिश’ बताया। “यह सिलसिला केवल यादवों तक सीमित नहीं है, बल्कि कई दलित और अल्पसंख्यक क्षेत्रों से भी ऐसे ही नाम हटाने की शिकायतें मिल रही हैं। सवाल ये है कि सरकार और चुनाव आयोग आखिर किसके इशारे पर काम कर रहे हैं?”
“नीतीश कुमार और भाजपा चुप क्यों हैं?”
तेजस्वी ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा नेताओं की चुप्पी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब इस मामले पर चंद्रबाबू नायडू तक आवाज़ उठा रहे हैं, तो बिहार सरकार क्यों मौन है? “नीतीश जी लोकतंत्र की दुहाई देते हैं, लेकिन जब लोकतंत्र की जड़ें काटी जा रही हैं, तब वे चुप हैं। भाजपा तो खैर इस साजिश की मास्टरमाइंड है।” उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष के प्रभाव वाले क्षेत्रों में नामों को हटाकर चुनाव परिणामों को प्रभावित करने की तैयारी की जा रही है।
30 जुलाई को INDIA गठबंधन की बैठक में उठाएंगे मुद्दा
तेजस्वी यादव ने जानकारी दी कि 30 जुलाई को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर INDIA गठबंधन की बैठक बुलाई गई है। उन्होंने कहा कि वे इस वोटर डिलिशन के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाएंगे और अन्य दलों से भी समर्थन मांगेंगे। “यह केवल बिहार का मुद्दा नहीं है, यह पूरे देश के लोकतंत्र का सवाल है। अगर आज बिहार में ऐसा हो रहा है, तो कल किसी और राज्य में भी हो सकता है।”
चुनाव आयोग की चुप्पी पर सवाल
तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए चुनाव आयोग की भूमिका निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए, लेकिन वर्तमान में आयोग “सरकार समर्थक एजेंसी” की तरह काम कर रहा है। “चुनाव आयोग को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए कि 35 लाख नाम हटाने की जानकारी किस आधार पर लीक हुई? और क्या BLO की भूमिका को लेकर कोई निगरानी तंत्र मौजूद है?”