किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन आज 51वें दिन में प्रवेश कर गया है। उनके समर्थन में अब 111 किसान खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। इस दौरान, खनौरी बॉर्डर पर स्थिति काफी तनावपूर्ण बनी हुई है और हरियाणा पुलिस ने मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया है। किसानों का आरोप है कि उनकी लंबित मांगों को पूरा नहीं किया जा रहा है, जिसके चलते वे अपनी जान की बाजी लगाकर अपनी आवाज़ सरकार तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।
डल्लेवाल के समर्थन में 111 किसानों का अनशन
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल पिछले 51 दिनों से अपनी मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। उनके अनशन को समर्थन देने के लिए अब 111 किसानों ने खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन शुरू कर दिया है। इन किसानों का कहना है कि जब तक उनकी सभी जायज़ मांगें पूरी नहीं हो जातीं, वे डल्लेवाल के साथ अपने प्राणों की आहुति देने के लिए तैयार हैं।
बीकेयू सिद्धूपुर के प्रधान और खनौरी मोर्चा के नेता काका सिंह कोटड़ा ने बताया, “जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, हम अपनी जान की बाज़ी लगाने के लिए तैयार हैं। यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार हमारी आवाज़ नहीं सुनती। हम डल्लेवाल के साथ खड़े हैं और उनका साथ देंगे।”
किसानों का आरोप है कि पिछले कई महीनों से उनकी मांगें अनसुनी की जा रही हैं, जिनमें प्रमुख रूप से कृषि कानूनों का रद्द करना, किसानों के लिए बेहतर एमएसपी (मिनिमम सपोर्ट प्राइस) व्यवस्था और कर्ज़ माफी की मांगें शामिल हैं।
खनौरी बॉर्डर पर तनाव की स्थिति
खनौरी बॉर्डर पर किसानों का विरोध बढ़ने के साथ-साथ स्थिति में भी तनाव का माहौल बना हुआ है। पुलिस बल की तैनाती और किसानों के बढ़ते विरोध प्रदर्शन के कारण बॉर्डर क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं। हरियाणा पुलिस ने मौके पर भारी संख्या में बल तैनात किया है और विरोध प्रदर्शन के साथ किसी भी अप्रिय घटना को टालने के लिए सख्त सुरक्षा इंतज़ाम किए हैं।
किसान नेताओं ने पुलिस की तैनाती पर अपनी आपत्ति जताते हुए कहा कि उन्हें शांतिपूर्वक अपना विरोध करने का अधिकार है और पुलिस बल को सिर्फ सुरक्षा बनाए रखने के लिए तैनात किया जाना चाहिए, न कि उनके आंदोलन को दबाने के लिए।
किसान नेताओं की स्थिति और उनकी मांगें
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, जो इस आंदोलन के प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे हैं, पिछले कई दिनों से अपनी मांगों को लेकर सरकार से वार्ता की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है। उनका कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर ठोस कदम नहीं उठाती, उनका संघर्ष जारी रहेगा।
किसान नेता डल्लेवाल का मुख्य आरोप है कि मोदी सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों ने किसानों के लिए कोई सकारात्मक बदलाव नहीं लाए हैं और इन कानूनों का उद्देश्य बड़े कॉर्पोरेट्स को लाभ पहुंचाना है, जिससे छोटे और मंझले किसान लगातार संकट में हैं। इसके अलावा, किसानों का कहना है कि उन्हें उचित एमएसपी नहीं मिल रही है और न ही कर्ज़ माफी की कोई ठोस योजना है।
स्वाभाविक रूप से, डल्लेवाल का यह आंदोलन और उनका अनशन अब देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। किसानों का कहना है कि वे किसी भी प्रकार की हिंसा का सहारा नहीं ले रहे हैं और उनका आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण है।
खनौरी मोर्चा की भूमिका
खनौरी मोर्चा, जिसका नेतृत्व काका सिंह कोटड़ा कर रहे हैं, ने इस आंदोलन को एक नया मोड़ दिया है। काका सिंह कोटड़ा ने कहा, “हमारे आंदोलन का मुख्य उद्देश्य है कि हम सरकार से अपनी आवाज़ बुलंद करें। यह केवल एक स्थानीय आंदोलन नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के किसानों का संघर्ष है। हम डल्लेवाल के साथ हैं और जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होतीं, हम इसे शांतिपूर्वक जारी रखेंगे।”
काका सिंह ने यह भी कहा कि किसान एकजुट हैं और इस संघर्ष में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं डाली जा सकती। उनका कहना है कि सरकार को किसानों के मुद्दों को गंभीरता से लेना चाहिए और उनके अधिकारों को स्वीकार करना चाहिए।
हरियाणा पुलिस की तैनाती और सुरक्षा उपाय
खनौरी बॉर्डर पर तनाव को देखते हुए हरियाणा पुलिस ने पूरी तैयारी के साथ सुरक्षा इंतज़ाम किए हैं। बॉर्डर क्षेत्र में पुलिस बैरिकेड्स लगाए गए हैं और किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए लगातार निगरानी रखी जा रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उनकी प्राथमिकता शांति बनाए रखना है और वे किसानों के प्रदर्शन को बिना किसी हिंसा के शांतिपूर्वक तरीके से निपटने का प्रयास करेंगे।
हालाँकि किसानों का आरोप है कि पुलिस ने उनके आंदोलन को कमजोर करने के लिए कई बार दवाब डाला है और प्रदर्शनकारियों को डराने-धमकाने की कोशिश की है। किसान नेताओं ने यह स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य सिर्फ अपनी जायज़ मांगों को सरकार तक पहुँचाना है, न कि किसी प्रकार की हिंसा या अराजकता फैलाना।