
उत्तराखंड के चमोली जिले के थराली क्षेत्र में 22 अगस्त की रात अचानक आई आपदा ने लोगों को झकझोर कर रख दिया। बारिश के कारण ऊपरी पहाड़ियों से आए मलबे और बोल्डरों ने कई घरों को नष्ट कर दिया, जबकि अनेक लोग बाल-बाल बचे। इस भयावह रात में जहां अधिकतर लोग जान बचाकर भागे, वहीं थराली के टेंट व्यवसायी प्रेम बुटोला लोगों को अलर्ट करने के प्रयास में खुद मलबे की चपेट में आ गए और लगभग 100 मीटर तक बह गए।
आपदा की भयावह रात
22 अगस्त की रात लगभग 11 बजे के करीब थराली में तेज बारिश हो रही थी। मौसम विभाग की कोई स्पष्ट चेतावनी नहीं थी, लेकिन कुछ घंटों में ही स्थानीय गदेरे (छोटे पहाड़ी नाले) विकराल रूप ले चुके थे। थराली के एसडीएम ने तत्काल क्षेत्रवासियों को सतर्क करने के निर्देश दिए और कई लोगों को फोन कर सुरक्षित स्थानों की ओर जाने को कहा।
इसी क्रम में टेंट व्यवसायी प्रेम बुटोला को भी प्रशासन का फोन आया। प्रेम ने तुरंत घर से बाहर निकलकर सीटी बजाकर और आवाज़ लगाकर मोहल्ले के लोगों को चेतावनी देनी शुरू कर दी। आसपास के लोग भी हल्ला मचाकर एक-दूसरे को सुरक्षित स्थानों की ओर जाने के लिए प्रेरित करने लगे।
बह गया मलबे के साथ, फिर घुटनों के बल लौटे
प्रेम बुटोला ने जैसे ही लोगों को अलर्ट करना शुरू किया, तभी अचानक पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा और बोल्डर आ गए। प्रेम इसकी चपेट में आ गए और करीब 100 मीटर तक कीचड़ व मलबे के साथ बहते चले गए। वे मलबे में दब गए और उनका पैर फंस गया। घायल प्रेम ने बताया कि मलबे में फंसे होने के कारण सांस लेना भी कठिन हो गया था, लेकिन किसी तरह हिम्मत जुटाकर घुटनों के बल रेंगते हुए थोड़ी दूरी तक आगे बढ़े।
पहचान नहीं पाए लोग
जब प्रेम बुटोला कीचड़ में सने हुए एक सुरक्षित जगह तक पहुंचे, तो वहां कुछ लोग मौजूद थे। लेकिन प्रेम का शरीर पूरी तरह कीचड़ से ढका होने के कारण लोग उन्हें पहचान नहीं सके। बाद में जब कुछ लोगों ने पास जाकर उनकी हालत देखी और उन पर पानी डालकर कीचड़ साफ किया, तब जाकर उनकी पहचान हो सकी।
स्थानीय लोगों की मदद से प्रेम को तत्काल कर्णप्रयाग उपजिला चिकित्सालय पहुंचाया गया, जहां उनका इलाज जारी है। चिकित्सालय के फिजीशियन डॉ. सतेन्द्र कंडारी ने बताया कि प्रेम की हालत स्थिर है, लेकिन उन्हें कुछ समय तक चिकित्सा निगरानी में रहना होगा।
थराली में मची तबाही
थराली में आई इस आपदा ने न सिर्फ लोगों की जान को खतरे में डाला, बल्कि कई घरों और दुकानों को भी तहस-नहस कर दिया। जौला के निवासी आनंद सिंह और सुरेशानंद जोशी ने बताया कि उन्होंने चेपड़ों में अपने रिश्तेदारों की दुकानों का हाल जानने के लिए पहले थराली पहुंचने का प्रयास किया और फिर वहां से पैदल ही गांव की ओर रवाना हुए। उन्होंने बताया कि इस बार के गदेरों का रौद्र रूप पहले कभी नहीं देखा गया था।
पूर्व खंड विकास अधिकारी डीडी कुनियाल, जो वर्तमान में केदारबगड़ में रह रहे हैं, ने भी बताया कि पिंडर नदी का उफान तो हर साल देखा जाता है, लेकिन इस बार गदेरे जिस रूप में सामने आए, वह डरावना था। “पहाड़ी नालों का स्वरूप अचानक इतना विकराल हो जाना बेहद खतरनाक है। इससे भविष्य में आपदा प्रबंधन को लेकर गंभीर पुनर्विचार की आवश्यकता है,” उन्होंने कहा।