
उत्तराखंड सरकार ने स्कूली शिक्षा से जुड़े लाखों अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन को बड़ी राहत देते हुए पहली कक्षा में प्रवेश की न्यूनतम आयु सीमा में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। अब राज्य में पहली कक्षा में दाखिला लेने के लिए बच्चे की उम्र एक जुलाई तक छह वर्ष पूरी होनी चाहिए। इससे पहले यह सीमा एक अप्रैल थी, जिसके चलते बड़ी संख्या में बच्चे केवल कुछ ही दिनों या हफ्तों के अंतर से दाखिले से वंचित रह जा रहे थे।
यह संशोधन शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत बनाई गई उत्तराखंड निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली 2011 में बदलाव के जरिए किया गया है। सरकार द्वारा इस आशय की अधिसूचना शुक्रवार, 13 जून 2025 को जारी कर दी गई है। अब यह नया नियम शैक्षणिक सत्र 2025-26 से प्रभावी होगा।
समस्या की पृष्ठभूमि
पिछले कुछ वर्षों से अभिभावकों की ओर से यह शिकायत सामने आ रही थी कि सरकार द्वारा निर्धारित आयु सीमा – 1 अप्रैल तक छह वर्ष की अनिवार्यता – बच्चों के लिए अन्यायपूर्ण है। कई मामलों में बच्चे 5-10 दिन या एक-दो सप्ताह से उम्र सीमा में पीछे रह जाते थे और उन्हें पूरे वर्ष का इंतजार करना पड़ता था।
इस मुद्दे को कई अभिभावकों ने राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के समक्ष भी उठाया। आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने मामले की गंभीरता को समझते हुए शिक्षा विभाग को नियमों पर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया था। डॉ. खन्ना ने यह भी कहा कि बालकों की प्रारंभिक शिक्षा में इस प्रकार की बाधा उनके मानसिक, शैक्षिक और सामाजिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
सरकार की पहल और निर्णय
शिक्षा विभाग ने इस सुझाव को गंभीरता से लेते हुए नियमों में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया। प्रस्ताव पर विचार-विमर्श के बाद राज्य सरकार ने आयु सीमा को तीन महीने आगे बढ़ाकर 1 जुलाई कर दिया। इसका उद्देश्य उन अभिभावकों की शिकायतों का समाधान करना है, जिनके बच्चों का जन्म अप्रैल से जून के बीच हुआ है।
वर्तमान में दाखिला ले चुके बच्चों को राहत
इस नई व्यवस्था को लागू करते हुए सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन बच्चों ने वर्तमान सत्र में नर्सरी, एलकेजी या यूकेजी में प्रवेश ले लिया है, उन्हें कक्षा एक में आगे की पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दी जाएगी। अर्थात्, उन बच्चों को दोबारा प्रवेश प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा और उनकी शिक्षा की निरंतरता बनी रहेगी।
यह विशेष छूट उन अभिभावकों के लिए बड़ी राहत है जिन्होंने पिछले वर्षों के नियमों के अनुसार अपने बच्चों का दाखिला कराया था और इस संशोधन से भ्रम की स्थिति में थे।
भविष्य के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश
सरकार ने आगे के शैक्षणिक सत्रों के लिए सभी स्कूलों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे प्री-स्कूल (नर्सरी से यूकेजी) कक्षाओं में प्रवेश की न्यूनतम आयु का निर्धारण इस प्रकार करें कि बच्चा कक्षा एक में प्रवेश के समय छह वर्ष का हो चुका हो। इसका अर्थ यह है कि अब स्कूलों को अपने नर्सरी, एलकेजी व यूकेजी की योजना इसी आधार पर बनानी होगी।