
इस साल की शुरुआत में अमेरिका से सैकड़ों भारतीय नागरिकों को डिपोर्ट किए जाने के पीछे अब एक संगठित मानव तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट का खुलासा हो रहा है। ये भारतीय नागरिक “डंकी रूट” (Dunki Route) के जरिये अवैध तरीके से अमेरिका पहुंचे थे। अब इस पूरे नेटवर्क की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही है, जिसमें हाल ही में पंजाब और हरियाणा के सात ठिकानों पर छापेमारी की गई है।
ईडी की कार्रवाई देशभर में चल रहे अवैध इमिग्रेशन नेटवर्क की जड़ों तक पहुंचने का प्रयास है, जिसमें न केवल एजेंट और दलाल शामिल हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानव तस्कर भी इस काले धंधे में सक्रिय हैं।
क्या है “डंकी रूट”?
“डंकी रूट” शब्द उस खतरनाक और अवैध मार्ग को दर्शाता है जिससे एजेंट लोगों को कई देशों की सीमाएं पार कराकर अमेरिका या कनाडा जैसे देशों तक पहुंचाने का दावा करते हैं। यह रास्ता बेहद जोखिम भरा होता है जिसमें घने जंगल, रेगिस्तान, समुद्र और कई बार मौत की कगार तक की मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं। इस रास्ते के जरिए गए लोगों को अमेरिका की इमिग्रेशन एजेंसियों ने इस साल फरवरी में अवैध घुसपैठिया करार देकर भारत वापस भेज दिया था। अब ईडी इन मामलों की कड़ी जांच कर रही है।
कहां हुई ईडी की छापेमारी?
ईडी ने शुक्रवार को पंजाब के मानसा, और हरियाणा के कुरुक्षेत्र व करनाल में कुल सात ठिकानों पर छापेमारी की। ये सभी ठिकाने कथित रूप से उन लोगों या एजेंसियों से जुड़े हैं जो अवैध इमिग्रेशन और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल रहे हैं। यह छापेमारी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत की गई है। इससे पहले 9 जुलाई को भी ईडी ने पंजाब और हरियाणा के 11 स्थानों पर छापेमारी की थी जिसमें महत्वपूर्ण सबूत हाथ लगे थे।
ईडी को क्या मिला?
ईडी द्वारा जारी बयान के अनुसार, 30 असली पासपोर्ट बरामद हुए हैं, जो ऐसे लोगों के थे जिन्हें विदेश भेजने की तैयारी की जा रही थी। कई इमिग्रेशन एजेंसियों और दलालों की पहचान हुई है जो इस नेटवर्क में वर्षों से सक्रिय थे। इन एजेंसियों ने लोगों को वैध वीजा दिलाने का वादा कर धोखे से उन्हें डंकी रूट के जरिये खतरनाक रास्तों से भेजा।
ईडी को ऐसे भी सबूत मिले हैं जिससे यह संकेत मिला कि ये एजेंट लोगों से 5 लाख से 20 लाख रुपये तक वसूलते थे और बाद में उन्हें नकली दस्तावेजों और खतरनाक रूट्स के जरिये अमेरिका भेजते थे।
‘डोंकर्स’ की भूमिका और अंतरराष्ट्रीय माफिया का संबंध
ईडी सूत्रों के अनुसार, इस नेटवर्क में ‘डोंकर्स’ नामक लोग शामिल थे, जो मानव तस्करी के मार्गों के विशेषज्ञ होते हैं। ये लोग भारत से बाहर के देशों – जैसे ब्राजील, इक्वाडोर, मेक्सिको, ग्वाटेमाला, पनामा और कोलंबिया – में तैनात रहते हैं और लोगों को अमेरिका तक पहुंचाने में ‘गाइड’ की भूमिका निभाते हैं। इन डोंकर्स का कनेक्शन अंतरराष्ट्रीय मानव तस्कर गिरोहों से होता है, जिनका पूरा नेटवर्क कई देशों में फैला होता है।
एक संगठित अपराध की परतें खुलतीं
इस रैकेट का एक और पहलू मनी लॉन्ड्रिंग है। ईडी को शक है कि भारत में इन अवैध रूट्स के लिए पैसे जमा किए जाते हैं, जिनका ट्रांसफर हवाला और दूसरे अवैध रास्तों से विदेशों तक होता है। यह पूरी प्रक्रिया PMLA के तहत अपराध की श्रेणी में आती है।
कई बार इन रैकेट्स से जुड़े लोग शिक्षा या टूरिस्ट वीजा के नाम पर लोगों को बाहर भेजते हैं, लेकिन वहां जाकर वे या तो लापता हो जाते हैं या सीमा पार करते समय पकड़े जाते हैं।