
सोमवार को केंद्रीय सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की घोषणा की। हालांकि, राहत की बात यह है कि इस वृद्धि का असर आम जनता पर नहीं पड़ेगा, क्योंकि खुदरा कीमतों में कोई बदलाव की संभावना नहीं है। इस निर्णय के तहत पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाकर 13 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है। यह कदम वैश्विक तेल कीमतों में हो रहे उतार-चढ़ाव और अमेरिकी ट्रंप प्रशासन द्वारा जवाबी टैरिफ लगाने के संदर्भ में उठाया गया है।
पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी की वजह
सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने का निर्णय उस समय लिया है जब अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में अस्थिरता देखी जा रही है। वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण सरकार को यह कदम उठाने की आवश्यकता महसूस हुई। इसके साथ ही, ट्रंप प्रशासन की ओर से जवाबी टैरिफ की घोषणा ने भी ऊर्जा क्षेत्र में स्थिति को जटिल बना दिया था। इन सभी कारकों के मद्देनज़र, केंद्र सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए उत्पाद शुल्क बढ़ाने का फैसला किया है कि तेल के आयात पर देश को अधिक दबाव न पड़े।
सरकार का आधिकारिक बयान
सरकार की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने से घरेलू तेल बाजार पर स्थिरता आएगी। इसके साथ ही, बयान में यह भी स्पष्ट किया गया कि इस वृद्धि से आम जनता पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। पेट्रोल और डीजल की नई कीमतें 8 अप्रैल से लागू होंगी, और उद्योग जगत के विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार की परिस्थितियों के अनुरूप है।
खुदरा कीमतों पर क्या असर होगा?
जब सरकार की ओर से पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने का निर्णय लिया गया, तो तुरंत ही यह सवाल उठने लगा कि क्या इससे पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में भी वृद्धि होगी। इस पर सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया कि खुदरा कीमतों पर इसका क्या असर होगा, जिससे असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई। हालांकि, बाद में उद्योग जगत के सूत्रों ने यह स्पष्ट किया कि खुदरा कीमतों में कोई बदलाव होने की संभावना नहीं है।
कीमतों में समायोजन की संभावना
उद्योग जगत के सूत्रों के अनुसार, उत्पाद शुल्क बढ़ने के बावजूद खुदरा कीमतों में कोई वृद्धि नहीं होगी, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में गिरावट आई है। इस गिरावट को देखते हुए, उत्पाद शुल्क में वृद्धि को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में पहले की गई कटौती के साथ समायोजित किया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि सरकार ने यह कदम तेल कीमतों में स्थिरता बनाए रखने के लिए उठाया है, ताकि आम जनता पर किसी प्रकार का अतिरिक्त वित्तीय बोझ न पड़े।
तेल बाजार में अस्थिरता
वैश्विक तेल कीमतों में अस्थिरता, विशेष रूप से ट्रंप प्रशासन के जवाबी टैरिफ की घोषणा के बाद, एक बड़ा मुद्दा बन चुकी है। इससे न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर के तेल आयातक देशों में चिंता बढ़ी है। तेल की कीमतों में अचानक बदलाव से घरेलू बाजार में मुद्रास्फीति की दर भी प्रभावित हो सकती है। ऐसे में, सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि घरेलू स्तर पर तेल की कीमतें ज्यादा न बढ़ें और अर्थव्यवस्था पर दबाव न पड़े।