
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के स्यानाचट्टी क्षेत्र में यमुना नदी पर बनी अस्थायी झील लोगों के लिए आफत बन गई है। गुरुवार को झील का जलस्तर अचानक बढ़ने के कारण स्यानाचट्टी में कई घरों और होटलों में पानी भर गया। इस आपदा से परेशान ग्रामीणों का गुस्सा अब सड़कों पर दिखाई देने लगा है। शुक्रवार को स्थानीय लोगों ने यमुनोत्री पुल के पास एकजुट होकर जोरदार प्रदर्शन किया। लोगों ने जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए इस संकट के लिए सीधे तौर पर प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया।
ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी
प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों का आक्रोश इतना अधिक था कि मौके पर पहुंचे अधिकारी भी असहज हो उठे। प्रशासन के हाथ-पैर फूल गए जब सैकड़ों लोग जलमग्न यमुनोत्री पुल के पास जमा होकर ‘प्रशासन होश में आओ’ जैसे नारों से पूरे इलाके को गुंजायमान कर दिया। ग्रामीणों ने कहा कि अगर समय रहते झील की समस्या का समाधान किया गया होता तो आज यह स्थिति पैदा नहीं होती।
प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे, झेलना पड़ा विरोध
बढ़ते आक्रोश को देखते हुए जिला प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। डीएम, क्षेत्रीय विधायक और जिला पंचायत अध्यक्ष ग्रामीणों के बीच राफ्ट की सहायता से पहुंचे, लेकिन वहां भी उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा। आपदा प्रभावित लोगों ने अधिकारियों की घेराबंदी कर ली और कई तीखे सवाल पूछे। लोगों ने मांग की कि झील से जल निकासी की प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाए और प्रभावितों को तत्काल राहत पहुंचाई जाए।
झील से जल निकासी की कोशिशें तेज, जलस्तर में आई दो फीट की गिरावट
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने झील से जल निकासी की प्रक्रिया तेज कर दी है। डीएम ने मौके पर मौजूद लोगों को भरोसा दिलाया कि जल्द ही झील को पूरी तरह से खोल दिया जाएगा और हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी। जल निकासी के लिए पीडब्ल्यूडी, एसडीआरएफ, सिंचाई विभाग और अन्य सम्बंधित एजेंसियों की टीमें लगातार काम कर रही हैं। अधिकारियों के अनुसार, पिछले एक घंटे में झील के जलस्तर में लगभग दो फीट की गिरावट दर्ज की गई है, जो राहत की पहली किरण मानी जा रही है।
मुख्यमंत्री ने दिए सख्त निर्देश, आपदा सचिव से मांगी तत्काल रिपोर्ट
इस मामले को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी संज्ञान लिया है। उन्होंने आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग के सचिव विनोद कुमार सुमन को निर्देश दिए हैं कि वे स्यानाचट्टी में बनी झील से जल निकासी की प्रक्रिया को तेज करने के लिए जिला प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित करें। मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि चैनलाइजेशन की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं बरती जानी चाहिए और प्रभावित लोगों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
कैसे बनी यह झील — मलबे और पत्थरों ने रोका नदी का प्रवाह
गुरुवार को यमुनोत्री हाईवे पर स्यानाचट्टी के पास कुपड़ा खड्ड में भारी भूस्खलन हुआ। मलबा और बड़े-बड़े पत्थर यमुना नदी में आकर गिर गए, जिससे नदी का प्रवाह रुक गया और एक अस्थायी झील बन गई। इस झील का जलस्तर लगातार बढ़ता गया और आसपास के इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया। नतीजतन, स्यानाचट्टी में घरों और होटलों में पानी भर गया और लोग दहशत में आ गए।
300 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला गया
हालात की गंभीरता को भांपते हुए जिला प्रशासन और पुलिस ने स्यानाचट्टी, कुथनौर और खरादी क्षेत्रों में स्थित सभी घरों और होटलों को तत्काल खाली करवा दिया। अब तक करीब 300 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा चुका है। प्रशासन की ओर से अस्थायी राहत शिविर बनाए गए हैं जहां लोगों को भोजन और अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
स्थानीय लोग बोले — प्रशासन ने नहीं ली चेतावनी को गंभीरता से
प्रदर्शन कर रहे कई ग्रामीणों ने बताया कि झील बनने के शुरुआती संकेत पहले ही मिल चुके थे, लेकिन प्रशासन ने समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया। स्थानीय निवासी मनोज राणा ने कहा, “हमने पहले ही झील के बनने की जानकारी दी थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब जब पानी घरों में घुस आया, तब प्रशासन को होश आया है।”