
राज्य के विकास कार्यों को नई गति देने और पूंजीगत निवेश में विशेष सहायता प्राप्त करने हेतु आज सचिवालय में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में “स्पेशल असिस्टेंस टू स्टेट फॉर कैपिटल इन्वेस्टमेंट” (SASCI) योजना 2025-26 की विस्तृत समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में टाइड और अनटाइड दोनों मदों से संचालित विकास परियोजनाओं की व्यापक समीक्षा की गई। इस अवसर पर राज्य के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों एवं विभागाध्यक्षों की उपस्थिति ने बैठक की गंभीरता और प्राथमिकता को स्पष्ट कर दिया।
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सभी विभागों को स्पष्ट निर्देश दिए कि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित सुधार कार्यक्रमों को शीघ्रता से लागू किया जाए ताकि SASCI योजना के अंतर्गत राज्य को मिलने वाली पूंजीगत सहायता का अधिकतम और प्रभावी उपयोग हो सके।
SASCI योजना क्या है?
SASCI (Special Assistance to States for Capital Investment) योजना केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को पूंजीगत निवेश हेतु दी जाने वाली विशेष सहायता है, जिसका उद्देश्य राज्यों में अधोसंरचना विकास, सुधारात्मक योजनाएं और शासन की दक्षता को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत राज्यों को दो प्रकार के फंड दिए जाते हैं – टाइड फंड (जिसका उपयोग विशिष्ट योजनाओं के लिए होता है) और अनटाइड फंड (जिसका उपयोग राज्य अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार कर सकता है)।
सभी विभागों को रोडमैप सौंपने के निर्देश
मुख्य सचिव ने खनन, परिवहन, शहरी विकास, आवास, वित्त, राजस्व, कृषि सहित सभी संबंधित विभागों को निर्देशित किया कि वे एक सप्ताह के भीतर SASCI स्कीम के अंतर्गत प्रस्तावित कार्यों का रोडमैप और कार्य योजना टाइमलाइन सहित प्रस्तुत करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसी परियोजनाएं जिन्हें कम समय में पूरा किया जा सकता है और जिनका महत्व अधिक है, उन्हें प्राथमिकता दी जाए।
उन्होंने कहा, “राज्य की विकास गति निर्भर करती है योजनाओं की समयबद्धता और पारदर्शिता पर। ऐसे में प्रत्येक विभाग को योजनाओं के कार्यान्वयन में पूर्ण संलग्नता के साथ योगदान देना होगा।”
खनन और पर्यावरण पर विशेष फोकस
खनन क्षेत्र के संदर्भ में मुख्य सचिव ने कहा कि यह राज्य के राजस्व और संसाधन प्रबंधन का अहम हिस्सा है। उन्होंने खनन विभाग को माइनर मिनरल्स नीति के निर्माण, दुर्लभ खनिजों के सर्वेक्षण, माइनर मिनरल्स ब्लॉकों की नीलामी और स्टार रेटिंग सिस्टम जैसी गतिविधियों को तेजी से आगे बढ़ाने के निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्होंने खनिजों के पर्यावरणीय प्रभाव को संतुलित रखने के लिए पारदर्शी और तकनीकी दृष्टिकोण अपनाने पर बल दिया।
परिवहन सुधारों पर सख्त निर्देश
परिवहन विभाग को ई-वाहनों के माध्यम से पुराने वाहनों के प्रतिस्थापन, प्रदूषण रहित परिवहन को बढ़ावा देने और सड़क सुरक्षा को बढ़ाने हेतु इलेक्ट्रॉनिक एनफोर्समेंट डिवाइसेज (जैसे CCTV, स्पीड कैमरा) के उपयोग को शीघ्रता से लागू करने के निर्देश दिए गए। मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में सुरक्षित और टिकाऊ परिवहन व्यवस्था का विकास अत्यंत आवश्यक है।
भूमि सुधार और डिजिटल रिकॉर्डिंग पर ज़ोर
राजस्व और शहरी/ग्रामीण विकास विभागों को निर्देशित किया गया कि वे भूमि सुधार, रिकॉर्ड डिजिटलीकरण, डिजिटल फसल सर्वेक्षण, वन कृषक आईडी और रेवन्यू कोर्ट के डिजिटलीकरण जैसे कार्यों को प्राथमिकता से पूरा करें। उन्होंने कहा कि “डिजिटल भू-रिकॉर्ड और पारदर्शी राजस्व प्रणाली विकास की रीढ़ बन सकती है।”
वित्तीय प्रबंधन में तकनीकी पारदर्शिता
मुख्य सचिव ने वित्त और नियोजन विभाग को राज्य की वित्तीय प्रणाली के आधुनिकीकरण पर विशेष ध्यान देने को कहा। उन्होंने निर्देश दिए कि आधार आधारित डीबीटी प्रणाली का दायरा बढ़ाया जाए ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे पात्र व्यक्तियों तक पहुंचे और बिचौलियों की भूमिका खत्म हो।
₹615 करोड़ की अनटाइड सहायता
बैठक में नियोजन विभाग द्वारा अवगत कराया गया कि चालू वित्त वर्ष में राज्य को केंद्र सरकार से SASCI योजना के अंतर्गत ₹615 करोड़ की अनटाइड फंड सहायता प्राप्त होगी। अन्य निधियों की प्राप्ति केंद्र द्वारा निर्देशित सुधारात्मक कार्यों की प्रगति पर निर्भर करेगी। इसका सीधा अर्थ यह है कि यदि विभाग समय पर सुधार लागू नहीं करते, तो धनराशि मिलने में बाधा आ सकती है।
समयबद्धता और प्रमाणन का आग्रह
मुख्य सचिव ने उन विभागों को भी निर्देशित किया जिन्होंने पहले ही योजनाओं को पूर्ण कर लिया है, कि वे तत्काल उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत करें। यह प्रमाण पत्र ही केंद्र सरकार को यह विश्वास दिलाता है कि धनराशि सही स्थान पर और सही तरीके से उपयोग की गई है। उन्होंने कहा, “समयबद्धता के साथ पारदर्शिता ही हमारी सफलता की कुंजी है।”