
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार में प्रशासनिक फेरबदल की चर्चा जोरों पर है। राज्य में प्रशासनिक व्यवस्था के नए मुखिया के रूप में वरिष्ठ नौकरशाह आनंद बर्द्धन के तैनात होने के बाद राज्य सरकार ने अगले कुछ दिनों में प्रशासनिक बदलाव करने की योजना बनाई है। मुख्यमंत्री धामी ने संकेत दिया है कि इस महीने के अंत तक बड़े प्रशासनिक फेरबदल किए जा सकते हैं। यह फेरबदल राज्य शासन में तैनात वरिष्ठ नौकरशाहों के प्रभार में बदलाव के रूप में देखने को मिल सकता है।
आनंद बर्द्धन के सीएस बनने के बाद प्रमुख प्रभारों का बंटवारा
आनंद बर्द्धन को उत्तराखंड राज्य का मुख्य सचिव (सीएस) बनाए जाने के बाद शासन में कई प्रमुख बदलाव संभव हैं। बर्द्धन के मुख्य सचिव बनने के साथ ही उनके द्वारा देखे जा रहे विभागों का आवंटन अन्य वरिष्ठ नौकरशाहों को किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक, राज्य के वरिष्ठ नौकरशाहों आरके सुधांशु, एल फैनई और आर मीनाक्षी सुंदरम को अब नए विभागों का प्रभार सौंपा जा सकता है। इन प्रमुख सचिवों के विभागों के बीच बंटवारे की प्रक्रिया जल्द ही शुरू हो सकती है, और इसके बाद शासन में अन्य बदलावों की संभावना भी प्रबल हो सकती है।
अपर सचिवों और सचिवों के लिए नई जिम्मेदारियों की संभावना
साथ ही, शासन में तैनात सचिवों को भी नई जिम्मेदारियां सौंपी जा सकती हैं। कुछ अपर सचिवों को सचिव पद पर पदोन्नति मिलने के बाद प्रमुख विभागों का प्रभार दिया जा सकता है, जिनमें से कुछ अधिकारी वर्तमान में केवल एक या दो प्रभार देख रहे हैं। अधिकारियों के प्रभार में यह फेरबदल राज्य प्रशासन के कामकाजी ढांचे को और मजबूत कर सकता है, जिससे अधिक प्रभावी ढंग से सरकार की योजनाओं को लागू किया जा सके।
विशेष रूप से अपर सचिव स्तर के अधिकारियों को भी बदलने की संभावना जताई जा रही है। यह बदलाव प्रशासनिक कार्यों में और दक्षता लाने के लिए किए जा सकते हैं, ताकि राज्य सरकार की योजनाओं का समयबद्ध तरीके से क्रियान्वयन हो सके।
जिलों में भी हो सकते हैं बड़े बदलाव
राज्य सरकार की योजना में सिर्फ सचिवों और प्रमुख सचिवों के प्रभार में बदलाव नहीं, बल्कि कुछ जिलों के जिलाधिकारियों (डीएम) में भी फेरबदल हो सकता है। गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्रों के जिलों में बड़े प्रशासनिक बदलाव हो सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र के दो-दो जिलों के जिलाधिकारियों को इधर से उधर किया जा सकता है।
यह फेरबदल इसलिए भी अहम है, क्योंकि अगले महीने पंचायत चुनावों की घोषणा हो सकती है। माना जा रहा है कि आगामी पंचायत चुनावों से पहले प्रशासनिक फेरबदल का यह दौर इसी महीने में संपन्न कर लिया जाएगा। पंचायत चुनावों के समय प्रशासनिक व्यवस्था का कुशल संचालन सुनिश्चित करने के लिए जिलाधिकारियों के स्थानांतरण और नए अधिकारियों की तैनाती की जा सकती है।
पंचायत चुनाव से पहले प्रशासनिक फेरबदल की रणनीति
राज्य में पंचायत चुनाव की घोषणा अगले कुछ हफ्तों में हो सकती है और यही कारण है कि प्रशासनिक फेरबदल को जल्दी अंजाम देने की योजना बनाई जा रही है। पंचायत चुनाव में निष्पक्षता और प्रशासनिक कार्यों की पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए अधिकारियों के कार्यभार को पुनर्गठित किया जा सकता है। विशेष रूप से जिलों में तैनात अधिकारियों को नए पदों पर नियुक्त कर यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि चुनावों में किसी प्रकार की अव्यवस्था या पक्षपाती व्यवहार न हो।
धामी सरकार का यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि राज्य में राजनीतिक और प्रशासनिक स्थिति को स्थिर बनाए रखना हर समय की जरूरत होती है। पंचायत चुनावों के दौरान राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में अधिकारियों का चुनाव करना सरकार की प्राथमिकता हो सकती है, ताकि चुनावों के दौरान प्रशासन की निष्पक्षता बनी रहे।