

जुनून सच दिखाने का
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के आयुक्त अश्विनी कुमार ने 27 सितंबर को दोपहर 1 बजे स्थायी समिति सदस्य चुनाव कराने का आदेश जारी किया है। यह आदेश उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा मेयर शैली ओबराय के फैसले को पलटने के बाद आया, जब उन्होंने मेयर द्वारा चुनाव कराए बिना सदन की बैठक स्थगित करने के निर्णय को चुनौती दी।
उपराज्यपाल ने मेयर के आदेश को पलटते हुए कहा कि यदि मेयर चुनाव कराने से इंकार करते हैं, तो डिप्टी मेयर को इस प्रक्रिया का संचालन करने के लिए नियुक्त किया जाए। यदि डिप्टी मेयर भी इंकार करते हैं, तो सदन के वरिष्ठ सदस्य को बैठक की अध्यक्षता करने के लिए कहा गया। उपराज्यपाल के इस निर्देश के तहत, आयुक्त ने रात को मेयर कार्यालय को सूचित किया कि चुनाव प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
इस बीच, आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल और आयुक्त के निर्णयों पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि एमसीडी की बैठक बुलाने का अधिकार केवल मेयर के पास है और किसी भी अधिकारी के पास यह अधिकार नहीं होना चाहिए। सिसोदिया ने यह भी आरोप लगाया कि आयुक्त एलजी के निर्देशों के तहत काम कर रहे हैं, जो कि पूरी तरह से अवैध है।
दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय ने भी इस स्थिति पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल के निर्देश पर आयुक्त द्वारा जारी किया गया आदेश पूरी तरह से अवैध है और यह दिल्ली नगर निगम अधिनियम का उल्लंघन है। ओबेरॉय का कहना है कि ऐसा आदेश जारी करना नगर निगम के नियमों और कानूनों का मजाक उड़ाने के बराबर है।
इस विवाद ने दिल्ली की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। आप ने आरोप लगाया है कि भाजपा केंद्रीय सरकार के दबाव में काम कर रही है और स्थानीय निकायों के कामकाज में हस्तक्षेप कर रही है।