
हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र बुधवार को अपने तीसरे दिन की कार्यवाही के साथ आगे बढ़ा। दिन की शुरुआत में विपक्ष ने प्रदेश में डीएपी खाद की कमी को लेकर सरकार को घेरने का प्रयास किया, लेकिन मुख्यमंत्री नायब सैनी ने इस आरोप का खंडन करते हुए कहा कि राज्य में किसी प्रकार की खाद की कमी नहीं है। उन्होंने सदन में यह भी स्पष्ट किया कि हरियाणा सरकार ने पर्याप्त मात्रा में खाद की व्यवस्था की है और किसानों को समय पर आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए यह भी बताया कि राज्य सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए हैं और प्रदेश के किसानों को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के दो विधेयकों पर चर्चा
विधानसभा सत्र के दौरान सदन में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार द्वारा पास किए गए दो विधेयकों को वापस लेने का भी फैसला लिया गया। इनमें हरियाणा शव का सम्मानजनक निपटान विधेयक और हरियाणा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक शामिल थे। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इन दोनों विधेयकों को केंद्र सरकार ने मंजूरी नहीं दी थी। इन विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजा गया था, लेकिन केंद्र ने उसमें कुछ कमियां बताकर उन्हें वापस भेज दिया। इस कारण से दोनों विधेयकों को वापस लिया गया है।
नगर निगम संशोधन विधेयक 2024 पर हुई लंबी चर्चा
सदन में हरियाणा नगर निगम संशोधन विधेयक 2024 भी प्रस्तुत किया गया, जिसे लेकर विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच तीखी बहस हुई। कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा ने इस बिल पर सवाल उठाते हुए कहा कि हरियाणा के कई शहरी निकायों में अध्यक्ष पद हमेशा सामान्य श्रेणी के लोगों को मिलता आया है। उनका कहना था कि अध्यक्ष पद की नियुक्ति में रोटेशन प्रणाली को अपनाया जाना चाहिए ताकि अन्य समुदायों के लोगों को भी इस पद पर बैठने का मौका मिल सके।
वहीं, कांग्रेस विधायक आदित्य सुरजेवाला ने यह आरोप लगाया कि राज्य सरकार पिछड़ी जातियों, विशेष रूप से बीसी ए और बीसी बी के लोगों के साथ अन्याय कर रही है। उनका कहना था कि देश में पहले से ही ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है, इसलिए इसे शहरी निकायों में भी लागू किया जाना चाहिए।
भा.ज.पा. विधायक रामकुमार गौतम ने इस विषय पर अपनी राय रखते हुए यह सुझाव दिया कि लोकसभा और राज्यसभा चुनावों में भी 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किया जाना चाहिए।
सदन में लंबी बहस के बाद, हरियाणा नगर निगम संशोधन विधेयक 2024 को विधानसभा में पास कर दिया गया।
हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधक) संशोधन विधेयक 2024 पर गहन चर्चा
सदन में एक और महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा हुई, जो था हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधक) संशोधन विधेयक 2024। इस विधेयक पर कांग्रेस विधायक अशोक कुमार ने आपत्ति जताते हुए कहा कि 2014 में इस मुद्दे को लेकर एक कमेटी का गठन हुआ था, लेकिन आज तक गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव नहीं कराए गए हैं। उनका कहना था कि सरकार को जल्द ही चुनाव कराए जाने का आश्वासन देना चाहिए, क्योंकि सिख समाज लंबे समय से इस चुनाव की मांग कर रहा है।
कांग्रेस विधायक बीबी बत्रा ने भी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार बार-बार इस कानून में संशोधन कर रही है, लेकिन चुनाव नहीं करवा रही है। उनका कहना था कि सरकार को इस स्थिति के कारणों को स्पष्ट करना चाहिए।
कांग्रेस विधायक गीता भुक्कल ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनावों की मांग पहले से उठाई जा रही है, और सरकार बार-बार इस प्रक्रिया को टाल रही है।
सिख धर्म के स्वतंत्रता और अधिकारों पर बात करते हुए कांग्रेस विधायक सरदार जरनैल सिंह ने कहा कि सिख धर्म स्वतंत्र है और किसी भी सरकार को इस पर नियंत्रण नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनावों में सिख समुदाय को अपनी स्वतंत्रता और स्वायत्तता बनाए रखने का अधिकार होना चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस मुद्दे पर कहा कि सिखों की यह पुरानी मांग रही है कि गुरुद्वारा कमेटी का प्रभार उनके पास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हरियाणा में गुरुद्वारों की हालत बहुत खराब है, और कांग्रेस सरकार ने इस समस्या को हल करने के लिए अलग से एक कानून बनाया था।
इनेलो विधायक अर्जुन चौटाला ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय दी और कहा कि सरकार को इस प्रक्रिया में आवश्यक संशोधन करना चाहिए, खासकर अमृतधारी सिख जजों की नियुक्ति में।
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि सरकार जल्द ही गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव कराएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार ने सिख ज्यूडिशियल कमिशन का गठन किया है, और उसके अध्यक्ष के लिए जिला जज की नियुक्ति की शर्त रखी है।