
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने शनिवार को भारतीय छात्र संघ (एसएफआई) के खिलाफ कोलकाता में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। टीएमसी का आरोप है कि एसएफआई के सदस्यों ने जादवपुर विश्वविद्यालय में पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु पर हमला किया। इस हमले में बसु की गाड़ी की विंडस्क्रीन तोड़ी गई और उनके सुरक्षा गार्डों के साथ बदसलूकी की गई। यह घटना राज्य की राजनीति में एक नया विवाद पैदा कर सकती है और शिक्षा क्षेत्र में बढ़ते राजनीतिक तनाव को उजागर करती है।
ब्रात्य बसु पर हमले की पूरी घटना
शनिवार को जादवपुर विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु शामिल होने पहुंचे थे। कार्यक्रम के बाद, टीएमसी का आरोप है कि एसएफआई के सदस्यों ने मंत्री की गाड़ी पर हमला किया। हमलावरों ने गाड़ी की विंडस्क्रीन को तोड़ दिया और मंत्री के सुरक्षा गार्डों के साथ बदसलूकी की। टीएमसी ने इस हमले को न केवल एक व्यक्तिगत हमला बल्कि राज्य सरकार और शिक्षा मंत्री के खिलाफ सुनियोजित साजिश भी करार दिया है।
घटना के बाद, ब्रात्य बसु ने खुद इसे अत्यंत गंभीर बताया और कहा कि यह हमला राजनीति से प्रेरित था। उन्होंने यह भी दावा किया कि एसएफआई द्वारा किए गए इस हमले ने न केवल उन्हें बल्कि राज्य सरकार को भी निशाना बनाया है।
टीएमसी का विरोध प्रदर्शन
जैसे ही यह घटना सार्वजनिक हुई, तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को कोलकाता में भारतीय छात्र संघ (एसएफआई) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। टीएमसी के नेता और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे और एसएफआई के खिलाफ नारेबाजी की। टीएमसी का कहना है कि एसएफआई का यह हमला केवल शिक्षा मंत्री के खिलाफ नहीं, बल्कि पश्चिम बंगाल सरकार और उसके नेतृत्व के खिलाफ था। टीएमसी के नेताओं ने आरोप लगाया कि एसएफआई ने हिंसा का रास्ता अपनाकर राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को चुनौती दी है।
टीएमसी के महासचिव पार्थ चटर्जी ने इस विरोध प्रदर्शन के दौरान कहा, “यह हमला एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा था। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। इस हमले के पीछे जो भी लोग हैं, उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि एसएफआई और उनके समर्थकों को राज्य में शांति और शासकीय व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
एसएफआई का बयान
भारतीय छात्र संघ (एसएफआई) ने टीएमसी द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब दिया और इस हमले में अपनी भूमिका से इनकार किया। एसएफआई के नेताओं का कहना है कि यह हमला नहीं था, बल्कि एक निहायत ही विरोध प्रदर्शन था। उनका कहना था कि मंत्री के खिलाफ छात्रों के बीच गुस्सा था और यह गुस्सा कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति को लेकर था।
एसएफआई ने कहा, “हमारे संगठन का उद्देश्य कभी भी हिंसा या हमले को बढ़ावा देना नहीं है। यह एक शांतिपूर्ण विरोध था, और हम किसी भी प्रकार के हिंसक कृत्य की निंदा करते हैं।” संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि टीएमसी इस घटना को बढ़ा-चढ़ा कर पेश कर रही है और इसका उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में उनके आंदोलन को दबाना है।