
उत्तर-पूर्वी भारत में बीते कुछ दिनों से हो रही मूसलधार बारिश ने तबाही मचा दी है। असम, त्रिपुरा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में बाढ़ के कारण अब तक कम से कम 30 लोगों की जान जा चुकी है जबकि हजारों लोगों का जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। सड़क और रेल सेवाएं बुरी तरह बाधित हैं, वहीं कई क्षेत्रों में बिजली और पानी की आपूर्ति भी ठप हो चुकी है।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने त्रिपुरा के पश्चिमी हिस्से और खोवाई जिले में रेड अलर्ट जारी किया है और अगले 48 घंटों तक अत्यधिक वर्षा की चेतावनी दी है। मौसम विभाग ने बाढ़, भूस्खलन, फसलों की बर्बादी और बिजली आपूर्ति में गंभीर व्यवधान की भी चेतावनी दी है।
त्रिपुरा: 1300 परिवार राहत शिविरों में, हालात भयावह
त्रिपुरा में बाढ़ से हालात सबसे चिंताजनक बने हुए हैं। राज्य सरकार के मुताबिक अब तक 1300 से अधिक परिवारों को आपातकालीन राहत शिविरों में स्थानांतरित किया गया है। बारिश के कारण कई गांवों का संपर्क टूट गया है और इम्फाल व अन्य सीमावर्ती इलाकों में अर्धसैनिक बलों और NDRF की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं।
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने एक प्रेस बयान में कहा, “हम हर प्रभावित व्यक्ति तक राहत पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। हालात बेहद गंभीर हैं, लेकिन प्रशासन सतर्क और सक्रिय है।”
असम: 15 जिलों में 78,000 लोग प्रभावित, 8 की मौत
असम में बाढ़ और भूस्खलन की दोहरी मार देखने को मिल रही है। कम से कम आठ लोगों की मौत की पुष्टि की जा चुकी है, जिनमें से अधिकांश मृतक धेमाजी, बारपेटा, काचर और दरांग जिलों से हैं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ASDMA) के मुताबिक, 15 से अधिक जिलों में 78,000 लोग बाढ़ की चपेट में हैं।
राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार (1 जून) को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से टेलीफोन पर बात की और स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने राहत और बचाव के लिए विशेष टीमें तैनात कर दी हैं और जलस्तर पर सतत निगरानी रखी जा रही है।
सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “गृह मंत्री अमित शाह ने असम की स्थिति की जानकारी ली और हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया। राज्य सरकार ने बाढ़ राहत शिविरों की संख्या बढ़ाई है और आपदा प्रबंधन को प्राथमिकता दी जा रही है।”
अरुणाचल और सिक्किम: सड़कों का संपर्क टूटा, भूस्खलन ने बढ़ाई मुश्किलें
अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में लगातार बारिश के कारण भूस्खलन की घटनाएं बढ़ गई हैं, जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क संपर्क पूरी तरह कट गया है। अरुणाचल में लोहित, पश्चिम कामेंग और तवांग जिलों में भारी नुकसान की खबरें हैं। कई स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र बंद कर दिए गए हैं।
सिक्किम में गंगटोक और नाथुला से सटे इलाकों में भारी वर्षा और लैंडस्लाइड के चलते पर्यटकों को लौटने की सलाह दी गई है। राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) और BRO की टीमें मलबा हटाने और रास्ते खोलने में जुटी हुई हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री ने की राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को असम, मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों से व्यक्तिगत रूप से बात की और हालात की जानकारी ली। उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव सहायता देने का भरोसा दिलाया।
गृह मंत्रालय ने NDRF की अतिरिक्त टीमों को स्टैंडबाय पर रखा है और आवश्यक होने पर हवाई सहायता देने की भी तैयारी की गई है। शाह ने NDMA, IMD और जल शक्ति मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वह प्रभावित राज्यों के साथ समन्वय स्थापित कर राहत और बचाव कार्यों को गति दें।
कृषि और इंफ्रास्ट्रक्चर को भारी नुकसान
उत्तर-पूर्व के इन राज्यों में बाढ़ और बारिश के कारण कृषि को भी व्यापक नुकसान पहुंचा है। कई इलाकों में फसलें जलमग्न हो गई हैं, जिससे किसानों को गंभीर आर्थिक क्षति हुई है। त्रिपुरा और असम में धान और सब्जियों की खेती पूरी तरह बर्बाद हो गई है।
इसके अलावा, कई सड़कें, पुल और विद्युत ट्रांसफॉर्मर भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। असम में तीन प्रमुख रेलवे लाइनों पर परिचालन रोका गया है। मणिपुर और नागालैंड में भी यातायात प्रभावित है।
राहत और पुनर्वास की चुनौती
बाढ़ से विस्थापित हुए लोगों के लिए बनाए गए अस्थायी शिविरों में भोजन, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन बढ़ती संख्या के चलते प्रशासन पर दबाव है। अधिकारियों के मुताबिक राहत शिविरों में मच्छरों से फैलने वाले रोगों की रोकथाम के लिए विशेष टीमें भेजी जा रही हैं।
IMD के पूर्वानुमान के अनुसार, अगले 3-4 दिन और भारी वर्षा की संभावना है। इससे राज्य सरकारों की चुनौती और बढ़ गई है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और सहयोग की अपील
विपक्षी दलों ने केंद्र और राज्य सरकार से तेजी से राहत पैकेज घोषित करने की मांग की है। कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा कि उत्तर-पूर्व के राज्यों को लंबे समय से आपदा पूर्व तैयारियों में नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार से बाढ़ प्रभावित जिलों को राष्ट्रीय आपदा क्षेत्र घोषित करने की मांग की।
दूसरी ओर, एनडीए के सहयोगी नेताओं ने भी राज्य और केंद्र सरकार के प्रयासों की सराहना की है, लेकिन साथ ही लंबी अवधि के समाधान की मांग की है जैसे—नदी तटबंधों का सुदृढ़ीकरण, जल निकासी प्रणाली का आधुनिकीकरण और बाढ़ चेतावनी प्रणाली में सुधार।