
पंजाब में सोमवार से 3 दिन के लिए सरकारी बसों की हड़ताल शुरू हो गई है, जिसका सीधा असर आम लोगों की यात्रा पर पड़ा है। पनबस और पीआरटीसी ठेका कर्मचारी यूनियन ने 6 जनवरी से 8 जनवरी तक हड़ताल का आह्वान किया है। इस दौरान राज्य भर के 38 डिपो से बसों का संचालन पूरी तरह से ठप रहेगा, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। इसके अतिरिक्त यूनियन ने मंगलवार 7 जनवरी को चंडीगढ़ में सीएम ऑफिस के घेराव की योजना बनाई है।
हड़ताल का कारण और कर्मचारी की मांगें
फरीदकोट के पीआरटीसी डिपो के कच्चे कर्मचारियों ने यह तीन दिवसीय हड़ताल शुरू की है। कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने कई बार अपनी सेवाएं स्थायी करने, उचित वेतन और अन्य मांगों को लेकर सरकार से अनुरोध किया, लेकिन सरकार उनकी सुनवाई नहीं कर रही है। हड़ताल में शामिल कर्मचारी लंबे समय से स्थायी रोजगार की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि ठेका कर्मचारियों के रूप में काम करना उनके लिए कठिन है, क्योंकि उन्हें स्थायी कर्मचारियों जैसे लाभ और सुरक्षा प्राप्त नहीं होती।
यूनियन के सदस्य लगातार सरकार से यह आग्रह कर रहे हैं कि वे ठेका कर्मचारियों के लिए स्थायी रोजगार की दिशा में ठोस कदम उठाए। इसके साथ ही, वे अन्य सुविधाओं जैसे कि समय पर वेतन और सामाजिक सुरक्षा की भी मांग कर रहे हैं।
हड़ताल के कारण यात्रियों को परेशानी
सोमवार को हड़ताल शुरू होते ही 38 डिपो से बसों का संचालन पूरी तरह से बंद हो गया। इससे राज्यभर में सार्वजनिक परिवहन प्रभावित हुआ, और यात्रियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। बसों के न चलने से लोगों को ऑटो, टैक्सी और अन्य निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ा, जो कि महंगे और कम सुविधाजनक साबित हुए।
अवधि की शुरुआत में ही, पंजाब के विभिन्न शहरों से यह खबरें आ रही थीं कि यात्रियों को लंबी दूरी तय करने के लिए कोई विकल्प नहीं मिल रहा था। स्कूल और दफ्तर जाने वाले लोग विशेष रूप से इस हड़ताल से प्रभावित हुए हैं। दफ्तरों और कारखानों में काम करने वाले लोग परिवहन के अभाव में समय पर पहुंचने में नाकाम रहे।
सीएम ऑफिस के घेराव की तैयारी
हड़ताल के दौरान, यूनियन ने अपनी आंदोलन को और तेज करने का निर्णय लिया है। मंगलवार 7 जनवरी को, चंडीगढ़ में सीएम ऑफिस का घेराव करने का ऐलान किया गया है। इसके साथ ही मोहाली में कर्मचारियों ने सीएम ऑफिस कूच की योजना बनाई है। यूनियन के मुताबिक, यह घेराव तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं की जातीं।
इस घेराव का उद्देश्य सरकार को यह संदेश देना है कि ठेका कर्मचारियों की समस्याओं को नजरअंदाज करना ठीक नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो यह आंदोलन और भी बड़े पैमाने पर होगा।