
उत्तराखंड में परिवहन विभाग को अब नई ऊर्जा और प्रशासनिक सशक्तिकरण मिलने जा रहा है। प्रवर्तन और विभागीय कार्यों को गति देने के लिए 11 नए सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (एआरटीओ) और 117 नए परिवहन सिपाही जल्द ही तैनात किए जाएंगे। इससे न केवल विभाग की कार्यक्षमता में इजाफा होगा, बल्कि प्रदेशभर में परिवहन व्यवस्था और सड़क सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी।
वर्तमान में विभाग में 215 स्वीकृत सिपाही पदों के सापेक्ष केवल 65 पदों पर ही स्थायी नियुक्ति है, जिससे प्रवर्तन और निगरानी कार्यों में विभाग को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। अब अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा चयनित 117 सिपाहियों की सूची विभाग को मिल चुकी है और उनकी नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है।
कमी से जूझ रहे थे विभागीय कार्य
उत्तराखंड परिवहन विभाग लंबे समय से कर्मचारी और अधिकारी स्तर पर स्टाफ की कमी से जूझ रहा था। राज्य के विभिन्न आरटीओ कार्यालयों, चेकपोस्ट और प्रवर्तन क्षेत्रों में सिपाहियों और अधिकारियों की कमी के चलते विभाग के दैनिक संचालन और प्रवर्तन कार्यों में दिक्कतें उत्पन्न हो रही थीं।
विशेष रूप से सड़कों पर वाहनों की निगरानी, नियम उल्लंघन पर चालान, दुर्घटनाओं की जांच और ओवरलोडिंग जैसे मामलों में सख्ती बरतने में विभाग अक्षम साबित हो रहा था। अब नए सिपाहियों की नियुक्ति से यह कमी काफी हद तक दूर होने की उम्मीद है।
117 सिपाही नियुक्ति से मिलेगी बड़ी राहत
परिवहन विभाग में 117 नए सिपाहियों की नियुक्ति को विभाग के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। इन सिपाहियों की भर्ती की प्रक्रिया उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) द्वारा पूरी की गई है। चयन सूची परिवहन मुख्यालय को प्राप्त हो चुकी है और प्रशासनिक औपचारिकताओं के बाद शीघ्र ही तैनाती का आदेश जारी किया जाएगा।
इन सिपाहियों को राज्य के विभिन्न जिलों के आरटीओ/एआरटीओ कार्यालयों, चेकपोस्ट और प्रवर्तन इकाइयों में फील्ड ड्यूटी पर लगाया जाएगा। इससे न केवल यातायात नियमों के पालन की निगरानी में सहायता मिलेगी, बल्कि राजस्व वसूली और दुर्घटनाओं की रोकथाम में भी विभाग और अधिक प्रभावी तरीके से कार्य कर पाएगा।
11 नए एआरटीओ भी जल्द होंगे नियुक्त
सिर्फ सिपाही ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक नेतृत्व स्तर पर भी विभाग को मजबूती मिलने जा रही है। पिछले वर्ष उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKPSC) को भेजे गए 11 एआरटीओ पदों के अधियाचन के आधार पर पीसीएस परीक्षा के माध्यम से चयनित अभ्यर्थियों का प्रशिक्षण अब अंतिम चरण में है।
अगले एक से दो महीने के भीतर ये एआरटीओ अपने पदभार संभाल सकते हैं। इससे क्षेत्रीय कार्यालयों में प्रशासनिक कार्यों की गति बढ़ेगी, साथ ही विभाग की योजनाओं और नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन हो सकेगा।
चालक भर्ती में भी तेजी
विभाग में ड्राइवरों की कमी भी एक गंभीर समस्या रही है। स्वीकृत 90 पदों में से अभी तक केवल 28 पर ही चालक कार्यरत हैं, जबकि आउटसोर्स के माध्यम से नौ चालक नियुक्त किए गए हैं। शेष रिक्त पदों को भरने के लिए भर्ती प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
मुख्यालय के अधिकारियों का कहना है कि अगले कुछ सप्ताहों में चालकों की नियुक्ति भी पूरी हो जाएगी, जिससे विभाग के वाहनों का सुचारू संचालन संभव हो सकेगा। विभागीय अधिकारी नियमित निरीक्षण, दौरे और प्रवर्तन कार्यों के लिए इन वाहनों का उपयोग करते हैं, ऐसे में चालकों की उपलब्धता सुव्यवस्था के संचालन में सहायक होगी।
प्रशासनिक सुधार और डिजिटल सुविधा पर जोर
परिवहन विभाग, नई नियुक्तियों के साथ-साथ प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के लिए डिजिटलीकरण और टेक्नोलॉजी आधारित समाधानों पर भी काम कर रहा है। अधिकारियों की संख्या बढ़ने से डिजिटल चालान प्रणाली, सड़क सुरक्षा निगरानी, वाहनों की फिटनेस, ड्राइविंग लाइसेंस प्रक्रिया जैसी सेवाओं को समयबद्ध और पारदर्शी बनाने में मदद मिलेगी।
इससे जनता को बेहतर सेवा मिलेगी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में भी सहायता मिलेगी।
जनता को मिलेंगी बेहतर सेवाएं
नए कर्मचारियों और अधिकारियों की नियुक्ति के बाद परिवहन विभाग लंबित कार्यों का निस्तारण कर सकेगा और सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार आएगा। इसमें प्रमुख रूप से:
- ड्राइविंग लाइसेंस की प्रक्रिया में तेजी
- वाहन पंजीकरण और परमिट संबंधी कार्यों का समयबद्ध निष्पादन
- सड़क सुरक्षा और दुर्घटनाओं की जांच
- ओवरलोडिंग, प्रदूषण और नियम उल्लंघन पर सख्ती
- परिवहन कर वसूली में पारदर्शिता और कुशलता
मुख्यालय से मिले निर्देश
परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि नियुक्त किए गए सभी नए सिपाहियों और एआरटीओ को ठोस प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्हें मूलभूत कानून, यातायात नियम, प्रवर्तन की रणनीतियां और विभागीय अनुशासन का प्रशिक्षण मिलेगा ताकि वे फील्ड में जाकर प्रभावी भूमिका निभा सकें।
मुख्य सचिवालय से भी विभाग को कार्यक्षमता बढ़ाने और सेवाओं को जनहितकारी बनाने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं।