पंजाब में आयुष्मान योजना के तहत फंड जारी न होने के कारण निजी अस्पतालों ने मरीजों का इलाज करने से इनकार कर दिया है। यह समस्या पंजाब के स्वास्थ्य क्षेत्र में गंभीर स्थिति पैदा कर रही है। इस मुद्दे को लेकर पंजाब सरकार ने स्वास्थ्य विभाग की एक टीम को सोमवार को दिल्ली भेजा। टीम ने दिल्ली में केंद्र सरकार के समक्ष इस मामले को उठाया, ताकि योजना के तहत शीघ्र फंड जारी किया जा सके।
निजी अस्पतालों की चिंता
पंजाब में कई निजी अस्पतालों ने आयुष्मान योजना के तहत इलाज बंद करने का निर्णय लिया है। अस्पतालों का आरोप है कि उन्हें 600 करोड़ रुपये की राशि अभी तक जारी नहीं की गई है, जिसके चलते उन्हें मजबूरी में मरीजों का उपचार नहीं कर पा रहे हैं। इस कारण से मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, और उनकी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में बाधा आ रही है।
स्वास्थ्य मंत्री का आश्वासन
पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने इस समस्या पर ध्यान देते हुए कहा, “हम निजी अस्पतालों को जल्द ही फंड जारी कर देंगे ताकि लोगों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।” उन्होंने बताया कि सोमवार को फंड जारी करवाने के लिए उन्होंने दिल्ली अपनी टीम भेजी थी।
डॉ. बलबीर सिंह ने कहा, “केंद्र सरकार के समक्ष यह मामला उठाया गया है, और हमें विश्वास है कि शीघ्र ही समाधान होगा।” इसके अलावा, उन्होंने बताया कि वह बुधवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के साथ बैठक करेंगे, जिसमें इस समस्या का समाधान करने का प्रयास किया जाएगा।
पंजाब सरकार का बकाया आंकड़ा
पंजाब सरकार का दावा है कि निजी अस्पतालों का सिर्फ 197 करोड़ रुपये ही बकाया है, जबकि अस्पतालों का दावा 600 करोड़ रुपये का है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सरकारी और निजी अस्पतालों का कुल बकाया 364 करोड़ रुपये है। इसमें सरकारी अस्पतालों का 166.67 करोड़ और निजी अस्पतालों का 197 करोड़ रुपये शामिल है।